फरवरी में 33 डिग्री पहुंचा पारा! किसानों से जानिए फसलों पर क्या होगा असर

फरवरी में 33 डिग्री पहुंचा पारा! किसानों से जानिए फसलों पर क्या होगा असर

चंदौली जिले के सिकठा गांव के रहने वाले किसान रजदन सिंह कहते हैं, बढ़ते तापमान की वजह से फसलों की उत्पादकता तेजी से गिरेगी और प्रति हेक्टेयर 5-10 कुंटल तक गिरावट आएगी. आज की तारीख में (21 फरवरी) में अधिकतम तापमान 33 डिग्री है जो मार्च महीने में होता था. इस तापमान का असर फसल पर कम करने के लिए किसान को अतिरिक्त खर्च करना होगा.

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फरवरी में 33 डिग्री पहुंचा पारा! किसानों से जानिए फसलों पर क्या होगा असरचंदौली में गेहूं की फसल पर गर्मी का असर दिखने लगा है

बाढ़ हो, सूखा हो, ओलावृष्टि हो या किसी अन्य तरह की मौसम की मार. इसका सबसे ज्यादा प्रभाव खेती किसानी पर पड़ता है. अभी किसान बढ़ते तापमान की मार झेल रहे हैं जिससे उनकी गेहूं की फसल चौपट होने की कगार पर है. इससे किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें पड़ गई हैं. फरवरी में ही सूरज आग उगलने लगा है. आलम ये है कि तापमान 30 से 35 डिग्री के बीच तक पहुंच गया है. मौसम विभाग की मानें तो आने वाले दिनों में तापमान में और ज्यादा बढ़ोतरी की आशंका है. 

कृषि वैज्ञानिक लगातार बढ़ते तापमान का असर गेहूं के साथ-साथ दलहन और तिलहन की फसलों पर भी देख रहे हैं. धान का कटोरा कहे जाने वाले पूर्वी उत्तर प्रदेश के चंदौली में ऐसी ही स्थिति देखने को मिल रही है. खेत में गेहूं, सरसों, चना, अलसी और अरहर की फसल लहलहा रही है. मगर इसके साथ ही आसमान से सूरज आग उगल रहा है. फरवरी के आखिरी सप्ताह में इस तरह की गर्मी पड़ने लगी है. यह गर्मी ऐसी है जो मार्च और अप्रैल के महीने में पड़ती है. पारा लगातार बढ़ता ही जा रहा है.

इस बढ़ते हुए पारे ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. ज्यादा तापमान होने से गेहूं के साथ-साथ दलहन और तिलहन की फसलों को भी नुकसान पहुंचने की आशंका बढ़ गई है. कृषि वैज्ञानिकों और किसानों की मानें तो पारा अधिक होने से पैदावार कम होगी और फसल की क्वालिटी भी खराब होगी. इसकी वजह से किसानों की आय भी प्रभावित होगी. इस साल मौसम के बदलते तेवर को लेकर कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि ज्यादा तापमान होने की वजह से गेहूं के दाने पतले हो जाएंगे. 

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एक्सपर्ट की मानें तो बढ़े हुए तापमान की वजह से सरसों की उन फसलों को थोड़ा लाभ होगा जो पहले बोई गई थी. लेकिन जिन किसानों ने बाद में सरसों की फसल बोई है, उनके लिए यह काफी नुकसानदायक साबित होगा. अधिक तापमान होने से सरसों की फसल पर माहू का आक्रमण बढ़ जाएगा. साथ ही चना और अन्य दलहन की फसलों पर भी कीड़े की मार पड़ेगी.

