Onion Rate: सड़कों पर बिखरा पड़ा प्याज, हर जगह लगे ढेर, मिल रहे कौड़ी के दाम

Onion Rate: सड़कों पर बिखरा पड़ा प्याज, हर जगह लगे ढेर, मिल रहे कौड़ी के दाम

मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले में प्याज़ के भाव पचास पैसे तक गिर जाने से किसान बेहद परेशान हैं. लागत भी न निकल पाने के कारण किसान प्याज़ को खेतों में छोड़ रहे हैं या सड़क पर फेंकने को मजबूर हैं. यह संकट किसानों की आर्थिक स्थिति पर बड़ा असर डाल रहा है.

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Onion Rate: सड़कों पर बिखरा पड़ा प्याज, हर जगह लगे ढेर, मिल रहे कौड़ी के दाममध्य प्रदेश के बाजारों में प्याज की स्थिति

देश में बढ़ती महंगाई के बीच प्याज के भावों में गिरावट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. मध्यप्रदेश के आगर मालवा जिले के किसान अब प्याज को मंडी में बेचने के बजाय खेतों में ही छोड़ने या जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं. अब सवाल यह उठता है की खुदरा बाजार में जिस प्याज की कीमत हमेशा बढ़ी हुई रहती है, उसी प्याज की कीमत के लिए किसानों को क्यों रोना पड़ता है. चलिए विस्तार से जानते हैं इस समस्या के कारण और किसानों की स्थिति को. 

भाव की कमी से किसान हुए परेशान

मंडी में प्याज के दाम इतने तेजी से गिर गए हैं कि किसान अपनी लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ट्रैक्टर का किराया, मजदूरी और दूसरे खर्चों का हिसाब लगाने के बाद भी किसान मुनाफ़ा नहीं कमा पा रहे हैं. इसलिए, कई किसानों ने बाजार में प्याज ले जाना छोड़ दिया है. मोहन लाल नाम के एक किसान बताते हैं, “जब मैंने प्याज बोई थी, तो सोचा था कि अच्छे भाव मिलेंगे और परिवार के लिए दो वक्त की रोटी का इंतजाम हो जाएगा.

लेकिन अब भाव इतने कम हैं कि मेरी मेहनत और खर्च का कोई लाभ नहीं मिल रहा.” जसवंत सिंह का भी यही हाल है. उनका क्वालिटी वाला प्याज भी मंडी में औंधे मुंह गिर गया. असल में, बाज़ार में प्याज की कीमत पचास पैसे से लेकर दो रुपये प्रति किलोग्राम तक है. छोटी प्याज पचास पैसे प्रति किलोग्राम बिक रही है. खुद बाज़ार के व्यापारी मानते हैं कि कीमत गिरने से किसानों को नुकसान हो रहा है, लेकिन कीमतें वैसी ही हैं.

पचास पैसे से दो रुपये किलो बिक रहा प्याज

कुलदीप, एक मंडी व्यापारी बताते हैं कि प्याज़ के भाव पचास पैसे से दो रुपये प्रति किलो तक चल रहे हैं. छोटे साइज के प्याज़ के भाव तो पचास पैसे तक रह गए हैं. इस स्थिति में मंडी में प्याज़ ले जाने पर किसान का नुकसान ही हो रहा है.

किसान खेतों में ही छोड़ रहे प्याज

भाव गिरने के कारण अब किसान प्याज़ को खेतों में ही छोड़ने लगे हैं. कुछ किसान प्याज़ को खेत के बाहर फेंक रहे हैं, तो कुछ जानवरों को खिला रहे हैं. कई किसानों ने कई महीने तक प्याज़ को अपने गोदामों में रखा, ताकि रेट अच्छा आने पर बेच सकें. लेकिन अब भाव पचास पैसे प्रति किलो होने के कारण प्याज़ उगने लगी है या खराब होने लगी है. ओमप्रकाश यादव नाम के किसान बताते हैं, “गोदाम में पंखे और बिजली खर्च कर प्याज़ को खराब होने से बचाया, लेकिन अब वह अंकुरित हो गई है. न मंडी में बिक रही है और न ही घर में रखा प्याज़ सुरक्षित है.”

किसान की लागत और नुकसान

आगर मालवा जिले में प्याज़ की खेती पर प्रति हेक्टियर लगभग चार लाख रुपये खर्च आते हैं. एक हेक्टियर में लगभग 150 क्विंटल प्याज़ का उत्पादन होता है. वर्तमान मंडी भावों के अनुसार, किसान को प्रति हेक्टियर लगभग दो लाख रुपये ही मिल रहे हैं. यानी उनकी लगाई गई लागत भी वापस नहीं आ रही. इस वजह से किसान अब प्याज़ को खेतों में ही छोड़ने या जानवरों को खिलाने को मजबूर हैं.

प्याज की कीमतों में अचानक गिरावट ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है. मंडियों में उचित भाव न मिलने और खर्च अधिक होने के कारण किसान प्याज़ को खेतों में छोड़ने, जानवरों को खिलाने या फेंकने पर मजबूर हैं. यह स्थिति किसानों की आर्थिक स्थिरता और जीवनयापन दोनों के लिए खतरे की घंटी है. (प्रमोद कारपेंटर का इनपुट)

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