देश में सबसे ज्यादा आलू उत्तर प्रदेश में पैदा होता है. कुल उत्पादन की बात करें तो उत्तर प्रदेश में देश के कुल उत्पादन का लगभग 35 फीसदी आलू पैदा होता है. आलू को लेकर यह कहा जाता है कि डायबिटीज, मोटापे वाले लोगों को इसका सेवन नहीं करना चाहिए. वहीं आज आपको एक ऐसे आलू के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसको इन बीमारियों में भी आप खूब खा सकते हैं और नुकसान भी नहीं होगा. जी हां यह काला आलू है, जो पोषक तत्वों से भरपूर है. वैसे तो आलू को शुगर फ्री करने के लिए कोल्ड स्टोर में एक प्रक्रिया अपनाई जाती है. लेकिन, काला आलू खेत से पैदा होने के साथ ही शुगर फ्री होता है.
वहींं काला आलू में पोषक तत्व की मात्रा सामान्य आलू से कई गुना ज्यादा होती है. यहां तक कि इसकी खेती करने वाले किसानों को इसमें फायदा भी भरपूर मिल रहा है. आइए जानते हैं कि शुगर फ्री आलू की इस किस्म के बारे में.
काला आलू को शुगर फ्री आलू कहें तो अतिशयोक्ति ही नहीं होगी. वैसे बाजार में चिप्सोना आलू को शुगर फ्री कहकर बेचा जाता है, जोकि वास्तव में नहीं होता है. उत्तर प्रदेश के रायबरेली के किसान रामगोपाल चंदेल जिले के पहले किसान है, जिन्होंने काला आलू की खेती की है. वे बताते हैं कि यह आलू पैदाइशी शुगर फ्री होता है. उन्हें भी इसका यकीन नहीं था, लेकिन उन्होंने लखनऊ स्थित भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान में जब टेस्ट कराया तो रिपोर्ट में चौंकाने वाले आंकड़े मिले. टेस्ट रिपोर्ट में काला आलू शुगर फ्री निकला .
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रायबरेली में काले आलू की खेती करने वाले किसान रामगोपाल चंदेल के मुताबिक भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान के रिपोर्ट के मुताबिक इसमें डाइट्री फाइबर ज्यादा होता है, जिसके चलते यह पाचन तंत्र को दुरुस्त रखता है. इस आलू में सामान्य आलू के मुकाबले 60 फ़ीसदी आयरन की मात्रा ज्यादा होती है.
वहीं 3 गुना ज्यादा विटामिन सी पाया जाता है. इसके साथ ही इसमें विटामिन बी-6 होता है. वहीं इसमें एंथोसाइएनिन इन नाम का तत्व पाया जाता है, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद करता है. खून की कमी से जूझ रहे महिलाओं के लिए यह किसी संजीवनी बूटी से कम नहीं है. इसमें संतरे जितना विटामिन सी भी मौजूद है. काला आलू साधारण आलू के मुकाबले बेहद स्वादिष्ट माना जाता है.
काला आलू के फायदों के चलते ही बाजार में इसका दाम सामान्य आलू से 15 से 20 गुना ज्यादा होता है. इस आलू की खेती करने वाले किसान रामगोपाल चंदेल बताते हैं कि उन्होंने दिल्ली के एक मॉल में ₹1000 प्रति किलो तक इसका भाव देखा है. वैसे सामान्य आलू के मुकाबले उनके बाजारों में यह 10 गुना ज्यादा दाम पर बिकता है.
काले आलू की खेती करने वाले किसान राम गोपाल चंदेल बताते हैं कि उन्होंने एक बीघा काले आलू की खेती की है. प्रति बीघा में करीब 5 से ₹6000 लागत आती है, जबकि अगर पैदावार की बात करें तो 70 से 80 क्विंटल प्रति बीघा इसका उत्पादन होता है, जो सामान्य आलू के मुकाबले थोड़ा सा कम है. वही यह आलू महीनों तक रखने पर भी सड़ता नहीं है.
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