उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में इस समय गेहूं किसान अपनी उपज बेच रहे हैं. सरकार अपने क्रय केंद्र खोलकर इसकी खरीदारी कर रही है. लेकिन मौजूदा हालात सहकारी क्रय केंद्र की पोल खोल रहे हैं. इटावा में 63 केंद्रों पर अब तक मात्र 243 किसानों से ही गेहूं खरीदा गया है जहां 882 मीट्रिक टन गेहूं की ही खरीदारी हुई है. इटावा जिले में खरीदारी का लक्ष्य बहुत बड़ा है. लक्ष्य के अनुसार यहां 69 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीद होनी है. लेकिन उस हिसाब से गेहूं की खरीदारी कम होने से जिला प्रशासन चिंतित है. इसके लिए अब सरकार और जिला प्रशासन कई तरकीब और तकनीक अपना रहे हैं ताकि किसान आकर्षित होकर अपना गेहूं बाजार की जगह क्रय केंद्रों पर बेचे.
इटावा में प्रशासन ने ग्राम सभा और ग्राम पंचायतों का सहयोग लेने के लिए अभियान शुरू कर दिया है. इसके तहत गेहूं केंद्रों पर बिक्री करवाने वाले ग्राम प्रधानों को पुरस्कृत भी किया जाएगा. साथ ही साथ ग्राम सभा को प्रति क्विंटल 27 रुपये कमीशन भी दिया जाएगा.
हालांकि गेहूं की खरीद एक अप्रैल से शुरू की जा चुकी थी और 15 जून तक खरीदारी होनी है. लेकिन किसान गेहूं क्रय केंद्रों पर न जाकर निजी प्राइवेट दुकानों पर बड़ी संख्या में उपज बेच रहे हैं. इससे खरीद का लक्ष्य पूरा नहीं हो रहा है.
जब इस बारे में किसानों से बात की गई तो उन्होंने बताया कि समर्थन मूल्य 2125 रुपये प्रति क्विंटल है और बाजार में भाव 2180 रुपये मिल रहा है. इस स्थिति में किसान भला सहकारी क्रय केंद्रों पर घाटे में बिक्री क्यों करेंगे. कुछ किसानों ने गेहूं घरों में स्टॉक कर रखा है जो पूरे साल खाने के काम आएगा. मवेशियों के दाने के लिए भी किसानों ने गेहूं का स्टॉक रखा है. किसान कहते हैं, सरकारी केंद्रों पर गेहूं बेचने का एक नुकसान ये भी है कि पैसे खाते में आएगा और उसमें भी समय लग जाता है. उधर प्राइवेट दुकानों से पहले से भी उधार ले रखा है. इसलिए वहां गेहूं बेचने से उसका भी चुकता हो जाता है. साथ ही साथ नकद पैसा मिलने से तुरंत काम चल जाता है.
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खाद्य विपणन अधिकारी लालमणि पांडे ने 'आजतक' को बताया कि इस समय किसान को आकर्षित करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं जिसमें ग्राम प्रधान और ग्रामसभा के लोगों को समझाया जा रहा है. इन्हें सलाह दी जाती है कि वे सरकारी केंद्रों पर बिक्री करवाएं. साथ ही साथ मानकों में भी 80 परसेंट की छूट दी गई है जिससे किसान आसानी से अपने गेहूं की बिक्री कर सकें. लेकिन बाजार भाव समर्थन मूल्य से अधिक होने के कारण किसान सहकारी केंद्रों पर नहीं पहुंच रहे हैं. गेहूं खरीदी का लक्ष्य बड़ा है, फिर भी कोशिश की जा रही है कि गेहूं की खरीदी बढ़े. इटावा जनपद में लगभग एक लाख 72 हजार मीट्रिक टन गेहूं का उत्पादन होता है जिसका एक तिहाई हिस्सा हर साल सहकारी केंद्रों पर खरीदा जाता है. लेकिन इस बार बिक्री की गति बहुत धीमी है.
इस मामले में किसान श्याम सुंदर कहते हैं, सरकारी केंद्रों पर पैसा देर से मिल पाता है और निजी दुकानों पर नकद पैसा मिल जाता है. आज का भाव 2170 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि सरकारी में 2125 रुपये प्रति क्विंटल की दर से गेहूं की बिक्री हो रही है. श्याम सुंदर 14 क्विंटल गेहूं की बिक्री कर चुके हैं, 20 क्विंटल गेहूं घर पर रोक रखा है, जो घर के खाने के इस्तेमाल में लेना है. एक और किसान राजेश कुमार कहते हैं, गेहूं का रेट महंगा होने की वजह से प्राइवेट दुकानों पर बेच देते हैं. नकद भुगतान हो जाता है. समर्थन मूल्य अधिक होगा तो हम इसकी बिक्री सहकारी केंद्र पर करेंगे. हमने अपने यहां 17 बीघे में गेहूं उगाया है. कुछ गेहूं घर पर रोक रखा है, जो खाने के इस्तेमाल में होगा.
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