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व्रत में सबका फेवरिट साबूदाना कहां से आता है, क्‍या पेड़ पर उगता है या फैक्‍ट्री में होता तैयार, जानें 

व्रत में सबका फेवरिट साबूदाना कहां से आता है, क्‍या पेड़ पर उगता है या फैक्‍ट्री में होता तैयार, जानें 

साबूदाना को टेपिओका के पेड़ की जड़ से तैयार किया जाता है. यह एक उष्‍कटिबंधीय पेड़ है. इस पेड़ को कसावा रूट भी कहते हैं और यह कुछ-कुछ शकरकंद जैसा दिखता है. पेड़ को जड़ समेत निकाल लिया जाता है और अच्‍छी तरह से जड़ को पानी से धोया जाता है. इसे काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में रख दिया जाता है. इन बर्तनों में रोज पानी डाला जाता है. कई समय तक यही प्रक्रिया दोहराई जाती है .

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साबूदाना को टेपिओका के पेड़ की जड़ से तैयार किया जाता है साबूदाना को टेपिओका के पेड़ की जड़ से तैयार किया जाता है

देश में हिंदुओं के लिए नवरात्रि का विशेष स्‍थान है. कुछ लोग पूरे नौ दिन व्रत रहते हैं और फलाहार खाते हैं. फलाहार में सबसे ऊपर नाम होता है साबूदाना का और इसके कई तरह के व्‍यंजन जैसे खिखड़ी, खीर और टिक्‍की बनाकर खाई जाती है. लेकिन कभी आपने सोचा है कि साबूदाना आखिर बनता कैसे है? साबूदाना दरअसल एक पेड़ से तैयार किया जाता है और यकीन मानिये इसे बनाने की प्रक्रिया काफी मुश्किल होती है. 

इस पेड़ की जड़ से होता तैयार 

साबूदाना को टेपिओका के पेड़ की जड़ से तैयार किया जाता है. यह एक उष्‍कटिबंधीय पेड़ है. इस पेड़ को कसावा रूट भी कहते हैं और यह कुछ-कुछ शकरकंद जैसा दिखता है. पेड़ को जड़ समेत निकाल लिया जाता है और अच्‍छी तरह से जड़ को पानी से धोया जाता है. इसे काटकर बड़े-बड़े बर्तनों में रख दिया जाता है. इन बर्तनों में रोज पानी डाला जाता है. कई समय तक यही प्रक्रिया दोहराई जाती है और यह एक तरह का गूदा बन जाता है. इस गूदे को मशीन में डाला जाता है. 

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फिर अलग-अलग साइज का साबूदाना तैयार हो जाता है. जब यह सूख जाता है तो इसमें ग्लूकोज और स्टार्च से बने पाउडर की पॉलिश की जाती है. इससे साबूदाना चमक जाता है और सफेद गोलियों की तरह दिखने लगता है. इसके बाद इसे बाजार में लाया जाता है. कहते हैं कि साबूदाना 19वीं सदी के बाद भारत पहुंचा.

कहां होती है साबूदाना की खेती 

आज केरल, आंध्रप्रदेश और तमिलनाडु में इसकी खेती की जाती है. अब मध्य प्रदेश में भी इसकी खेती होने लगी है. साबूदाना के पेड़ की खेती कम पानी और कम उपजाऊ म‍िट्टी में की जा सकती है. इस वजह से क‍िसानों को सहूलियते होने लगी हैं. अब इसे ऐसी जगहों पर बोने लगे हैं. हालांकि कुछ लोग साबूदाना को अशुद्ध भी मानते हैं और व्रत में इसका सेवन करने से बचते हैं. दरअसल जब कसावा रूट को पानी में रखा जाता है तो कभी-कभी उसमें कीड़े भी लग जाते हैं. इसलिए ही इसे खाने से कुछ लोग बचते हैं. 

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डायबिटीज के मरीज रहें दूर 

साबूदाना को सेहत के लिए फायदेमंद माना जाता है. कहते हैं कि इसमें कैल्शियम, आयरन और विटामिन के भरपूर होता है. कैल्शियम की वजह से यह हड्डियों के लिए अच्‍छा होता है  कार्बोहाइड्रेट से भरपूर होने के कारण ये व्रत के दौरान इंस्‍टेंट एनर्जी देने का काम करता है. हालांकि ऐसे लोग जो डायबिटीज  के मरीज हैं उन्‍हें साबूदाना नहीं खाने की सलाह दी जाती है.