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क्या महंगी होने वाली है तुअर और उड़द दाल, सरकार ने व्यापारियों को क्यों दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी?

क्या महंगी होने वाली है तुअर और उड़द दाल, सरकार ने व्यापारियों को क्यों दी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी?

सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इस वर्ष चना 104.74 लाख हेक्टेयर में बोया गया है, जो सामान्य क्षेत्रफल 100.92 लाख हेक्टेयर से अधिक है. लेकिन पिछले साल के 110.71 लाख हेक्टेयर से कम है. इसी तरह मसूर की बुआई 19.6 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो लगभग 13-14 प्रतिशत की वृद्धि है.

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महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार का बड़ा प्लान. (सांकेतिक फोटो) महंगाई पर लगाम लगाने के लिए सरकार का बड़ा प्लान. (सांकेतिक फोटो)

केंद्र सरकार ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए कमर कस ली है. उसने दलहन व्यापारियों की चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में अगर तुअर और उड़द की कीमतों में औसत से ज्यादा बढ़ोतरी होती है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि अगर हम उत्पादन और बफर स्टॉक पर विचार करें तो चने का प्रयाप्त स्टॉक है. ऐसे में चने को लेकर कोई समस्या नहीं है. लेकिन कुछ लोग गलत माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं कि चने की भी कमी होने वाली है, जोकि गलत है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इस गलतफहमी में मत रहिए कि चने की कमी होगी. देश में चने का पर्याप्त उत्पादन हुआ है और पर्याप्त बफर स्टॉक भी उपलब्ध है. चने के मोर्चे पर चिंता का कोई कारण नहीं है. उन्होंने कहा कि रबी सीजन में दलहन उत्पादन का लगभग 65 प्रतिशत हिस्सा होता है, जो मुख्य रूप से चना द्वारा संचालित होता है. पिछले पांच वर्षों में, रबी के दौरान औसत बुआई 160 लाख हेक्टेयर (एलएच) है, जिसमें चने का क्षेत्र लगभग 105 लाख हेक्टेयर था. उन्होंने कहा कि इस साल भी सीडिंग पांच साल के औसत के बराबर ही है.

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मसूर को लेकर नहीं है कोई चिंता

सचिव रोहित कुमार सिंह ने कहा कि इस वर्ष चना 104.74 लाख हेक्टेयर में बोया गया है, जो सामान्य क्षेत्रफल 100.92 लाख हेक्टेयर से अधिक है. लेकिन पिछले साल के 110.71 लाख हेक्टेयर से कम है. इसी तरह मसूर की बुआई 19.6 लाख हेक्टेयर में हुई है, जो लगभग 13-14 प्रतिशत की वृद्धि है. जबकि, मसूर का उत्पादन लगभग 13-14 लाख टन है और खपत 20-22 लाख टन है. सिंह ने कहा कि इस साल हमारा मसूर उत्पादन अधिक है और ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और अन्य उत्पादक क्षेत्रों में अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अच्छी उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि मसूर के मोर्चे पर कोई चिंता नहीं है.

ब्राजील से 3000 टन आयात

सिंह ने कहा कि उड़द के मामले में रकबे में 10-11 प्रतिशत की गिरावट आई है और मांग-आपूर्ति में अंतर लगभग 7.5-7.8 लाख टन है. उनकी माने तो हमारा सारा आयात म्यांमार से होता है. हम ब्राजील और अन्य उत्पादक देशों के साथ बातचीत कर रहे हैं. ब्राजील से आयात 3,000 टन तक रहा है. सिंह ने आगे कहा कि तूर के मामले में भी भारत को म्यांमार के साथ दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. अगर यह अटकल जारी रहती है, और तुअर की कीमतें अनुचित कारणों से बढ़ती हैं, तो हमें अगले 2-4 दिनों में कड़े फैसले लेने पड़ सकते हैं. हम यह अनिवार्य कर सकते हैं कि केवल सरकार ही आयात करे.

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क्या है सरकार की प्लानिंग

उन्होंने कहा कि हम पिछले 15 दिनों से कीमतों पर नजर रख रहे हैं. मैं आपको चेतावनी देता हूं कि यदि तुअर और उड़द में सट्टेबाजी जारी रहती है, यह अनुचित और अनावश्यक है. सिंह ने कहा कि सरकार एमएसपी से ऊपर बाजार से तुअर खरीद रही है. उन्होंने कहा कि हम पहले ही करीब 300 टन खरीद चुके हैं. इसके अलावा, सरकार दालों की मांग-आपूर्ति पर अनुमान लगाने की कोशिश कर रही है.