सर्दियों में बारिश, विशेष रूप से नवंबर से फरवरी तक, हिमाचल प्रदेश के कई जिलों के लिए एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है, लेकिन इस बार सोलन सहित अन्य जिलों में बारिश की कमी ने कृषि और जल संसाधन विभाग के लिए गंभीर चिंता पैदा कर दी है. सोलन, जो राज्य के सात कम बारिश वाले जिलों में शामिल है, में इस साल सर्दियों के मौसम में 33.1 प्रतिशत बारिश की कमी आई है. फरवरी में भी बारिश की मात्रा सामान्य से 52.3 प्रतिशत अधिक रही, लेकिन कुल मिलाकर राज्य में 26 प्रतिशत कम बारिश हुई है.
सोलन जिले में इस बार सर्दियों की बारिश का स्तर काफी कम रहा है. बागवानी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, नौणी के पर्यावरण विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, नवंबर और दिसंबर में सोलन जिले में शून्य बारिश हुई. सामान्य तौर पर इन दो महीनों में 9.3 मिमी और 28.9 मिमी बारिश होती है, लेकिन इस बार इन महीनों में कोई वर्षा नहीं हुई. जनवरी में भी बारिश की कमी रही और सामान्य बारिश के मुकाबले मात्र 4.8 मिमी बारिश हुई, जो 91.9 मिमी की कमी दर्शाता है.
फरवरी में बारिश का स्तर बढ़ा और कुल 107.8 मिमी बारिश हुई, जो सामान्य 52.3 मिमी के मुकाबले अधिक थी. हालांकि, यह बारिश भी सर्दियों के मौसम में कुल 33.1 प्रतिशत की कमी को पूरा करने के लिए काफी नहीं थी.
ये भी पढ़ें: पॉलीहाउस से चमकी अमेठी के किसान की किस्मत, खीरे का हुआ बंपर उत्पादन और लाखों में शुरू हुई कमाई
सोलन और उसके आस-पास के क्षेत्रों में खेती पर बारिश की कमी का गंभीर असर पड़ा है. विशेष रूप से रबी फसलों और बागवानी में इससे नुकसान हुआ है. विशेषज्ञों ने बताया कि लंबे समय तक पानी की कमी ने रबी फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचाया है. बेर और अनार जैसे फलों को अनियमित फूलों के कारण नुकसान हो रहा है, जो गर्मी में वृद्धि के कारण कम ठंड के कारण हो रहे हैं. इस स्थिति के कारण उत्पादकों को गुणवत्ता और उत्पादन में गिरावट का सामना करना पड़ सकता है.
कसौली के शिल्लर गांव में मौसमी सब्जियों की खेती करने वाले किसानों ने बताया कि बारिश समय पर नहीं होने और बुवाई में देरी के कारण उनकी फसल में 35 प्रतिशत तक की कमी आई है. इसके साथ ही, बेर, आड़ू और खुबानी जैसी महत्वपूर्ण नकदी फसलों के उत्पादकों को भी समय से पहले और अनियमित फूलों से नुकसान हो रहा है.
ये भी पढ़ें: मशरूम फार्मिंग से बिहार की अनीता ने बदली सैकड़ों महिलाओं की जिंदगी, पीएम मोदी ने शेयर की स्टोरी
सोलन में बारिश की कमी केवल कृषि तक सीमित नहीं है, बल्कि जल शक्ति विभाग के लिए भी यह एक गंभीर चिंता का विषय बन चुका है. बारिश के बिना जलाशयों और नदियों में जल स्तर गिरने से पानी की आपूर्ति पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है. लंबे समय तक सूखा रहने के कारण सोलन और आसपास के क्षेत्रों में जल संकट गहरा सकता है.
सोलन और उसके आसपास के जिलों में सर्दियों की बारिश की कमी ने न केवल कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया है, बल्कि पानी की उपलब्धता पर भी गंभीर असर डाला है. जबकि फरवरी में कुछ बारिश हुई, लेकिन कुल मिलाकर यह बारिश की कमी को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं थी. भविष्य में इस तरह की स्थिति से बचने के लिए जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए जल संरक्षण, सूखा सहनशील कृषि पद्धतियों और अन्य उपायों को अपनाना आवश्यक है. इससे न केवल कृषि को सुरक्षा मिलेगी, बल्कि जल संकट से भी निपटा जा सकेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today