पोषण वैल्यू से भरपूर सुगंधित चावल की किस्म 'कोरापुट कालाजीरा राइस' को भौगोलिक संकेत (जीआई) टैग मिला है. जिससे आदिवासी किसानों में खुशी की लहर है जो इसे वर्षों से उगा रहे हैं. पुजारीपुट में ओडिशा सरकार समर्थित जैविक श्री फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड ने कोरापुट कालाजीरा चावल की रजिस्ट्री के लिए 11 जनवरी, 2022 को आवेदन किया था. इसे मंजूर कर लिया गया है. जीआई रजिस्ट्री चेन्नई में हैं, इसका टैग लेने के लिए वहीं पर आवेदन करना पड़ता है.
भारत दुनिया का दूसरा बड़ा चावल उत्पादक है. यहां चावल की लगभग एक लाख किस्में हैं. भारत के अधिकांश राज्यों में चावल की एक से बढ़कर एक किस्में हैं. जिनमें से 16 किस्मों को जीआई टैग मिल चुका है. कोरापुट का कालाजीरा चावल इससे अलग है. यानी जीआई टैग वाली 17 वीं किस्म है. फिलहाल, काला जीरा राइस ओडिशा के कोरापुट जिले के किसान पीढ़ियों से उगा रहे हैं. राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) और ओडिशा सरकार के कृषि और किसान सशक्तिकरण विभाग के सहयोग से, किसान संगठन को 'कोरापुट कालाजीरा चावल' के लिए जीआई टैग प्राप्त हुआ.
'कोरापुट कालाजीरा चावल' को जीआई टैग मिलने से आदिवासी किसानों में खुशी की लहर है क्योंकि वो इसे लंबे समय से जुड़े हुए हैं. इस चावल को 'चावल के राजा' के रूप में जाना जाता है. यह ओडिशा के कोरापुट जिले से उत्पन्न होने वाली एक सुगंधित किस्म है. कोरापुट जिले के वर्तमान आदिवासी समुदायों के पूर्वजों ने फसल के संरक्षण में योगदान देते हुए हजारों वर्षों से इस क्षेत्र में चावल संरक्षित रखा हुआ है. यह अपने काले रंग, अच्छी सुगंध, स्वाद और बनावट के कारण चावल उपभोक्ताओं के बीच लोकप्रिय है.
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कोरापुट जिले का जयपोर क्षेत्र और आसपास का भौगोलिक क्षेत्र कालाजीरा चावल के लिए प्रमुख है. चावल कोरापुट जिले के तोल्ला, पात्रापुट, पुजारीपुट, बालीगुडा और मोहुली क्षेत्रों में उगाया जाता है. दावा है कि कालाजीरा चावल याददाश्त में सुधार करता है और मधुमेह को नियंत्रित करता है. ऐसा माना जाता है कि यह हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाता है.
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