पड़ोसी देश बांग्लादेश में भारत से प्याज सहित तमाम खाने-पीने की चीजों की सप्लाई फिर से शुरू हो गई है. बांग्लादेश को खाद्य पदार्थ सप्लाई करने वाले सप्लायर्स और व्यापार अधिकारियों ने बताया कि राजनीतिक संकट के चलते रुके हुए प्याज का निर्यात फिर से शुरू हो गया है. महाराष्ट्र के लासलगांव कृषि उपज बाजार समिति के एक अधिकारी अरिहंत पेडनेकर ने कहा कि प्याज से लदे लगभग 17 ट्रक, दोनों पक्षों से मंजूरी मिलने के बाद पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश में इंटर कर रहे हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारी ने बताया कि बांग्लादेश में बैंकों के फिर से खुलने के बाद प्याज की खेप आनी शुरू हो गई है, क्योंकि कई व्यापारियों के पास बांग्लादेशी बैंकों द्वारा जारी निर्यात गारंटी थी. लासलगांव प्याज के लिए एशिया का सबसे बड़ा कृषि बाजार है. 18 बिलियन डॉलर से अधिक के द्विपक्षीय व्यापार के साथ, बांग्लादेश चीन के बाद दक्षिण एशिया में भारत का सबसे बड़ा व्यापार भागीदार और कृषि उपज का एक बड़ा बाजार है. दरअसल, शेख हसीना शासन को गिराने वाली अभूतपूर्व हिंसा और विरोध प्रदर्शनों के बीच द्विपक्षीय व्यापार रुक गया था. भारतीय निर्यातक फंस गए थे क्योंकि सीमाएं बंद थीं और आपूर्ति श्रृंखलाएं पूरी तरह से ध्वस्त हो गई थीं.
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दुनिया में प्याज का सबसे बड़ा निर्यातक भारत, बांग्लादेश को 800,000 टन तक की आपूर्ति करता है, जो सबसे बड़े खरीदारों में से एक है. 2023-24 में, प्याज निर्यात का शुद्ध मूल्य 3,513 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले वर्ष के 4,525 करोड़ रुपये से कम है. 2023-24 में, बांग्लादेश ने भारत से 724,000 टन प्याज का आयात किया. हालांकि, भारत ने पिछले साल दिसंबर में घरेलू आपूर्ति को बढ़ावा देने के लिए विदेशों में प्याज की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि प्रमुख राज्यों में बारिश के कारण उत्पादन में 20 फीसदी की गिरावट आई थी. 4 मई, 2024 को 550 डॉलर प्रति टन के न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) और 40 प्रतिशत टैरिफ के साथ शिपमेंट की अनुमति दी गई थी. एमईपी एक न्यूनतम मूल्य है जिसके नीचे व्यापारी निर्यात नहीं कर सकते. यह एक नियामक उपकरण है जिसे सस्ती दरों पर बहुत अधिक निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए डिज़ाइन किया गया है.
पेडनेकर ने कहा कि बांग्लादेश का बॉर्डर खुलने के साथ व्यापार फिर से शुरू हो गया है. बांग्लादेश में कीमतें बहुत ज़्यादा नहीं बढ़ी हैं, क्योंकि विरोध प्रदर्शनों से पहले निर्यात नियमित रूप से हो रहा था. अगर और देरी होती तो हमारे निर्यातकों को नुकसान होता और बांग्लादेश में कीमतें बढ़ जातीं. प्याज के अलावा, भारत पड़ोसी देश को गैर-बासमती चावल, चीनी और कपास भी निर्यात करता है. प्याज निर्यातक संघ के अध्यक्ष अजीत शाह ने कहा कि सरकार को इस कमोडिटी पर निर्यात शुल्क हटा देना चाहिए, क्योंकि मौजूदा फसल अच्छी स्थिति में है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के अलावा, मलेशिया, श्रीलंका, इंडोनेशिया और मध्यपूर्व भी भारत के लिए महत्वपूर्ण बाज़ार हैं.
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