मौसम में उतार-चढ़ाव से मूंग फसल में हो सकता है इल्ली का प्रकोप, ऐसे करें बचाव 

मौसम में उतार-चढ़ाव से मूंग फसल में हो सकता है इल्ली का प्रकोप, ऐसे करें बचाव 

पिछले कुछ दिनों से हो रही हल्की बारिश और मौसम में बदलाव के कारण ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल पर इल्ली का हमला होने की आशंका है. इस स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को कुछ सुझाव भी दिए हैं.  मध्‍य प्रदेश में मौसम पिछले कुछ दिनों से बदला हुआ है. कभी बारिश होती है तो कभी धूप निकल आती है.

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मौसम में उतार-चढ़ाव से मूंग फसल में हो सकता है इल्ली का प्रकोप, ऐसे करें बचाव मौसम से पड़ सकता है मूंग की फसल पर असर

मध्‍य प्रदेश में मौसम पिछले कुछ दिनों से बदला हुआ है. कभी बारिश होती है तो कभी धूप निकल आती है. मौसम को देखते हुए हरदा जिले के कृषि विभाग की तरफ से किसानों को मूंग की फसल को लेकर चेतावनी दी गई है. इसमें कहा गया है कि पिछले कुछ दिनों से हो रही हल्की बारिश और मौसम में बदलाव के कारण ग्रीष्मकालीन मूंग की फसल पर इल्ली का हमला होने की आशंका है. इस स्थिति से निपटने के लिए विशेषज्ञों ने किसानों को कुछ सुझाव भी दिए हैं. 

कौन-कौन से हैं कीटनाशक 

विशेषज्ञों ने कहा है कि किसान अपनी मूंग फसल का नियमित निरीक्षण करें. अगर फसल में इल्ली नजर आती है तो तत्काल कीटनाशक का उपयोग करें. विशेषज्ञों ने जिन कीटनाशकों के प्रयोग की सलाह दी है वो कुछ इस तरह से हैं- 

इमामेक्टिन बेंजोएट 5 फीसदी एसजी –200 ग्राम प्रति हेक्टेयर
प्रोफेनोफॉस 50 प्रतिशत ईसी – 1.25 लीटर प्रति हेक्टेयर
इंडोक्साकार्ब 14.5 एससी –500 मिलीलीटर प्रति हेक्टेयर

विशेषज्ञों के अनुसार इन दवाओं का छिड़काव सुबह या शाम के समय करना बेहतर होगा.  

पीला मौजेक वायरस से बचाव 

इसके साथ ही, पीला मोजेक वायरस से बचाव के लिए भी सलाह दी गई है. इसके लिए किसान नीचे दिए गए विकल्‍पों में से कोई एक कीटनाशक चुन सकते हैं- 

थायोमेथोक्साम 25 WG – 40 ग्राम प्रति एकड़
इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL – 50 मिलीलीटर प्रति एकड़

इन दवाओं को किसान 100 से 125 लीटर पानी में मिलाकर घोल तैयार करें. फिर सुबह या शाम के समय फसल पर स्प्रे करें. 

कौन सी इल्लियां करती हैं प्रभावित 

मूंग की फसल में इल्ली का प्रकोप किसानों के लिए एक गंभीर समस्या बन सकता है. यह सीधे उत्पादन को प्रभावित करता है. इल्ली मूंग के कोमल भागों, पत्तियों, फूलों और फलियों को खा जाती है. इससे पौधा कमजोर हो जाता है और पैदावार में भारी कमी आ सकती है. मूंग की फसल में स्पोडोप्टेरा, हेलीकोवर्पा और पॉड बोरर जैसी इल्लियों का प्रकोप हो सकता है.

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