सिद्धार्थनगर के काला नमक चावल को मिला देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, ODOP ने दिलाई नई पहचान

सिद्धार्थनगर के काला नमक चावल को मिला देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, ODOP ने दिलाई नई पहचान

Siddharthnagar News: इस अवसर पर सिद्धार्थनगर के डीएम राजा गणपति ने कहा कि काला नमक चावल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की जा रही इन कोशिशें का बेहतर नतीजा सामने आ रहा है. उन्होंने कहा कि ओडीओपी के तहत चयनित मशहूर काला नमक चावल पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रहा है.

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सिद्धार्थनगर के काला नमक चावल को मिला देश का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार, ODOP ने दिलाई नई पहचानदिल्ली में राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित होते सिद्धार्थनगर जिले के डीएम डॉ. राजा गणपति आर.

सिद्धार्थनगर जिले का बुद्ध कालीन काला नमक चावल अपने स्वाद, सुगंध और पोषक तत्वों के चलते देश- दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है. इसी क्रम में काला नमक धान का उत्पादन और किसानों की आय बढ़ाने के लिए किए जा रहे विशेष प्रयासों के लिए सिद्धार्थनगर को राष्ट्रीय ओडीओपी (ODOP) पुरस्कार दिया गया. दिल्ली के भारत मंडपम में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल, जितिन प्रसाद व दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने सिद्धार्थनगर के जिलाधिकारी डॉ. राजा गणपति आर को पुरस्कार प्रदान किया.

गौरतलब है कि कालानमक चावल सिद्धार्थनगर का 'एक जिला एक उत्पाद (ओडीओपी)' है. वर्ष 2024-25 के ओडीओपी अवार्ड के लिए केंद्र सरकार की टीम सर्वे कर रही थी. तीन-चार माह पहले टीम यहां भी आई थी. सर्वे के दौरान टीम को पता चला कि यहां काला नमक के बेहतर उत्पादन, उसकी गुणवत्ता सुधारने और उसे बड़ा बाजार देने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं.

इस अवसर पर सिद्धार्थनगर के डीएम राजा गणपति ने कहा कि काला नमक चावल को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा की जा रही इन कोशिशें का बेहतर नतीजा सामने आ रहा है. उन्होंने कहा कि ओडीओपी के तहत चयनित मशहूर काला नमक चावल पूरे विश्व में अपनी पहचान बना रहा है. इसको लेकर उत्तर प्रदेश की सरकार और जिला प्रशासन हर संभव प्रयास कर रहा है.

इसके अलावा काला नमक को लेकर  किए गए प्रयासों से उत्पादन बढ़ने और किसानों की स्थिति में सुधार की संभावना बढ़ी है. टीम ने भारत सरकार को अपनी रिपोर्ट भेज दी. देश के अन्य जिलों के सर्वे के बाद सिद्धार्थनगर को यह पुरस्कार दिया गया. दरअसल, काला नमक चावल के ओडीओपी में शामिल होने के बाद यहां के किसानों को आर्थिक रूप से फायदा पहुंच रहा है. इसी उम्मीद में 2 हज़ार हैकटेयर की जाने वाली इस फसल का दायरा भी बढ़कर करीब 20 हज़ार हेक्टेयर हो गया है.

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