Farmers Tips: उत्तर प्रदेश में मौसम के वर्तमान परिप्रेक्ष्य में किसानों को अगले सप्ताह कृषि प्रबन्धन के लिए विशेषज्ञों द्वारा महत्वपूर्ण सुझाव दिये गये हैं. उ.प्र. कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक अधिकारी विनोद कुमार तिवारी ने जानकारी दी कि विशेषज्ञों द्वारा बताया गया है कि आगामी सप्ताह के आरंभिक चरण के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्षा की मात्रा कुछ अंचलों तक सीमित रहने की संभावना है, तदोपरांत पूर्वी उत्तर प्रदेश में वर्षा के क्षेत्रीय वितरण एवं तीव्रता में वृद्धि होने से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग सभी अंचलों में हल्की से मध्यम वर्षा होने के साथ कहीं-कहीं भारी वर्षा होने की भी संभावना है.
पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस सप्ताह के दौरान लगभग सभी अंचलों में हल्की से मध्यम वर्षा का दौर जारी रहने के साथ कहीं-कहीं भारी वर्षा होने की भी संभावना है. इस दौरान राज्य में कुछ स्थानों पर मेघ गर्जन के साथ वज्रपात होने की भी संभावना है. द्वितीय सप्ताह 3 से 9 अगस्त तक प्रदेश के अधिकांश अंचलों में गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है.
1- इन मौसमी दशाओं के दृष्टिगत किसानों से अपेक्षा रखी गयी है कि खरीफ फसलों की बुवाई पर्याप्त नमी की दशा में ही करें. यदि बुआई में विलम्ब हो रहा हो तो दलहनी, तिलहनी व श्रीअन्न फसलों की कम अवधि की सूखा सहनशील किस्मों की बुआई की जाय.
यह भी पढ़ें- Monsoon Update: बारिश की वजह से कहीं रेड तो कहीं ऑरेंज अलर्ट जारी, मौसम का हाल जानने के लिए पढ़ें पूरा अपडेट
2- दलहनी व तिलहनी फसलों में घने पौधों का विरलीकरण (थिनिंग) कर पौध संख्या कम रखी जाय तथा मल्च के रूप में बायोमास (जैव उत्पाद) का प्रयोग किया जाय. सब्जियों तथा दलहनी व तिलहनी फसलों में जीवन रक्षक सिंचाई हेतु क्यारी तथा बरहा विधि अथवा एकान्तर पंक्ति विधि को अपनायें. खेतों मे मेड़बन्दी करके नमी को संरक्षित करें तथा तालाबों, पोखरों एवं झीलों में संरक्षित वर्षा जल को फसलों की क्रान्तिक वृद्धि की दशाओं में सिंचित करने के लिये उपयोग में लायें. इसके लिए स्प्रिंकलर एवं ड्रिप सिंचाई अपनाकर फसलों को बचाया जा सकता है. दलहनी एवं तिलहनी फसलों में जल भराव न होने दें.
3- अल्प वर्षा वाले जनपदों में धान्य फसलों की सूखा के प्रति सहनशीलता बढ़ाने हेतु 2 प्रतिशत यूरिया एवं 2 प्रतिशत म्यूरेट ऑफ पोटाश के घोल का छिड़काव करें. संबंधित विभागों को निर्देशित किया जाय कि नहरों/नलकूपों की नालियों को ठीक दशा में रखें, जिससे आवश्यकतानुसार जीवन रक्षक सिंचाई उपलब्ध कराई जा सकें. धान की रोपाई का कार्य कृषक यथाशीघ्र पूर्ण करें.
यह भी पढ़ें- UP के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी! कृषि बीमा सब्सिडी के लिए 73.58 करोड़ रुपये मंजूर, पढ़ें डिटेल
4- धान की ‘‘डबल रोपाई या सण्डा प्लाटिंग’’ हेतु दूसरी रोपाई पुनः पहले रोपे गये धान के 03 सप्ताह बाद 10x10 सेमी. की दूरी पर करें. विलंब से धान की रोपाई करने पर अधिक अवधि वाली पाैंध (30-35 दिन) की रोपाई 2-3 पौध प्रति पुंज के स्थान पर 3 पौध की रोपाई प्रति पुंज करें. विशेष रूप से ऊसर एवं क्षारीय भूमियों में 3-4 पौध की रोपाई प्रति पुंज करें.
