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Betel : उगाइए पान बनारस वाला, इस सरकारी स्कीम से होगा फायदा

Betel : उगाइए पान बनारस वाला, इस सरकारी स्कीम से होगा फायदा

पूरे विश्व में बनारस का पान मशहूर है. पान की खपत भी लगातार बढ़ रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश में खेती का रकबा कम हो रहा है. भले ही पान बनारस का मशहूर है लेकिन यह पान बिहार और ओडिशा से आता है. पान को धार्मिक आयोजनों में भी उपयोग किया जाता है. अब उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा पान की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान के माध्यम से किसानों विशेष मदद कर रही है.

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पान खेती के लिए मिल रहा है अनुदान पान खेती के लिए मिल रहा है अनुदान

बनारसी पान का क्रेज दिनों दिन बढ़ता जा रहा है. पूरे विश्व में बनारस का पान मशहूर है. पान की खपत भी लगातार बढ़ रही है लेकिन उत्तर प्रदेश में पान की खेती का रकबा कम हो रहा है. भले ही पान बनारस का मशहूर है लेकिन यह पान बिहार और ओडिशा से आता है. पान को धार्मिक आयोजनों में भी उपयोग किया जाता है. अब उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा पान की खेती को प्रोत्साहन देने के लिए अनुदान के माध्यम से किसानों की विशेष मदद कर रही है. उत्तर प्रदेश में अब पान की प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण देने का काम भी किया जा रहा है. प्रदेश में पान की खेती बनारस में भले ही सिमट गई है लेकिन अभी भी महोबा, ललितपुर, बांदा, कानपुर नगर, जौनपुर, प्रतापगढ़, सुल्तानपुर, रायबरेली, हरदोई, उन्नाव और  लखनऊ में पानी की खेती खूब होती है.

मशहूर है बनारस का मगही पान

बनारसी पान के रूप में मगही की अलग ही बात है. बनारस में आने वाला हर कोई व्यक्ति पान का बिना सेवन किए नहीं रह पाता है. बनारस में जो भी पान मिलता है उसमें से बड़ा हिस्सा बिहार के मगध क्षेत्र में उगाया जाता है. इसी वजह से इसे मगही पान भी कहा जाता है. बिहार के नालंदा और औरंगाबाद से आने वाले इस पान को बनारस में पालन और पोषण किया जाता है. तब जाकर यह 20 दिन में खाने के लिए तैयार होता है. बनारस के मशहूर पान निर्माता राजेंद्र चौरसिया बताते हैं की पान बनारस की संस्कृति का हिस्सा बन चुका है. पूरी दुनिया से लोग बनारस में आते हैं और उनका पान खाए बिना नहीं रह पाते हैं. बनारस में मुख्य रूप से मगही, सांची, जगन्नाथी और देसी पान बिकता है. मगही पान अक्टूबर नवंबर से मई महीने तक मिलता है. इसके बाद जगन्नाथी और साची पान मिलने लगता है. पान का महत्व पौराणिक काल से चला आ रहा है. बनारस के पान कारोबार से मगही पान की खेती कर रहे करीब 10000 किसानों को फायदा पहुंच रहा है.

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पान की खेती पर मिल रही है 50 फ़ीसदी की सब्सिडी

बनारस के बछाव, मिर्जापुर और जौनपुर में देसी पान की खेती खूब होती है, लेकिन बनारस में किसान पान की खेती करने के प्रति अब धीरे-धीरे उदासीन हो रहे हैं. अब गिनती के कुछ किसान ही पान की खेती करते हैं. सरकार अब इसे बढ़ावा दे रही है. पान की खेती को फिर से जिंदा करने के लिए योगी सरकार 50 फ़ीसदी सब्सिडी देने का काम कर रही है. उद्यान एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग की तरफ से पान की खेती करने वाले किसानों को जागरूक करने का काम किया जा रहा है. सब्सिडी मिलने से पान के किसानों की संख्या बढ़ रही है. अगर किसान पंद्रह सौ वर्ग मीटर क्षेत्रफल में पान की खेती करता है तो ₹151360 की लागत आती है जिस पर 50 फ़ीसदी का अनुदान यानी ₹75680 की सब्सिडी किसानों को मिलती है. पान की खेती करने वाले किसान महेश ने बताया कि सरकार की अनुदान योजना से खेती को प्रोत्साहन मिल रहा है.

क्या पान खाने के भी फायदे हैं?

आमतौर पर भारत में पान खाना सामान्य बात है. खासतौर पर बनारस में तो पान खाना लोगों के शौक में शामिल होता है. ये बात अलग है कि पान खाकर लोग इधर-उधर थूकते रहते हैं, सड़कों से लेकर दीवारों तक को गंदा कर डालते हैं. लाख कोशिशों के बावजूद लोग इस बुरी आदत से बाज नहीं आते. पान के साथ तंबाकू खाने से इसका सेहत पर भी असर पड़ता है. कैंसर से लेकर तमाम तरह की बीमारियां होती हैं. लेकिन पान के शौकीन मानते हैं कि ये सिर्फ शौक की चीज नहीं है बल्कि इसका सेवन करने से सेहत को कई फायदे मिलते हैं. पान विक्रेता राजेंद्र चौरसिया का दावा है कि पान के सेवन से यूरिक एसिड की मात्रा नहीं बढ़ती है. इसके अलावा पान खाने से पाचन तंत्र ठीक रहता है, मधुमेह नियंत्रण में भी मदद मिलती है. पान के पत्ते में टाइप-2 डायबिटीज के मरीजों में ब्लड शुगर को कम करने की क्षमता है. वही पान में एंटी ऑक्सीडेंट भी पाया जाता है जो तनाव कम करने में सहायक है.