आने वाले दिनों में 400 रुपये तक बढ़ सकती है गेहूं की कीमत, क्या इसी वजह से किसान नहीं बेच रहे उपज?

आने वाले दिनों में 400 रुपये तक बढ़ सकती है गेहूं की कीमत, क्या इसी वजह से किसान नहीं बेच रहे उपज?

एक्सपर्ट का कहना है कि कम खरीद सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय गेहूं भंडार को बढ़ावा देना चाह रही है. मार्च में गेहूं का भंडार गिरकर 7.5 मिलियन टन रह गया था.

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आने वाले दिनों में 400 रुपये तक बढ़ सकती है गेहूं की कीमत, क्या इसी वजह से किसान नहीं बेच रहे उपज?किसान क्यों स्टॉक कर रहे हैं गेहूं. (सांकेतिक फोटो)

इस साल बंपर उत्पादन के मुकाबले गेहूं की खरीद बहुत धीमी गति से चल रही है. भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के आंकड़ों के अनुसार, इस खरीद सीजन में केंद्र सरकार अपने टारगेट 37.29 मिलियन मीट्रिक टन के मुकाबले 17 मई तक गेहूं की खरीद मात्र 25.7 मिलियन मीट्रिक टन ही कर पाई है. इसका मतलब यह हुआ कि मौजूदा खरीद लक्ष्य से लगभग 31 प्रतिशत कम है. खास बात यह है कि सरकार ने इस वर्ष 112 मिलियन मीट्रिक टन गेहूं उत्पादन का अनुमान लगाया है.

डाउन टू अर्थ की रिपोर्ट के मुताबिक, दो वजहों से गेहूं खरीद में तेजी नहीं आ रही है. पहली वजह है कि बहुत सारे किसान निजी व्यापारियों के हाथे खुले बाजार में गेहूं बेच रहे हैं, क्योंकि उन्हें सरकारी क्रय केंद्रों के मुकाबले बहुत जल्द भुगतान हो रहा है. वहीं, दूसरा कराण ये भी है कि बड़ी संख्या में किसानों ने अपने घर में गेहूं स्टॉक को रोके रखना है. उन्हें उम्मीद है कि आने वाले महीने गेहूं की रेट बढ़ेगा, तो वे बेच कर बंपर मुनाफा कमाएंगे. यही करण है कि इस साल खरीद के आंकड़े पिछले साल से भी कम हैं. ऐसे भी कहा जा रहा है कि आने वाले दिनों में खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 300-400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने की उम्मीद है.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट

हालांकि, एक्सपर्ट का कहना है कि कम खरीद सरकार के लिए चिंता का विषय हो सकती है, क्योंकि वह राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय गेहूं भंडार को बढ़ावा देना चाह रही है. मार्च में गेहूं का भंडार गिरकर 7.5 मिलियन टन रह गया था. यह एफसीआई द्वारा 1 अप्रैल तक बनाए रखने के लिए आवश्यक 7.4 एमएमटी के रणनीतिक बफर मानदंड के बहुत करीब था. इसका कारण लगातार दो वर्षों तक फसल की पैदावार में कमी थी. यही कारण है कि सरकार इस साल बंपर फसल के दम पर अपने भंडार को बढ़ाने की उम्मीद कर रही थी.

कितना है गेहूं का स्टॉक

पिछले एक दशक में, 1 अप्रैल को गेहूं का स्टॉक औसतन 16.7 मिलियन टन था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 1 मई तक केंद्रीय पूल में लगभग 17 एमएमटी उपलब्ध था. हालांकि यह 1 अप्रैल के बफर मानक से अधिक है, सरकार अपनी खरीद को बढ़ावा देना चाहेगी, ताकि उसका गेहूं भंडार जुलाई के बफर मानक (27.5 मिमी टन) से ऊपर रहे. हालांकि केंद्र ने 2024-25 आरएमएस विपणन वर्ष में 37.29 मिलियन मीट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य रखा है. अधिकारियों ने कहा है कि खरीद 31-32 मिलियन मीट्रिक टन हो सकती है.

कीमतों में हो सकती है बढ़ोतरी

विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में और बढ़ोतरी की उम्मीद में किसान भी अपनी फसल रोक कर रख रहे हैं. उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पंजाब और हरियाणा जैसे अधिकांश गेहूं उत्पादक राज्यों में खरीद धीमी हो गई है. सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में खुले बाजार में गेहूं की कीमतें 300-400 रुपये प्रति क्विंटल तक बढ़ने की उम्मीद है. अगर इस बार खरीद का लक्ष्य चूक गया तो यह लगातार तीसरा साल होगा. 

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