जौनपुर की बाहुबली मूली उत्तर प्रदेश का एक जिला जौनपुर है. इस जौनपुर जिले की इमरती, मक्का और मूली की देश-दुनिया में अपनी एक अलग पहचान है. जौनपुर की ठंडी सफेद इमरती और मिठास वाले मक्के पर चर्चा किसी और दिन करते हैं. मौजूदा मजमून जौनपुर की मूली को समर्पित है. मूली की ये विशेष किस्म अपनी कई विशेषताओं के कारण अब जौनपुर जिले की पहचान बन गई है. जिसे अब देशभर में जौनपुरी मूली की किस्म के तौर पर ही जाना जाता है. आलम ये है कि अपने गुणों के कारण ये मूली अब देश के कई हिस्सों में उगाई जाने लगी है. लेकिन, अभी भी जौनपुर और आस-पास के क्षेत्रों में होने वाली मूली भौगौलिक गुणों की वजह से सबसे खास है. ऐसी ही जौनपुरी मूली इन दिनों रायबरेली के एक गांव में लोगों के बीच चर्चा में बनी हुई है. जिसे लोग देख कर ये ही कहते हैं कि ये मूली नहीं है बाहुबली है जनाब...
रायबरेली जिला स्थित मियांपुर गांव के किसान मोहम्मद एजाज के खेत में उगी जौनपुरी मूली इन दिनों आस-पास के क्षेत्र में चर्चा का कारण बनी हुई है. जिसे देखकर मूली नहीं बाहुबली कहा जा रहा है. इस मूली की कद-काठी की बात की जाए तो इसका वजन 2 किलो है. जबकि इसका ऊंचाई 4 फिट और चौड़ाई 5 इंज है. अपनी इसी कदकाठी के कारण इसे बाहुबली मूली कहा जा रहा है. हालांकि ये सामान्य जौनपुरी मूली है. इससे पहले 4 से 5 फीट लंबी और अधिकतम 10 से 12 किलो वजनी जौनपुरी मूली का उत्पादन हो चुका है. विशेष ये है कि इस कद काठी की मूली सिर्फ जौनपुर में उगाई जा सकी है. पड़ोसी राज्यों में भी जौनपुरी मूली का साइज इतना नहीं रहा है.
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जौनपुरी मूली अपने गुणों की वजह से अब जौनपुरी किस्म की मूली के तौर पर ही पहचानी जाने लगी है. अभी तक बहुत से कम लोग इस मूली की किस्म के बारे में जानते हैं. अगर इस मूली की किस्म की बात करें तो जौनपुरी मूली की इस किस्म का असली नाम नेवार है. सीधे और सरल शब्दों में कहा जा इसे नेवार किस्म की मूली कहा जाता है.
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शर्की शासनकाल की राजधानी रहे जौनपुर सिराजे-हिंद नाम से जाना जाता है.जौनपुर मूली, मक्का और इमरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है.यहां की नेवार प्रजाति की मूली लंबाई में जितनी बड़ी होती है, उतनी शायद देश में कहीं और नहीं पैदा होती है. इसीलिए इस मूली को बाहुबली मूली भी कहा जाता है. वही इस मूली का आकार काफी विशालकाय होता है. अन्य मूलियों की तुलना में इसमें मिठास होती है. विशेष ये है कि साइज मेंं बड़ने के बावजूद भी ये मूली मुलायम बनी रहती है, जबकि अन्य मूलियां सख्त होती है. इस मूली का अचार और सलाद अच्छा बनता है. इसके दीवाने इसे विदेशों की यात्रा भी करा चुके है.
जौनपुर की मूली की प्रसिद्धि दूसरे देशों तक है.वही अब इस खास प्रजाति की मूली को किसान बोना नहीं पसंद कर रहे हैं.मनमाफिक दाम न मिलने के कारण किसान अब जल्दी पैदा होने वाली हाइब्रिड प्रजाति की मूली का उत्पादन कर रहे हैं जिसके कारण जिले की पहचान के रूप में स्थापित नेवार प्रजाति की मूली का उत्पादन सीमित हो चुका है.इस मूली को पैदा होने में 100 दिन से ज्यादा का समय लगता है.वही वजन और आकार में बड़े होने के कारण छोटे परिवार के लोग इसे कम लेना पसंद करते हैं.अब यह मूली अब केवल प्रदर्शनी में ही दिखाई देती है.
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