
अधिकांश राज्यों में गेहूं की खरीद (Wheat Procurement) शुरू हो गई है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है. जबकि ओपन मार्केट में गेहूं का दाम अब भी 2600 रुपये के आसपास है. बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि और आंधी की वजह से फसलों को हुए नुकसान के बाद इसका दाम घटने की उम्मीद कम है. इसलिए कुछ सूबों में गुणवत्ता मानकों में ढील देकर खराब फसल भी एमएसपी पर खरीदने की तैयारी हो रही है. इस बीच भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने अच्छे गेहूं की एमएसपी पर 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देने की मांग की है.
चढूनी ने कहा है कि सरकार बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फसलों को हुए नुकसान के चलते किसानों को मंडियों में नमी व क्वालिटी की शर्तों में रियायत दे. प्रति क्विंटल गेहूं पर इसलिए पांच सौ रुपये बोनस दिया जाए क्योंकि अंतरराष्ट्रीय मार्केट में गेहूं के भाव (Wheat Price) बहुत ऊंचे हैं. अंतरराष्ट्रीय बाजार में 22 मार्च 2023 को गेहूं का भाव लगभग 3200 रुपए क्विंटल के करीब था. इसके अलावा किसानों पर अबकी बार प्रकृति की भारी मार पड़ी है, इसलिए उन्हें सपोर्ट किया जाना चाहिए.
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किसान नेता चढूनी ने खासतौर पर हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि बेमौसम बारिश, तेज हवाओं व ओलावृष्टि के कारण गेहूं, सरसों, सब्जी व अन्य फसलों को काफी नुकसान हुआ है. इसलिए उन्हें मुआवजा मिलना चाहिए. किसानों द्वारा छह महीने तक दिन-रात की गई मेहनत पर पानी फिर गया है. अधिकारियों द्वारा किसानों के खेतों में मौके पर जाकर स्पेशल गिरदावरी करवानी चाहिए न कि ऑफिस में बैठकर.
किसान नेता ने कहा कि ई-क्षति-पूर्ति पोर्टल सभी के लिए खोला जाए. इस पर नुकसान का ब्यौरा दर्ज करवाने की समय सीमा 15 अप्रैल तक बढ़ाई जाए. क्योंकि यह पोर्टल ठीक से काम नहीं कर रहा है. चढूनी ने आरोप लगाया कि जिला स्तर के अधिकारियों द्वारा किसानों का कम नुकसान दिखाकर जानबूझकर मुआवजे से वंचित रखने की कोशिश की जा रही है. बारिश से खेतों में 50 से 70 फीसदी तक का नुकसान हुआ है, लेकिन अधिकारी जीरो से 25 फीसदी तक का नुकसान दिखाकर आंकड़ों के खेल में किसान को मुआवजे की पात्रता से अलग कर रहे हैं.
चढूनी ने हरियाणा सरकार को पत्र लिखकर कहा है कि फसल नुकसान (Crop Loss) की स्पेशल गिरदावरी किसानों के खेतों में पहुंचकर की जाए. दफ्तरों में बैठकर गिरदावरी करने वाले अधिकारियों पर तुरंत कार्रवाई की जाए. फसलों में भारी नुक्सान के मद्देनजर आगामी 6 महीनों तक किसानों के लिए सभी प्रकार के लोन की किस्तों और कर्जों के भुगतान को बिना ब्याज के स्थगित किया जाए.
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