अगर आप बकरी पालते हैं तो एक बार जरूर चेक कर लें कि कहीं आपकी बकरी तनाव में तो नहीं है. अगर बकरी तनाव यानी स्ट्रेस में है तो फिर उसे केन्द्रीय बकरी अनुसंधान संस्थान, मथुरा की बनाई हुई दवाइ की जरूरत है. इस दवाई को एंटी स्ट्रेस नाम दिया गया है. यह दवाई पूरी तरह से हर्बल प्लांट्स से बनी हुई है. सीआईआरजी के डायरेक्टर की मानें तो जल्द ही उनकी इस दवाई को पेटेंट मिल जाएगा. डायरेक्टर का कहना है कि बकरी अगर स्ट्रेस में हो तो उसका सबसे बड़ा नुकसान बकरी पालक को उठाना पड़ता है.
सीआईआरजी, मथुरा के डायरेक्टर का यह भी दावा है कि बकरियों का दूध डेंगू ही नहीं और भी कई बीमारियों में बहुत ही फायदेमंद है. करीब 40 साल से सीआईआरजी बकरियों पर रिसर्च कर रहा है. साथ ही साइंटीफिक तरीके से कैसे बकरी पालन किया जाए इसकी ट्रेनिंग भी देता है.
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सीआईआरजी के डायरेक्ट मनीष कुमार चेटली ने किसान तक को बताया कि पशु पालन के मामले में सबसे बड़ी परेशानी उत्पादन की आती है. फिर वो चाहें दूध का हो या मीट का. बकरी के मामले में यह दोनों ही बातें फिट बैठती हैं. बकरियों में स्ट्रेस की इसी परेशानी को दूर करने के लिए हमारे संस्थान में डॉ. अशोक कुमार, डॉ. यूबी चौधरी और डॉ. पीके राउत इस एंटी स्ट्रेसर को बनाने का काम कर रहे थे.
बीते कई साल से इस पर काम चल रहा था. अभी हमने इस दवाई को इंडियन पेटेंट के लिए भेजा है. पेटेंट के मामले में काफी हद तक औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं. उम्मीद है जल्द ही पेटेंट का सर्टिफिकेट हमारे संस्थान को मिल जाएगा. इससे पहले भी हमारा संस्थान बीते तीन साल में छह पेटेंट हासिल कर चुका है.
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मनीष कुमार चेटली ने बताया कि गर्भधारण और दूध देने के वक्त आमतौर पर बकरी स्ट्रेंस में होती है. कई बार मौसम का बड़ा परिवर्तन भी बकरियों पर असर डालता है और वो स्ट्रेस में आ जाती हैं और होता यह है कि इस सब का पूरा असर बकरे-बकरी से जुड़े उत्पादन पर पड़ता है. ऐसा नहीं है कि सिर्फ बकरियां ही स्ट्रेस में आती हैं, बकरे भी इसका शिकार होते हैं. स्ट्रेस का पता ऐसे चलता है कि बकरे और बकरियां चारा ठीक से नहीं खाते हैं. बकरियों का दूध देना कम हो जाता है. वजन सामान्य तरीके से नहीं बढ़ता है. सेहत गिरने लगती है. बकरे और बकरियां दोनों ही सामान्य व्यवहार नहीं करते हैं.
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