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गेहूं के बाद नई फसल बोने से पहले किसान कर लें यह काम, डबल होगी इनकम, जानिए एक्सपर्ट की सलाह

गेहूं के बाद नई फसल बोने से पहले किसान कर लें यह काम, डबल होगी इनकम, जानिए एक्सपर्ट की सलाह

मिट्टी में नाइट्रोजन, फांस्फोरस एवं पोटाश सहित विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारी फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हैं. लेकिन कई बार हम खेतों में अधिक पानी और खाद का उपयोग कर देते हैं, जिससे कहीं ना कहीं वह तत्व जमीन के काफी नीचे चले जाते हैं.

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 मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सचिन कुमार (Photo-Kisan Tak) मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सचिन कुमार (Photo-Kisan Tak)

UP Farmers Story: किसान इन दिनों गेहूं (Wheat Crop harvesting) की कटाई कर रहे हैं. जिसके बाद वह नई फसल लगाएंगे. दरअसल, किसान सीधे फसलों की बुवाई करते हैं, लेकिन नई फसल बोने से पहले खेत की मिट्टी की जांच जरूर करना चाहिए. मेरठ के चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय परिसर में संचालित अनुवांशिकी व पादप प्रजनन विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. सचिन कुमार ने बताया कि जिस प्रकार इंसान के बीमार होने पर कई तरह की जांच कर उसकी बीमारी का पता लगाया जाता है. इसके बाद बीमारी से संबंधित दवा दी जाती है. इससे बीमार शख्स स्वस्थ्य हो जाता है. ठीक उसी तरह से मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच करना भी बेहद जरूरी है.

मिट्टी की जांच क्यों जरूरी

क्योंकि जब मिट्टी की उर्वरक क्षमता की जांच कर ली जाती है, तो उससे हमें पता चल जाता है कि हमारे मिट्टी में कौन से पोषक तत्वों की कमी  है. उर्वरक क्षमता के अनुसार ही संबंधित कृषि संस्थान द्वारा किसानों को फसल के समय कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए, फसल में कौन सी वेरायटी लगानी चाहिए, कितना पानी देना चाहिए और कैसे खाद का उपयोग करें. उसके बारे में भी समझाया जाता है. इससे एक तो मिट्टी की उर्वरक क्षमता में वृद्धि देखने को मिलती है. वहीं वह जिस भी फसल को लगाते हैं, उसमें भी काफी वृद्धि होती है. ऐसे में सभी किसान खेतों में जुताई करने के बाद नई फसल बोने से पहले इन सभी बातों का बेहद ध्यान रखें. जिससे कि उनकी आय में इजाफा हो.

डॉ. सचिन कुमार ने आगे बताया कि जो भी किसान पिछले कई वर्षों से निरंतर खेती करते आ रहे हैं, लेकिन उन्होंने अभी तक भी अपने खेत की मिट्टी की जांच नहीं कराई है. तो वह सभी किसान नई फसल लगाने से पहले अपने खेतों की मिट्टी की जांच अवश्य कराएं. जिससे कि वह फसल में अच्छा मुनाफा हासिल कर सकेंगे. 

पोषक तत्वों की कमी

उन्होंने बताया कि मिट्टी में नाइट्रोजन, फांस्फोरस एवं पोटाश सहित विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पाए जाते हैं, जो हमारी फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाते हैं. लेकिन कई बार हम खेतों में अधिक पानी और खाद का उपयोग कर देते हैं, जिससे कहीं ना कहीं वह तत्व जमीन के काफी नीचे चले जाते हैं और फसल के संपर्क में नहीं आ पाते हैं. ऐसे में जो फसल का उत्पादन दिन प्रतिदिन गिरता जाता है.

गेहूं की कब करें कटाई 

गेहूं की कटाई का वैसे तो कोई तय समय नहीं होता, क्योंकि इसकी बुआई कब और कौन से बीज से की है, उसी पर कटाई का समय निर्भर करता है. फिर भी दाने की नमी जांच लें, ताकि दाने के सिकुड़ने की स्थिति नहीं रहे. आमतौर पर 15 मार्च से 15 अप्रैल के बीच कटाई हो जानी चाहिए. गेहूं की कटाई के बाद और थ्रेसिंग से पहले गेहूं की पूलियां बनाकर खेत में सूखने के लिए रख दें. पूली बांधने के लिए इन्हीं पौधों को एक दिन भिगोकर रखें और अगले दिन पूलिया बांध लें. इसके बाद थ्रेसिंग करें. डॉ. सचिन कुमार का मानना है कि इस बार मौसम में बदलाव का असर आ सकता है. गेहूं की फसल 30 डिग्री तक तापमान में ही सुरक्षित और अच्छी मानी जाती है. 35 डिग्री तापमान होने पर नुकसान हो सकता है.