5- कम वर्षा वाले क्षेत्रों में बाजरा की संकुल किस्मों घनशक्ति, डब्लू.सी.सी.-75, आई.सी.एम.बी.-155, आई.सी.टी.पी.-8203, राज-171 तथा न.दे.पफ.बी.-3 तथा संकर किस्मों 86 एम 84, पूसा-322, आई.सी.एम.एच.-451 तथा पूसा-23 की बुवाई करें. कोदों की किस्मों यथा जी.पी.वी.के.-3, ए.पी.के.-1, जे.के.-2, जे.के.-62, वम्बन-1 व जे.के.-6 की बुवाई करें.
6- मूंग की किस्मों यथा आजाद मूंग-1, पूसा-1431, मेहा 99-125, एम.एच.-2.15, टी.एम.-9937, मालवीय, जनकल्याणी, मालवीय, जनचेतना, मालवीय जनप्रिया, मालवीय जागृति, मालवीय ज्योति, पंत मूंग 4, नरेन्द्र मूंग-1, पी.डी.एम.-11, आशा, विराट एवं शिखा की बुवाई करें.
7- बीज का उपचार मूंग के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य करें. उर्द की किस्मों यथा शेखर-1, शेखर-2, शेखर-3, आई.पी.यू.-94-1, नरेन्द्र उर्द-1, पंत उर्द-9, पंत उर्द-8, आजाद-3, डब्लू.बी.यू.-108, पंत उर्द-31, आई.पी.यू.-2-43, तथा आई.पी.यू.- 13-1 की बुवाई करें. बीज का उपचार उर्द के विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से अवश्य करें.
यह भी पढ़ें- Ginger Farming: अदरक की खेती से मिल सकता हैं अच्छा मुनाफा, जानिए इसकी खेती के बारे में सबकुछ
8- तिल की उन्नतशील किस्मों यथा गुजरात तिल-6, आर.टी.-346, आर.टी.-351, तरूण, प्रगति, शेखर टाइप-78, टाइप-13, टाइप-4, आर.टी.-372 व टाइप-12 की बुवाई करें. तिल में फाइलोडी रोग से बचाव हेतु आक्सीडिमेटान मिथाइल 25 प्रतिशत ई.सी. 01 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें. मूंगफली में खरपतवार नियंत्रण हेतु इमेजाथापर 750 मि.ली. प्रति हे. की दर से बुवाई के 25 से 30 दिन उपरांत प्रयोग करें.
9- जलभराव वाले गन्ने की फसल में पानी निकलने के बाद 2 प्रतिशत यूरिया तथा 2 प्रतिशत म्यूरेट आफ पोटाश के घोल का छिड़काव करें. जिन क्षेत्रों में वर्षा नहीं हुई है वहां गन्ने के खेत में नमी बनाये रखने हेतु सतह पर हल्की गुड़ाई (डस्ट मल्चिंग) करें. पोक्का बोइंग को नियंत्रित करने के लिये कापर आक्सीक्लोराइड 0.2 प्रतिशत अर्थात 100 लीटर पानी में 200 ग्राम की दर से अथवा वावस्टीन 0.1 प्रतिशत की दर से अर्थात 100 लीटर पानी में 100 ग्राम की दर से 15 दिन के अंतराल पर छिड़काव करें.
यह भी पढ़ें- Monsoon Rain: अगस्त में ब्रेक लेगा मॉनसून, फिर पूरी तैयारी के साथ बरसेगा... बाढ़ के भी बनेंगे आसार
10- गोल बैंगन, मध्य कालीन फूल गोभी तथा शिमला मिर्च की अगस्त माह में रोपाई हेतु बीज की बुवाई उठी हुई क्योरियों तथा लो टनल में करें. हल्दी एवं अरबी में जल निकास का उचित प्रबन्ध करें. टमाटर की अगेती संस्तुत किस्मों की बुवाई करें. आम, अमरूद, लीची, आंवला, नींबू, चिरौंजी, लसोढ़ा, महुआ तथा अन्य फलदार पौधों का रोपण करें. आम की रंगीन संकर किस्मों अम्बिका, अरूणिका, पूसा श्रेष्ठ आदि प्रजातियों का रोपण करें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today