दो दिन बाद यानी एक अप्रैल से रबी मार्केटिंग सीजन (RMS) शुरू हो जाएगा, लेकिन भारतीय खाद्य निगम (FCI) ने अब तक गेहूं की खरीद को लेकर कोई एक्शन प्लान जारी नहीं किया है. अधिकांश राज्यों में आमतौर एक अप्रैल से रबी सीजन की मुख्य फसल गेहूं की खरीद (Wheat Procurement) शुरू हो जाती है. इसके बावजूद एफसीआई की ओर से अब तक आधिकारिक तौर पर यह नहीं बताया है कि किस राज्य से इस बार कितना गेहूं खरीदा जाएगा और कब तक खरीद होगी. दरअसल, केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद अब तक गेहूं का दाम गिरकर न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के स्तर तक नहीं आया है. उससे चार-पांच सौ रुपये ज्यादा ही भाव चल रहा है. ऐसे में सरकार के सामने सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए गेहूं की खरीद चुनौती बन गई है. बताया जा रहा है इसी वजह से एक्शन प्लान जारी करने में इतनी देर हो रही है.
गेहूं का दाम इस साल 4000 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया था. केंद्र सरकार ने इसे कम करने की भरपूर कोशिश की, ताकि अप्रैल में इसका भाव एमएसपी के आसपास आकर स्थिर हो जाए और सरकारी खरीद पूरी हो सके. इसके लिए ओपन मार्केट सेल (OMSS) के तहत रियायती दर पर गेहूं बेचा. उससे पहले 13 मई से गेहूं और 12 जुलाई 2022 से आटा, मैदा और सूजी के एक्सपोर्ट पर रोक लगाई थी, ताकि दाम को कंट्रोल किया जा सके.
इसे भी पढ़ें: कृषि क्षेत्र में कार्बन क्रेडिट कारोबार की एंट्री, कमाई के साथ-साथ अब ग्लोबल वार्मिंग भी कम करेंगे किसान
गेहूं का दाम घटाने की सरकारी कोशिश उस मुहिम के खिलाफ है जिसमें किसानों की आय डबल करने की बात की जाती है. इसलिए गेहूं एक्सपोर्ट बैन और ओपन मार्केट सेल का किसान संगठन विरोध कर रहे थे. किसानों का कहना था कि जब 80 करोड़ लोगों को सरकार मुफ्त या दो-तीन रुपये प्रति किलो की दर पर अनाज दे ही रही है तो फिर गेहूं का दाम घटाने के लिए इतनी बेचैनी क्यों है?
महंगाई घटाने का जिम्मा सिर्फ किसानों के कंधे पर ही क्यों होना चाहिए, जबकि किसानों की औसत आय रोजाना सिर्फ 28 रुपये है. हालांकि, एफसीआई ने ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत 15 मार्च तक 33 लाख टन गेहूं रियायती दर पर बेचा है. इससे दाम कुछ कम हुआ है, लेकिन इतनी कमी नहीं आई है कि उसका भाव एमएसपी के स्तर तक आ जाए. किसानों के लिए यह राहत की बात है.
रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं की एमएसपी 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. उधर, उपभोक्ता मामले विभाग के प्राइस मॉनिटरिंग डिवीजन के आंकड़े बता रहे हैं कि 29 मार्च को देश में गेहूं का औसत भाव 2608.8 रुपये प्रति क्विंटल रहा. अधिकतम भाव 4350 जबकि न्यूनतम दाम 1700 रुपये प्रति क्विंटल रहा. ज्यादातर बाजारों में 2500 रुपये तक का भाव चल रहा है. बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि में खराब हुई फसलों ने एक बार फिर गेहूं के दाम में तेजी लाने का काम किया है. एफसीआई के डीजीएम प्रिक्योरमेंट चंद्रशेखर आनंद ने बताया कि जल्द ही खरीद का एक्शन प्लान जारी कर दिया जाएगा.
बताया गया है कि केंद्र सरकार ने अप्रैल से शुरू होने वाले विपणन वर्ष 2023-24 के लिए 34.15 मिलियन टन गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया है, जो पिछले वर्ष में खरीदे गए 18.79 मिलियन टन से अधिक है. हालांकि, 2022-23 में रिकॉर्ड 44.4 मिलियन टन (444 लाख मिट्रिक टन) गेहूं खरीद का लक्ष्य तय किया गया था. लेकिन, रूस-यूक्रेन युद्ध और हीट वेब के चलते ओपन मार्केट में गेहूं का दाम एमएसपी से अधिक हो गया. इसलिए अनाज मंडियां सूनी हो गईं. किसानों ने ज्यादा भाव मिलने की वजह से व्यापारियों को गेहूं बेचना शुरू कर दिया. इससे सरकार को अपना खरीद लक्ष्य संशोधित करके 195 लाख मीट्रिक टन करना पड़ा. लेकिन, यह लक्ष्य भी पूरा नहीं हो पाया.
खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के एक अधिकारी के मुताबिक इस साल भी गेहूं का दाम एमएसपी से ऊपर ही चल रहा है. इसलिए सरकार को ऐसा लगता है कि किसान इस बार भी एमएसपी पर गेहूं कम ही बेचेंगे. ऐसे में उसने खरीद का लक्ष्य पिछले साल के मुकाबले घटा दिया है. इसलिए राज्यों का लक्ष्य भी घट जाएगा.
बताया गया है कि रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 के लिए कुल गेहूं खरीद लक्ष्य में से पंजाब 25 लाख टन, हरियाणा 15 लाख टन और मध्य प्रदेश 20 लाख टन खरीदेगा. हालांकि, आधिकारिक आंकड़ा तभी आएगा जब एफसीआई इसके लिए एक्शन प्लान जारी करेगा. रबी मार्केटिंग सीजन 2022-23 में पंजाब के सामने 132, मध्य प्रदेश के लिए 129 और हरियाणा के पास 85 लाख टन गेहूं खरीद का लक्ष्य था.
कमोडिटी रिसर्चर इंद्रजीत पॉल का कहना है कि एमएसपी पर गेहूं की अच्छी खरीद तभी हो पाएगी जब सरकार गुणवत्ता के मानकों में थोड़ी ढील देगी. बेमौसम बारिश से काफी क्षेत्रों में फसल खराब हुई है. ऐसे में किसान खराब फसल को एमएसपी पर बेचना चाहेंगे. फेयर एंड एवरेज क्वालिटी (FAQ) में छूट मिलने पर एमएसपी पर खरीद हो सकती है.
पिछले साल किसान एमएसपी पर गेहूं नहीं बेच रहे थे और सरकार अधिक से अधिक खरीद करना चाहती थी. ऐसे में केंद्र ने हरियाणा, पंजाब के किसानों को फायदा देने के लिए खराब क्वालिटी का भी गेहूं खरीदने का फैसला किया. सरकार ने 18 प्रतिशत तक सूखे, मुरझाए हुए और टूटे हुए अनाजों की खरीद की अनुमति दी. एफसीआई ने इसके लिए दाम में कोई कटौती नहीं की थी. जबकि पहले यह सीमा सिर्फ 6 प्रतिशत थी.
इसे भी पढ़ें: PMFBY: पीएम फसल बीमा योजना से जुड़ सकते हैं पंजाब, तेलंगाना और झारखंड, ये है वजह
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today