किसानों की हमेशा शिकायत रहती है कि रबी और खरीफ की फसलों पर उन्हें मुनाफा हासिल नहीं हो रहा है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ज्यादातर पुराने किसान आधुनिक फसलों की खेती और तकनीकों के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते हैं. हालांकि, पिछले कुछ वर्षों में देखा गया है अब किसानों के बीच जागरुकता बढ़ी है. कई किसान अब नई फसलों की खेती कर अब बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं.
अगर किसान परंपरागत खेती से नई फसलों की खेती की तरफ रुख करना चाह रहे हैं तो उनके लिए अदरक की खेती एक फायदे का सौदा साबित हो सकती है. अदरक का इस्तेमाल चाय से लेकर सब्जी, अचार तक में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा सालभर इसकी मांग बनी रहती है. यही वजह है कि अदरक की खेती करने वाले किसानों अदरक का इस्तेमाल चाय से लेकर सब्जी, अचार तक में इस्तेमाल होता है. इसके अलावा सालभर इसकी मांग बनी रहती है. इसके चलते किसान अदरक की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
अदरक की खेती बारिश के पानी निर्भर करती है. इसकी खेती सहफसली तकनीक के आधार पर भी की जा सकती है. पपीता और दूसरे बड़े पेड़ों के बीच इसका फसलीकरण किया जा सकता है. इसकी खेती के लिए 6-7 पीएच वाली जमीन बेहतर मानी जाती है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार एक हेक्टेयर में बुआई के लिए 2 से 3 क्विंटल तक अदरक के बीज की जरूरत पड़ती है.
अदरक की बुवाई करते समय कतार से कतार की दूरी 30-40 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 25 से 25 सेंटीमीटर होना चाहिए. बुवाई बाद हल्क मिट्टी या गोबर की खाद से इसके बीजों को ढक देना चाहिए. इसके अलावा खेतों में बढ़िया जलनिकासी की व्यवस्था होनी चाहिए.
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अदरक से सोंठ बनाई जाती है जिसे बेचकर किसान कच्ची अदरक से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैँ. सोंठ का उपयोग औषधी के रूप में किया जाता है.इसलिए इसके काफी अच्छे भाव बाजार में मिल जाते हैं. आम तौर पर नंबर एक क्वालिटी की सोंठ का बाजार भाव 200 से 225 रुपए प्रति किलो के आसपास रहता है. ऐसे में किसानों के लिए अदरक की खेती मुनाफे का सौदा है.
बात करें इसकी खेती से मुनाफे की तो एक हेक्टेयर में 150 से 200 क्विंटल अदरक का उत्पादन मिलता है. अदरक की फसल को तैयार होने में 8 से 9 महीने का समय लग सकता है.एक हेक्टेयर में अदरक की खेती में करीब 7-8 लाख रुपये तक का खर्च आ सकता है.
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