भारत का कपास उत्पादन पिछले साल की तुलना में अधिक रहने की संभावना है. बड़ी बात ये है कि कपास के रकबे में इस बार कमी आई है, मगर फिर भी अक्टूबर से शुरू होने वाले फसल वर्ष 2025-26 के लिए कपास की अधिक पैदावार मिल सकती है. दरअसल, इस साल कपास की बुआई दो प्रमुख उत्पादक राज्यों, गुजरात और महाराष्ट्र में प्रभावित हुई है. इसका कारण ये है कि यहां किसानों का एक वर्ग मूंगफली और मक्का जैसी अन्य लाभकारी फसलों की ओर रुख कर रहा है. वहीं दूसरी तरफ, अमेरिकी कृषि विभाग ने इस सप्ताह विश्व आपूर्ति, उपयोग और व्यापार पर अपने ताजा अनुमानों में 2025-26 के लिए भारत का कपास उत्पादन 5.11 मिलियन टन आंका है, जो 2024-25 के लिए 5.22 मिलियन टन के अनुमान से कम है.
इसको लेकर शीर्ष व्यापार निकाय, कॉटन एसोसिएशन इंडिया (CAI) के अध्यक्ष अतुल गणत्रा ने कहा, कि इस साल कपास की फसल की स्थिति बहुत अच्छी है. बहुत कम ही ऐसा होता है कि सभी 10 उत्पादक राज्यों में संतोषजनक बारिश हो. आज की स्थिति में, कपास का रकबा लगभग 3 प्रतिशत पीछे है. पिछले साल इसी समय तक, कपास का रकबा 110 लाख हेक्टेयर था और इस साल लगभग 107 लाख हेक्टेयर में बुवाई पूरी हो चुकी है. हालांकि बुवाई कम है, फिर भी हमें बेहतर पैदावार की उम्मीद है, जिसमें 10 प्रतिशत तक सुधार होने की संभावना है.
अंग्रेजी अखबार 'बिजनेस लाइन' की एक रिपोर्ट में, अतुल गणत्रा कहते हैं कि बेहतर पैदावार का श्रेय समय पर हुई मानसूनी बारिश को जाता है, जो जून के पहले सप्ताह में शुरू हुई थी. ये बुवाई के लिए आदर्श समय है. पिछले साल की तुलना में इस साल बुवाई 15 दिन पहले हो गई है. सीएआई अध्यक्ष ने देश भर के कपास व्यापार निकायों से मिली ताजा प्रतिक्रिया के आधार पर कहा, "इस साल पौधे हरे-भरे हैं. अगर सब कुछ ठीक रहा, तो हमें 10 प्रतिशत अधिक उपज मिल सकती है, जिससे आसानी से 325-330 लाख गांठ (प्रत्येक 170 किलो) का उत्पादन हो सकता है." सितंबर में खत्म होने वाले मौजूदा 2024-25 सीजन के लिए, सीएआई 311 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान लगा रहा है.
गणत्रा ने आगे कहा कि दक्षिणी राज्य कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना इस साल कुछ खास कर दिखाएंगे. उन्होंने कहा कि कर्नाटक में 18-20 प्रतिशत अधिक बुआई हो रही है और वहां फसल बहुत अच्छी है. इस साल 24 लाख गांठों की तुलना में कर्नाटक में 30 लाख गांठों की फसल होने की उम्मीद है. तेलंगाना में बुआई पिछले साल के 41 लाख एकड़ की तुलना में 5 प्रतिशत बढ़कर 44 लाख एकड़ हो गई है.
इसी तरह, आंध्र प्रदेश में भी 25 प्रतिशत ज़्यादा बुआई हो रही है क्योंकि तंबाकू और मिर्च के कुछ किसान ज़्यादा न्यूनतम समर्थन मूल्य के कारण कपास की खेती की ओर मुड़ गए हैं. कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया ने इस साल आंध्र प्रदेश में बड़ी खरीदारी की है. गणत्रा ने कहा, "हमें सिर्फ़ दक्षिण भारत से ही तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और ओडिशा से लगभग 1 करोड़ गांठ कपास मिल सकती है, जो एक रिकॉर्ड होगा. इस साल उत्पादन लगभग 87 लाख गांठ रहा."
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