केले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए ये उपाय कर लें किसान

केले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए ये उपाय कर लें किसान

केले के फल में सिगाटोका रोग और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है. जो फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इन रोगों के लगने से किसानों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है.

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केले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये 3 रोग, फसल को बचाने के लिए ये उपाय कर लें किसानकेले की खेती के लिए बेहद खतरनाक हैं ये रोग

केले की खेती से किसान बेहतर मुनाफा कमाते हैं, लेकिन जून-जुलाई के महीने में केले के फलों में रोग लगने का भी खतरा बढ़ जाता है. जून-जुलाई के महीने में केले के फल में सिगाटोका रोग और पनामा विल्ट रोग का प्रभाव देखा जाता है. जो फफूंद जनित रोग है, जिसकी पहचान और प्रबंधन करना किसानों के लिए बहुत जरूरी होता है. इन रोगों के लगने से किसानों को कई बार नुकसान का सामना करना पड़ता है, इन्हीं समस्याओं के निजात के लिए बिहार कृषि विभाग ने केले में लगने वाले रोग से बचाव के उपाय बताएं हैं. इस उपाय को अपनाकर बिहार के किसान अपनी केले की फसल को बा सकते हैं. 

क्या हैं इन रोगों के लक्षण

पीला सिगाटोका- इस रोग के कारण केले के नए पत्ते की ऊपरी भाग पर हल्का पीला दाग या धारीदार लाईन के रूप में परिलक्षित होता है. बाद में ये धब्बे बड़े और भूरे रंग के हो जाते हैं, जिसका केंद्र हल्का कत्थई रंग का होता है. इस रोग को लगने से फलों के उत्पादन पर असर पड़ता है.

काला सिगाटोका- इस रोग के कारण केले के पत्तियों के निचले भाग पर काला धब्बा, धारीदार लाईन के रूप में होता है. ये बारिश के दिनों में अधिक तापमान होने के कारण फैलते हैं और इनके प्रभाव से केले परिपक्व होने से पहले ही पक जाते हैं, जिसके कारण किसानों को उचित लाभ नहीं मिल पाता है.

पनामा विल्ट- अचानक सम्पूर्ण पौधे का सूखना या नीचे के हिस्से की पत्ती का सूखना इस रोग का प्रमुख लक्षण है. इस रोग के लगने पर पत्तियां पीली होकर रंगहीन हो जाती है, जो बाद में मुरझा कर सूख जाती है. उसके बाद तने सड़ जाते हैं और अंदर से सड़ी मछली की दुर्गन्ध आती है.  

इन रोगों से बचाव के उपाय

1. सिगाटोका और पनामा विल्ट रोग से बचाव के लिए प्रतिरोधी किस्म के पौधे लगाएं. साथ ही खेत को खरपतवार से मुक्त रखें, खेत से अधिक पानी की निकासी कर लें और 1 किलो ट्राईकोडर्मा विरिडे को 25 किलो गोबर खाद के साथ प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला दें.

2. काला सिगाटोका रोग से बचाव के लिए रासायनिक फफूंदनाशी कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.

3. पनामा रोग से बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम  डब्लू.पी. 1 ग्राम प्रति लीटर पानी के घोल बनाकर छिड़काव करें. केले की पत्तियां चिकनी होती है, ऐसे में घोल में स्टीकर मिला देना लाभदायक होता है. 

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