तमिलनाडु सरकार से काजू के किसानों को राहत देने के मकसद से बड़ा ऐलान किया है. सरकार ने कहा है कि किसानों और मजदूरों के कल्याण की रक्षा और काजू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कुड्डालोर में हेडक्वार्ट्स वाला एक काजू बोर्ड गठित किया गया है, जिससे राज्य से निर्यात में और वृद्धि होगी. गौरतलब है कि काजू राज्य की एक प्रमुख बागानी फसल है. इस साल 43,460 मीट्रिक टन काजू का उत्पादन हुआ है.
सूत्रों के अनुसार, तमिलनाडु भारत में काजू उत्पादन में पांचवें स्थान पर है और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक है. राज्य में 2.09 लाख एकड़ में काजू की खेती की जाती है. राज्य के कृषि मंत्री एम आर के पन्नीरसेल्वम के अनुसार, बोर्ड के गठन से खेती में रोजगार के अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा वैल्यू एडीशन और क्षेत्र को मजबूत बनाने में भी मदद मिलेगी. मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन द्वारा 2025-26 के कृषि बजट में की गई घोषणा के अनुसार, 10 करोड़ रुपये के एलॉटमेंट के साथ बोर्ड का गठन किया गया है. उन्होंने 12 सितंबर को यहां एक विज्ञप्ति में बताया.
कृषि मंत्री बोर्ड के अध्यक्ष होंगे जिसमें 12 सदस्य होंगे जिनमें तमिलनाडु एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी, तमिलनाडु फूड प्रोसेसिंग एंड एग्री एक्सपोर्ट प्रमोशन कॉरपोरेशन, बागवानी और कृषि विभागों के प्रतिनिधियों के अलावा प्रमुख काजू उत्पादक जिलों के दो किसान शामिल होंगे. बोर्ड के माध्यम से अफ्रीकी देशों से आयात पर निर्भरता कम करने और आत्मनिर्भरता की दिशा में काम करने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
मंत्री ने कहा कि किसानों को उच्च उपज वाली किस्में उपलब्ध कराने के अलावा, उन्हें कीट प्रबंधन, कटाई के बाद की तकनीक, प्रोसेसिंग में मदद, निर्यात सुविधा और कल्याण कार्यक्रमों में प्रशिक्षित किया जाएगा. इसके अलावा मशीनीकरण और कटाई के बाद टेक्नोलॉजी के बारे में किसानों को बताना और काजू प्रोसेसिंग यूनिट्स की स्थापना के लिए आर्थिक एंड टेक्निकल मदद मुहैया कराना शामिल होगा. यह किसानों को स्टोरेज सुविधाओं, निर्यात के मौकों और वैल्यु एडीशन पर भी सलाह देगा.
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