तेलंगाना में मिर्च के रेट में 25 प्रतिशत की गिरावट, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान, जानें मंडी भाव

तेलंगाना में मिर्च के रेट में 25 प्रतिशत की गिरावट, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान, जानें मंडी भाव

तेलंगाना रायथू संघम के नेता बोंथु रामबाबू का कहना है कि इस साल प्रदेश में कीटों और बीमारियां लगने से मिर्च की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में सरकार ने खम्मम और वारंगल में कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम तैनात की है, क्योंकि इन दो जिलों में किसान सबसे अधिक मिर्च की खेती करते हैं.

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तेलंगाना में मिर्च के रेट में 25 प्रतिशत की गिरावट, लागत भी नहीं निकाल पा रहे किसान, जानें मंडी भावतेलंगाना में मिर्च की कीमत में गिरावट. (सांकेतिक फोटो)

तेलंगाना में मिर्च के रेट में भारी गिरावट आई है. इससे मिर्च उत्पादक किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है. किसानों का कहना है कि मिर्च की होलसेल में रेट में गिरावट आने से वे लागत भी नहीं निकाल पा रहे हैं. ऐसे में सरकार को मिर्च उत्पादक किसानों के हित में कुछ फैसला लेना चाहिए. खास बात यह है पहले ब्लैक थ्रिप्स कीट और विल्टिंग बीमारी ने मिर्च की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचाया था और अब कीमत में गिरावट आने से किसानों के ऊपर दोहरी मार पड़ी है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, तेलंगाना की मंडियों में सप्लाई बढ़ने से मिर्च के होलसेल रेट में गिरावट आई है. पिछले दो महीने के अंदर मिर्च की कीमतों में 16 से 25 प्रतिशत तक कम हुए हैं. इससे तेलंगाना के किसान काफी नाराज है. तेलंगाना कृषि विपणन विभाग के आंकड़ों के अनुसार, दो महीने पहले वारंगल कृषि मंडी में तेजा किस्म का रेट 21500 रुपये क्विंटल था, जो अब घटकर 18000 रुपये प्रति क्विंटल हो गया है. इसी तरह, वंडरहॉट किस्म की होलसेल कीमत इसी अवधि के दौरान 24000 से प्रति क्विंटल थी, जो अब गिरकर 18000 रुपये पर पहुंच गई है. हालांकि, एक साल पहले, तेजा किस्म की कीमत 19150 रुपये प्रति क्विंटल और वोंडेहोट किस्म की कीमत 34,000 रुपये प्रति क्विंटल थी.

मिर्च का मंडी भाव

तेलंगाना रायथू संघम के नेता बोंथु रामबाबू का कहना है कि इस साल प्रदेश में कीटों और बीमारियां लगने से मिर्च की फसल को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. ऐसे में सरकार ने खम्मम और वारंगल में कृषि वैज्ञानिकों की एक टीम तैनात की है, क्योंकि इन दो जिलों में किसान सबसे अधिक मिर्च की खेती करते हैं. यहां वैज्ञानिक कीटों और बीमारियों के प्रभाव का अध्ययन करेंगे. उनकी माने तो कीमत में गिरावट ने किसानों को परेशान कर दिया है. ऐसे में किसान अपनी उपज के लिए 25,000 रुपये प्रति क्विंटल की मांग कर रहे हैं. उनका आरोप है कि उन्हें मार्केट में केवल 13000-16000 रुपये प्रति क्विंटल ही रेट मिल रहा है. ऐसे में नुकसान उठाना पड़ रहा है.

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क्या करते हैं व्यापारी

बोंथु रामबाबू की माने तो मंडी खुलने पर सुबह- सुबह व्यापारी अच्छे रेट के साथ मिर्च की बोली लगाना शुरू करते हैं. लेकिन व्यापार आगे बढ़ने के बाद कीमतों में गिरावट आ जाती है. वे सुबह मंडियों में मिर्च का रेट 24000-25000 रुपये प्रति क्विंटल से शुरू करते हैं,  लेकिन जैसे- जैसे दिन चढ़ता है, वे उपज की खराब गुणवत्ता का हवाला देते हुए इसे कम कर देते हैं. उन्होंने कहा कि इस साल पैदावार कम हुई है. वहीं, अखिल भारतीय किसान महासंघ की राज्य इकाई के अध्यक्ष पेद्दारापु रमेश ने कहा कि लागत को कवर करने के लिए, किसानों को कम से कम न्यूनतम खरीद मूल्य 25000 रुपये प्रति क्विंटल मिलना चाहिए.

इसके चलते कीमतों में आई गिरावट

प्रोफेसर जयशंकर तेलंगाना राज्य कृषि विश्वविद्यालय (पीजेटीएसएयू) के वैज्ञानिकों ने कहा है कि इस वर्ष ब्लैक थ्रिप्स रोग ने उतना अधिक फसल को प्रभावित नहीं किया है. यूनिवर्सिटी की मार्केट इंटेलिजेंस ने इस महीने के दौरान मिर्च की कीमतें लगभग 18000-19500 रुपये प्रति क्विंटल आंकी हैं, क्योंकि ऊंची कीमतों को देखते हुए खरीदारों ने खरीदारी कम कर दी.

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किसान न करें चिंता

बता दें कि तेलंगाना देश का प्रमुख मिर्च उत्पादक राज्य है. यहां किसान करीब 4 लाख एकड़ में इसकी खेती करते हैं. प्रति एकड़ 1,865 किलो ग्राम की उपज होती है. ऐसे राज्य में मिर्च का उत्पादन 7.19 लाख टन है. तीसरे अग्रिम अनुमान के अनुसार, राज्य का मिर्च उत्पादन 2021-22 में 7.16 लाख टन के मुकाबले 2022-23 के लिए 5.32 लाख टन आंका गया था. वहीं, तेलंगाना बागवानी विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि किसानों को घबराने की कोई जरूरत नहीं है. ब्लैक थ्रिप्स कीटों की कम संख्या कोई समस्या पैदा नहीं करती है.

 

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