अपने औषधीय गुणों के लिए प्रसिद्ध हल्दी की भारत में भरपूर पैदावार होती है और इसका निर्यात भी किया जाता है. भारत उच्च गुणवत्ता वाली हल्दी के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, विश्व के टोटल टरमरिक प्रोडक्शन में भारत की हिस्सेदारी 80 फीसदी से ज्यादा है. हल्दी एक ऐसा मसाला है, जो सेहत के साथ-साथ आपके खाने में बेहतरीन स्वाद और रंग घोलता है, तो आइए जानते हैं कि देश में सबसे ज्यादा हल्दी का उत्पादन कहां होता है…
देश में सबसे ज्यादा हल्दी का उत्पादन करने वाले चार राज्य है. तेलंगाना, महाराष्ट्र, कर्नाटक और तमिलनाडु में इसकी सबसे अधिक पैदावार होती है. इसके अलावा आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, गुजरात और केरल में भी इसकी खेती होती है.
भारत सरकार ने पिछले साल अक्टूबर राष्ट्रीय हल्दी बोर्ड के गठन की नोटिफिकेशन जारी की थी. इसका काम देश में हल्दी और हल्दी उत्पादों के विकास और वृद्धि पर फोकस करना है.
साथ ही हल्दी से संबंधित मामलों में कोशिशों को मजबूत करना लीडरशिप प्रदान करना और टरमरिक सेक्टर के डेवलपमेंट और इसे आगे बढ़ाने में मसाला बोर्ड और अन्य शासकीय एजेंसियों के साथ ज्यादा को-ऑर्डिनेशन प्रदान करना है।
भारतीय मसालों में हल्दी का एक महत्वपूर्ण स्थान है. साथ ही दूसरी ओर भारत में इसका धार्मिक महत्व भी है. पूजा, विवाह आदि मांगलिक कार्यक्रमों में इसका उपयोग किया जाता है.
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आकार में छोटी हल्दी की यह किस्म दिखने में बहुत सुंदर होती है. इसकी फसल को तैयार होने में 230 दिनों का समय लगता है. इस किस्म को लगाने पर प्रति एकड़ 110 से 115 क्विंटल उपज होती है.
हल्दी की इस वैरायटी के कंद अंदर से ऑरेंज होते हैं. इसकी फसल को तैयार होने में 210 दिन लगते हैं. इस किस्म से प्रति एकड़ करीब 80 से 90 क्विंटल तक पैदावार हासिल हो सकती है.
केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध अनुसंधान संस्थान (सीमैप) द्वारा विकसित हल्दी की यह किस्म सामान्य किस्मों से कम समय में तैयार हो जाती है. सामान्य किस्मों की फसल को तैयार होने में 7 से 9 महीने का समय लगता है, जबकि पीतांबर हल्दी की फसल 5 से 6 महीने ही रेडी हो जाती है. यह किस्म कीट प्रतिरोधी होती है. ऐसे में इससे अच्छी उपज होती है. एक हेक्टेयर में 650 क्विंटल तक उपज हो जाती है.
हल्दी की यह वैरायटी 200 से 210 दिनों में रेडी हो जाती है. इस हल्दी का साइज थोड़ा लंबा होता है और कलर लाइट येलो होता है. किसान इस किस्म से प्रति एकड़ 80 से 90 क्विंटल उपज प्राप्त कर सकते हैं.
हल्दी की इस किस्म के पौधे करीब 80 से 100 सेंटीमीटर ऊंचे होते हैं। इस वैरायटी की तैयार होने में 210 से 220 दिन का समय लगता है. इस वैरायटी से 200 से 220 क्विंटल प्रति एकड़ हल्दी की उपज हासिल की जा सकती है.
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