टमाटर समेत इन फसलों के लिए सुपर बूस्टर डोज है BC-6 ऑर्गेनिक प्रोडक्ट, जानिए फायदे

टमाटर समेत इन फसलों के लिए सुपर बूस्टर डोज है BC-6 ऑर्गेनिक प्रोडक्ट, जानिए फायदे

Varanasi News: आईआईवीआर के निदेशक डॉ राजेश कुमार का कहना है, "हमारे संस्थान का लक्ष्य किसानों को ऐसी सूक्ष्मजीव आधारित फसल सुधार एवं उत्पादन उन्नयन की तकनीकियां एवं उत्पाद उपलब्ध कराना है जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ हों. बीसी-6 इसी का एक रामबाण मिश्रण है.

Advertisement
टमाटर समेत इन फसलों के लिए सुपर बूस्टर डोज है BC-6 ऑर्गेनिक प्रोडक्ट, जानिए फायदेऑर्गेनिक खेती में पैदा होने वाली चीजों का स्वाद भी अच्छा होता है.

अब सब्जियों की खेती में पौधों की बढ़त, फसलों की गुणवत्ता और चमक के लिए अलग-अलग रासायनिक खादों की जरूरत नहीं. वाराणसी के शहंशाहपुर में स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) ने जैविक सूक्ष्मजीव मिश्रण बीसी-6 तैयार किया है. यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाने के साथ-साथ पौधों की सेहत, तनाव प्रबंधन और उत्पाद की गुणवत्ता को सुनिश्चित करता है. यह मिट्टी के लिए सुपर बूस्टर डोज हैं, जो खेती न केवल आसान और किफायती बनाएंगे, पर्यावरण के अनुकूल भी बनाएंगे.

बीसी-6 क्या है?

दरअसल, बीसी-6 कृषि उपयोगी जीवाणु आधारित एक जैविक सूक्ष्मजीव अनुकल्प है जो जीवाणुओं के नैसर्गिक गुणों जैसे फोस्फोरस, एवं जिंक घुलनशीलता एवं पोषक तत्वों को परिष्कृत करने जैसे कई गुणों से संपन्न है. इसे आईआईवीआर के वैज्ञानिकों द्वारा तरल, पाउडर एवं ग्रेन्यूल के विभिन्न रूपों में किसानों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर बनाया गया है. संस्थान के प्रधान वैज्ञानिक डॉ डीपी सिंह और पादप रोग प्रभाग के प्रधान वैज्ञानिक डॉ सुदर्शन मौर्या बीसी-6 कंसोर्टिया के विकास में गत 4 वर्षों से लगे हुए हैं.

डॉ सिंह का कहना है कि बीसी-6 की विकास प्रक्रिया में हमने आईआईवीआर के फसल परीक्षण फार्म से विशेष प्रकार के जीवाणुओं का सावधानीपूर्वक चयन किया और उनकी आणविक स्तर पर पहचान के साथ ही गुणों का व्यापक अध्ययन किया. ये जीवाणु प्राकृतिक रूप से मिट्टी में पाए जाते हैं और पौधों के साथ एक सहजीवी संबंध बनाकर रहने में सक्षम हैं. चार साल के निरंतर अनुसंधान और शोध के बाद बीसी-6 को फार्मूलेशन के रूप में विकसित किया गया है.

बीसी-6 एवं ऐसे गुणकारी सूक्ष्मजीव आधारित अनुकल्पों से किसानों को अपने खेतों में प्रयोग करने से रासायनिक उर्वरकों के कमतर उपयोग को बढ़ावा मिलेगा. डॉ सुदर्शन के अनुसार किसान के खेतों में किये गए परीक्षण में टमाटर, मटर, मिर्च, बैगन आदि की फसलों पर बीसी-6 के प्रभावों के अध्ययन के उत्कृष्ट परिणाम मिले हैं, और इसी के आधार पर इसे किसानों तक वितरित किया जा रहा है.

उन्होंने बताया कि वृद्धि संबंधी सुधारों में पौधे की ऊंचाई एवं जड़ों की लंबाई तथा तना की मोटाई में वृद्धि एवं पत्तियों के क्षेत्रफल में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. फूल और फल में सुधार देखा गया है जिनमें प्रति गुच्छे में अतिरिक्त फूल, फल सेटिंग रेट में बढ़ोतरी, एवं फलों के औसत वजन में अधिकता पाई गई है. 

बीसी-6 फार्मूलेशन की विशेषताएं

1. पोषक तत्व प्रबंधन: ये जीवाणु मिट्टी में मौजूद फास्फोरस और जिंक को ऐसे रूप में बदल देते हैं जिसे पौधे आसानी से ले सकें.

2. रोग प्रतिरोधक क्षमता: ये हानिकारक कवक और बैक्टीरिया के विरुद्ध प्राकृतिक एंटिबायोटिक्स का उत्पादन करते हैं.

3. हार्मोन उत्पादन: ये पौधों के विकास को बढ़ाने वाले हार्मोन जैसे इंडोल एसीटिक एसिड (IAA) का निर्माण करते हैं.

4. तनाव प्रबंधन: सूखा, अत्यधिक नमी, या तापमान की मार से पौधों को बचाने में मदद करते हैं.

आईआईवीआर के निदेशक डॉ राजेश कुमार का कहना है, "हमारे संस्थान का लक्ष्य किसानों को ऐसी सूक्ष्मजीव आधारित फसल सुधार एवं उत्पादन उन्नयन की तकनीकियां एवं उत्पाद उपलब्ध कराना है जो न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार कर सकें, बल्कि पर्यावरण की दृष्टि से भी टिकाऊ हों. बीसी-6 इसी का एक रामबाण मिश्रण है. हमने इसे विभिन्न रूपों-तरल, पाउडर और ग्रेन्यूल में विकसित किया है ताकि अलग-अलग परिस्थितियों और जरूरतों के हिसाब से किसान इसका उपयोग कर सकें."

ये भी पढ़ें- Tips For Crops: बाढ़ के बाद धान, मक्‍का और रबी गेहूं-मक्‍का की खेती के लिए अपनाएं ये जरूरी टिप्स

'सब्जियों की खेती में नहीं होगी कीटों की एंट्री', IIVR वाराणसी के वैज्ञानिकों ने उठाया ये बड़ा कदम

Flood recovery tips for farmers: बाढ़ के बाद किन्नू सहित दूसरे बागों को कैसे बचाएं? कृषि वैज्ञानिकों की पढ़ें सलाह

 

POST A COMMENT