इस किसान मेले में होती है लाल मिर्च की नुमाइश, दूर-दूर से आते हैं खरीदार

इस किसान मेले में होती है लाल मिर्च की नुमाइश, दूर-दूर से आते हैं खरीदार

मेले में लोकल मिर्च की मांग अधिक होती है जो हुबली (hubballi dry chilli fair) के आसपास उगाई जाती है. इस मिर्च के बगैर बारिश के पानी के उगाया जाता है. 555, जेरोडा, सिजेंटा जैसी किस्में मेले में अधिक आती हैं. डब्बी मिर्च की वेरायटी का सबसे अधिक रेट 600-700 रुपये तक है.

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इस किसान मेले में होती है लाल मिर्च की नुमाइश, दूर-दूर से आते हैं खरीदारकर्नाटक के हुबली में लगा लाल मिर्च का मेला (फोटो-ANI)

मेले तो आपने कई देखे होंगे. लेकिन क्या कभी लाल मिर्च का मेला (dry chilli fair) देखा है? एक ऐसा ही मेला कर्नाटक के हुबली में 20 जनवरी को शुरू हुआ है. इस अनोखे मेले में लाल मिर्च की नुमाइश होती है. इस प्रदर्शनी में दूर-दूर के किसान अपनी मिर्च लेकर बेचने आते हैं. इसे खरीदने वाले भी दूर-दूर से आते हैं. जिस मिर्च का तीखापन, रंग और आकार जितना अच्छा होता है, उसे उतने ही अच्छे दाम मिलते हैं. हुबली में शुरू हुआ यह मेला 22 जनवरी तक चलेगा. इस मेले में तकरीबन 100 किसान अपनी मिर्च लेकर पहुंचे हैं.

तीन साल के बाद इस मिर्च मेले (dry chilli fair) का आयोजन किया गया है. कोरोना महामारी फैलने के बाद तीन साल से इस मेले को रोक दिया गया था. लेकिन इस बार किसानों और खरीदारों में पूरा उत्साह देखा जा रहा है. मेले में खरीदार के तौर पर अधिकांश महिलाएं शामिल हो रही हैं क्योंकि घर-गृहस्थी का काम उन्हें ही संभालना होता है. इस मेले को मसाला बोर्ड ने आयोजित किया है. 

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हुबली में मिर्च मेले (dry chilli fair) का आयोजन हर साल होता रहा है, लेकिन तीन साल से कोरोना की वजह से यह बंद था. इस मेले में दूर-दूर से किसान मिर्च की अलग-अलग वेरायटी लेकर आते हैं. इस मेले के जरिये किसान और उपभोक्ता सीधा एक दूसरे से बिजनेस करते हैं. इसके लिए उपभोक्ता को किसी दुकान पर जाने की जरूरत नही होती. इससे किसानों को जहां मिर्च के अच्छे रेट मिल जाते हैं, वहीं उपभोक्ता भी सस्ते में मिर्च खरीदते हैं.

मेले में लोकल मिर्च की मांग अधिक होती है जो हुबली (hubballi dry chilli fair) के आसपास उगाई जाती है. इस मिर्च के बगैर बारिश के पानी के उगाया जाता है. 555, जेरोडा, सिजेंटा जैसी किस्में मेले में अधिक आती हैं. डब्बी मिर्च की वेरायटी का सबसे अधिक रेट 600-700 रुपये तक है. मिर्च का भाव उसकी क्वालिटी और साइज पर निर्भर करता है. इस बार बिना मौसम के बारिश का असर हुबली की मिर्च की खेती पर देखा जा रहा है. हुबली की मिर्च 150-200 रुपये किलो तक बिकती है, लेकिन इस बार 500 रुपये के ऊपर है.

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मिर्च की इस महंगाई के बारे में किसान बताते हैं कि बारिश की वजह से फसलें खराब हो गईं और मिर्च की आवक कम हो गई. इस वजह से सप्लाई घट गई लेकिन मांग तेजी से बढ़ती रही. यही वजह है कि मेले में मिर्च की महंगाई अधिक देखी जा रही है. हुबली के किसान खलील अहमद कहते हैं कि मंडी में जब वे मिर्च बेचने जाते हैं तो उन्हें थोक में कई सौ किलो की बिक्री करनी होती है. मंडी में भी 700-800 का रेट मिल जाता है. लेकिन मिर्च मेले में हम आसानी से 10-20 किलो के हिसाब से अच्छी कमाई कर लेते हैं.

मेले में आए एक किसान बताते हैं कि इस बार मिर्च का भाव 250 रुपये से 800 रुपये किलो तक है जो कि कस्टमर को अधिक लग रहा है. मंडी में वे डब्बी मिर्च की आसानी से बिक्री कर लेते हैं, लेकिन मिर्च मेले (dry chilli fair) में ग्राहक वही मिर्च 650 रुपये किलो नहीं लेना चाह रहे. उन्हें यह भाव महंगा लग रहा है. मिर्च की गुंटूर वेरायटी 280 से 300 रुपये किो तक बिक रही है. डब्बी वेरायटी 650 से 700 रुपये किलो चल रही है.

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