चंदौली के किसान राजदन सिंह

चंदौली जिले के बिसौली गांव के किसान कमलेश सिंह ने 'आजतक' से कहा कि उन्होंने 11 एकड़ में खेती की है जिसमें नौ एकड़ में गेहूं और बाकी खेत में चना और तिलहन है. इसके अलावा मटर, चना, आलू और कुछ सब्जियों की भी खेती की है. किसान कहते हैं कि मार्च की गर्मी अभी फरवरी में ही पड़ने लगी है. गेहूं में एक-दो बार अधिक सिंचाई करनी होगी और बाद में उपज कैसी होगी, यह वक्त ही बताएगा. उपज अच्छी नहीं होगी, जैसा कि तापमान के रुख से पता चल रहा है. कमलेश सिंह कहते हैं कि तापमान की बड़ी मार पड़ रही है. गेहूं का दाना पतला हो जाएगा जिसे बाद में बेचना भी मुश्किल होगा. गेहूं का दाम अच्छा नहीं मिलेगा.

चंदौली के ही किसान हरिओम सिंह कहते हैं कि उन्होंने पांच बीघे में खेती की है जिस पर गर्मी की मार अभी से पड़ने लगी है. हरिओम सिंह का कहना है कि पहले उन्हें बाढ़ और सूखे से परेशानी होती थी. अभी गर्मी की मार फसलों पर देखी जा रही है. फरवरी में इतनी गर्मी फसलों के लिए ठीक नहीं है. इससे फसलों पर बहुत बुरा असर पड़ेगा. इस गर्मी की वजह से हर फसल की पैदावार आधी रह जाएगी. चाहे गेहूं हो, तिलहन हो या दलहन. सबकी पैदावार घट कर आधी रह जाएगी.

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चंदौली जिले के ही सिकठा गांव के रहने वाले किसान रतन सिंह कहते हैं, बढ़ते तापमान की वजह से फसलों की उत्पादकता तेजी से गिरेगी और प्रति हेक्टेयर 5-10 क्विंटल तक गिरावट आएगी. आज की तारीख में (21 फरवरी) में अधिकतम तापमान 33 डिग्री है जो मार्च महीने में होता था. इस तापमान का असर फसल पर कम करने के लिए किसान को अतिरिक्त खर्च करना होगा. किसान को इस तापमान का कृत्रिम समाधान निकालना होगा. सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होगी और एमओपी का छिड़काव करना होगा. इसके बाद भी उत्पादकता प्रभावित होगी.

किसान रतन सिंह कहते हैं, चंदौली जिला कृषि प्रधान है और यहां किसानी ही लोगों की आमदनी का स्रोत है. लेकिन इस बार किसानों की आमदनी पर गहरा असर पड़ेगा. खरीफ सीजन में देर से बारिश शुरू हुई जिससे धान की रोपाई देर हुई. इससे गेहूं की बुआई में भी देरी हुई. ऐसे में फरवरी महीने में 33-34 डिग्री तापमान से किसानों में चिंता है कि फसल घर आएगी या नहीं. अगर आएगी भी तो कितनी आएगी, इसे लेकर चिंता कायम है. गेहूं के दाने इतने पतले होंगे कि बाजार में उसे बेचने में समस्या होगी. चंदौली के किसान खेती पर ही आश्रित हैं, इसलिए आने वाले दिनों में उन्हें भारी आर्थिक संकट से गुजरना होगा.

कृषि वैज्ञानिक कहते हैं कि कई जगह अभी गेहूं की बालियां नहीं आई हैं. ऐसे में अगर तापमान का असर कम करने के लिए सिंचाई कर दी जाए तो फसल गिर सकती है. गर्मी बढ़ने से गेहूं के फूल मुर्झा जाएंगे. अगर दाने आते भी हैं तो गर्मी से सिकुड़ जाएंगे और दाने पतले हो जाएंगे. इससे स्वाभाविक तौर पर गेहूं की पैदावार घट जाएगी. कुछ लोगों ने चंदौली जिले में मशरूम की खेती भी की है. बढ़ते तापमान के चलते मशरूम का उत्पादन भी घट रहा है.(रिपोर्ट/उदय गुप्ता)

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