यूपी में प्याज उत्पादक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी, जानें- गर्मियों में कैसे करें भंडारण

यूपी में प्याज उत्पादक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी, जानें- गर्मियों में कैसे करें भंडारण

Onion Story: डॉ अरुण कुमार सिंह ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे भंडार गृह इस प्रकार बनाएं ताकि धूप सीधे कंदो पर न पड़े. भंडारण में कंदो के ढेर की चौड़ाई गर्मियों में 60 से 75 सेंटीमीटर, हल्के आर्द्र मौसम में 75 से 90 सेंटीमीटर, तथा हल्के शुष्क मौसम की दशा में 90-120 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए.

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यूपी में प्याज उत्पादक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी, जानें- गर्मियों में कैसे करें भंडारणकिसान प्याज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.

प्याज दुनिया भर में उगाई जाने वाली महत्वपूर्ण फसलें हैं. इसी क्रम में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर बिजेन्द्र सिंह द्वारा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को जारी निर्देश के क्रम में दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ उद्यान वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह द्वारा प्याज उत्पादक किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है. डॉ सिंह ने बताया कि वर्तमान समय में प्याज की फसल किसानों की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने में सहायक सिद्ध होगी. लेकिन यह तभी संभव होगा कि जब प्याज की खुदाई  उपरांत तकनीकी तथा भंडारण आदि क्रियाएं वैज्ञानिक तरीके से की जाए. उन्होंने बताया कि प्याज फसल की लगभग 50% पौधों का ऊपरी भाग झुक जाने तथा पत्तियां पीली पड़ जाने के एक सप्ताह बाद खुदाई करनी चाहिए.

जून और जुलाई में सड़न का नुकसान 

वर्तमान समय में क्षेत्र की अधिकांश फसल लगभग पक कर तैयार है. कटाई उपरांत प्रबंधन में प्याज कंदो पर ढाई से 3 सेंटीमीटर छोड़कर ऊपर की सूखी पत्तियों को हटा देना चाहिए. इसके पश्चात सड़े,गले व रोग ग्रस्त कंदो  को हटाकर अलग कर देना चाहिए, फिर कंदो के आकार के आधार पर ग्रेडिंग की जाती है. आमतौर पर, सड़न के कारण नुकसान विशेष रूप से जून और जुलाई में भंडारण के प्रारंभिक महीने में चरम पर होता हैं. उच्च नमी के साथ मिलकर उच्च तापमान नुकसान का परिणाम बनता है ,हालांकि प्याज के उचित ग्रेडिंग और गुणवत्ता एवं अच्छे वेंटिलेशन की स्थिति में सड़न के कारण नुकसान को कम कर सकते हैं.

किसानों को मिलेगा प्याज का उचित दाम

प्याज की पैकिंग के लिए जालीदार प्लास्टिक के बोरा का प्रयोग किया जाता है, जिससे हवा का पर्याप्त मात्रा में आवागमन बना रहे. प्याज आमतौर पर 4-6 महीने की अवधि के लिये मई से नवंबर तक रखा जाता है. हालांकि, 50-90 फीसदी भंडारण नुकसान जीनोटाइप और भंडारण की परिस्थितियों के आधार पर देखा गया है. प्याज भंडारण का तापमान एवं आर्द्रता कंदो के वजन में कमी, कंदो का अंकुर निकलना, सड़ना तथा कंदो की गुणवत्ता को भंडारण में प्रभावित करता है.

प्याज का भंडारण करने के लिए भी सरकार की तरफ से अनुदान

पारंपरिक भंडारण में भंडारित कंदो का वजन एवं अन्य हानि होती है. इसलिए उन्नत भंडार गृहों का प्रयोग किया जाना आवश्यक है. प्याज का उन्नत भंडार गृहों का निर्माण ऊपर उठे हुए प्लेटफार्म पर बनाया जाता है. ताकि नीचे जमीन की नमी को रोका जा सके. भंडार गृह के अंदर तापमान को बढ़ने से रोकने के लिए छत में उपयुक्त सामग्री अथवा टाइल्स का प्रयोग करना चाहिए. तथा वायु के पर्याप्त संचार के लिए भंडारण की तल तथा प्याज कंदो कि दो तह के मध्य हवादार संरचना बनानी चाहिए.  किसान प्याज भण्डारण संरचना में मिलने वाले अनुदान के लिये जिला उद्यान अधिकारी के कार्यालय से सम्पर्क कर सकते हैं. इसमें 250 कुंतल भंडारण क्षमता वाले संरचना पर रूपए 87500/ का अनुदान है, जिसका लाभ किसान ले सकते हैं.

जानें कैसे करें प्याज को गलने से बचाव

डॉ अरुण कुमार सिंह ने किसानों से अपील करते हुए कहा है कि वे भंडार गृह इस प्रकार बनाएं ताकि धूप सीधे कंदो पर न पड़े. भंडारण में कंदो के ढेर की चौड़ाई गर्मियों में 60 से 75 सेंटीमीटर, हल्के आर्द्र मौसम में 75 से 90 सेंटीमीटर, तथा हल्के शुष्क मौसम की दशा में 90-120 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. इसके साथ-साथ छोटे आकार के कंदो के ढेर की ऊंचाई 100 सेंटीमीटर गर्म मौसम में रखी जाती है. जबकि बड़े कंदो को हल्के मौसम में 120 सेंटीमीटर तक ऊंचाई के ढेरों में रखा जा सकता है.

प्याज में कई औषधीय गुण

डॉ सिंह ने बताया कि प्याज औषधीय गुण की दृष्टि से काफी लाभकारी होता है. शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाने के लिए विटामिन सी की जरूरत होती है और प्याज में मौजूद फाइटोकेमिकल्स शरीर में विटामिन सी को बढ़ाने का काम करते हैं. दरअसल, प्याज की खेती अब किसानों के लिए नकदी फसल के रूप में जानी जाने लगी है. भारत में अधिकतर राज्यों में किसान प्याज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. प्याज एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग बारहों महीने बाजार में बनी रहती है.

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