पूरे उत्तर भारत में कपास की फसल पर खतरा, तेजी से पसर रहा गुलाबी इल्ली का प्रकोप

पूरे उत्तर भारत में कपास की फसल पर खतरा, तेजी से पसर रहा गुलाबी इल्ली का प्रकोप

इस साल पूरे उत्तर भारत में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इस कीट के प्रकोप से हरियाणा, पंजाब और राजस्थान के किसान काफी परेशान हैं. ये कीट फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है. इससे कपास की पैदावार घटने की आशंका बढ़ गई है.

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पूरे उत्तर भारत में कपास की फसल पर खतरा, तेजी से पसर रहा गुलाबी इल्ली का प्रकोपपूरे उत्तर भारत में कपास की फसल पर गुलाबी इल्ली का खतरा, (सांकेतिक तस्वीर)

इस साल उत्तर भारत के किसान जहां भारी बारिश और कुछ हिस्सों में सूखे से जूझ रहे हैं. वहीं एक संकट उन्हें और परेशान कर रहा है. यह संकट है कीटों का जिससे फसलें प्रभावित हुई हैं. इस कीट के प्रकोप में कपास उत्पादन वाले राज्य शामिल हैं. हरियाणा, पंजाब और राजस्थान जहां अधिक मात्रा में कपास की खेती होती है, वहां इस साल फसलों में पिंक बॉलवर्म यानी कि गुलाबी इल्ली का असर फसलों पर दिखाई दे रहा है. इससे किसान काफी परेशान हैं. कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, गुलाबी बॉलवर्म कपास का सबसे बड़ा दुश्मन कीट है. यह कीट अपना पूरा जीवन कपास पर ही पूरा करता है और यह छोटे पौधे से लेकर कली, फूल तक को खाकर उसे नुकसान पहुंचाता है.

जोधपुर स्थित साउथ एशिया बायोटेक्नोलॉजी सेंटर (SABC) के निदेशक भागीरथ चौधरी ने कहा कि कपास की फसल पर गुलाबी बॉलवर्म के हमले के खतरे में पिछले दो वर्षों की तुलना में इस वर्ष कीटों के हमलों की तीव्रता अधिक देखी जा रही है जबकि उत्तर में खरीफ 2022-23 के दौरान कपास में गुलाबी बॉलवर्म केवल सीजन के अंत में देखा गया था. वहीं इस साल यह कीट सीजन की शुरुआत में ही लगने लगे हैं जो किसानों के लिए एक बड़ा खतरा है.

गुलाबी इल्ली से उपज में आती है कमी

आम तौर पर, गुलाबी बॉलवर्म फसल को मध्य और अंतिम चरण में प्रभावित करता है जिससे उपज में कमी आती है और क्वालिटी प्रभावित होती है. अगर बात करें 2017-18 की तो भारत का उत्तरी क्षेत्र गुलाबी बॉलवर्म संक्रमण से मुक्त था, लेकिन 2018-19 और उसके बाद के वर्षों में जींद और बठिंडा से आर्थिक कीट के हमलों की सूचना मिली थी. वहीं पंजाब में कपास की फसल में गिरावट के बावजूद, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान वाले उत्तरी क्षेत्र में कपास का क्षेत्रफल 15.44 लाख हेक्टेयर की तुलना में बढ़कर 16.17 लाख हेक्टेयर हो गया है.

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पंजाब में कपास खेती में कमी

हाल के वर्षों में सफेद मक्खियों और गुलाबी बॉलवर्म जैसे कीटों के हमलों से बुरी तरह प्रभावित होकर, पंजाब में किसानों ने पिछले साल के 2.54 लाख हेक्टेयर की तुलना में कपास की फसलों की खेती के क्षेत्र को घटाकर 1.7 लाख हेक्टेयर कर दिया है. वहीं हरियाणा में कपास का क्षेत्र एक साल पहले जहां 6.45 लाख हेक्टेयर या उससे बढ़कर 6.65 लाख हेक्टेयर हो गया है. इसके अलावा राजस्थान में किसानों ने कपास के रकबा में 21 प्रतिशत बढ़ोतरी की है. अब इनका रकबा 7.82 लाख हेक्टेयर हो गया है.

वायरस का देखा गया प्रकोप 

आईसीएआर-सेंट्रल इंस्टीट्यूट फॉर कॉटन रिसर्च के अनुसार, पंजाब के भटिंडा और फरीदकोट जैसे शुरुआती बोए गए क्षेत्रों में, कपास की फसल फूल और बॉल बनने के चरण में है. ऐसे में कुछ स्थानों पर सफेद मक्खी और कपास की पत्ती मोड़ने वाले वायरस का प्रकोप देखा गया है.

जल्द प्रबंधन से होगा कम नुकसान

SABC अपने प्रोजेक्ट बंधन के माध्यम से उत्तर भारत में कपास के खेतों का नियमित रूप से सर्वेक्षण कर रहा है और पाया है कि गुलाबी बॉलवॉर्म हरे बॉल्स में अधिक देखा जा रहा है. SABC के निदेशक भागीरथ चौधरी ने कहा कि गुलाबी बॉलवॉर्म यानी इल्ली के प्रबंधन के लिए बहुत जल्दी आवश्यक कदम उठाने चाहिए ताकि कपास में गुलाबी इल्ली से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके.

 

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