मटर की खेती रबी फसलों की बुवाई का समय शुरू हो चुका है. वैसे तो इस सीजन की खास फसल गेहूं और सरसों को माना जाता है लेकिन इस सीजन में दलहन फसलें भी खूब उगाई जाती हैं. आज आपको मटर की खेती के बारे में बताने जा रहे हैं. मटर इस सीजन की खास फसल है. आने वाले कुछ ही समय में हर रोज मटर की सब्जी और स्नैक्स हर घर में बनने की भी लगेंगे. अगर आप भी मटर उगाने जा रहे हैं तो आपको खेत की अच्छी तैयारी करनी चाहिए. खेत की बेहतर तैयारी के साथ ही उसकी देखभाल के बारे में भी जानिए ताकि आप अच्छी पैदावार प्राप्त कर सकें.
मटर की खेती के लिए दोमट या बलुई-दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है. मिट्टी का pH 6–7.5 के बीच होना चाहिए और पानी की निकासी की अच्छी व्यवस्था भी होनी चाहिए. अब खेत की बारीक जुताई करें और पुरानी फसल के अवशेष हटा दीजिए. इसके बाद 8-10 टन प्रति एकड़ के हिसाब से सड़े हुए गोबर की खाद को पलट कर पाटा चलाएं ताकि खाद मिट्टी में अच्छी तरह से मिल जाए. इसके बाद 30 से 45 सेमी की दूरी पर कतारें बनाएं, बेहतर जल निकासी के लिए उठी हुई क्यारियां बनाएं ताकि जल जमाव ना होने पाए.
एक एकड़ के खेत में लगभग 25–35 किलो बीज पर्याप्त होते हैं. बीज का आकार और किस्म के अनुसार मात्रा थोड़ी कम या ज्यादा हो सकती है. बुवाई के लिए बीज को 4–5 सेंटीमीटर गहराई पर बोएं और पौधे से पौधे की दूरी में 5–7 सेंटीमीटर के गैप का ध्यान रखना जरूरी होता है. आप बीजों को हाथ से या सीड ड्रिल मशीन से बो सकते हैं लेकिन बुवाई से पहले मिट्टी में नमी बनी रहे ताकि बीजों के अंकुरण में मदद मिल सके.
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मटर की खेती करने वाले किसानों को बता दें कि इसमें बहुत अधिक पानी की जरूरत नहीं होती है. 3-4 बार की सिंचाई पर्याप्त मानी जाती है. पहली बार बुवाई के 20-25 दिनों में सींचें ताकि पौधे तेजी से बढ़ें, इसके बाद फूल आने की स्थिति में सिंचाई करें और तीसरी सिंचाई पौधों में फली आने के समय करें. खाद की बात करें तो बुवाई से पहले ही 10 टन प्रति एकड़ गोबर मिला दिया जाता है. दूसरी बार चाहें तो फूल आने पर 3-4 क्विंटल वर्मी कंपोस्ट का छिड़काव पर्याप्त माना जाता है.
मटर की खेती करने वाले किसानों को पता होगा कि अधिकांश किस्में 70-100 दिनों के बीच में तैयार हो जाती हैं. मटर की फसल तैयार होने का औसतन समय 3 महीना ही माना जाता है. आपको बता दें कि जब फली पूरी तरह भर जाए और दाने कोमल व चमकीले हरे हों तो कटाई कर सकते हैं. अगर दाने सूखे मटर के लिए हैं, तो फली पीली होने लगने पर कटाई करना चाहिए. हरी मटर के लिए 3-4 दिनों के अंतराल में 2–3 बार तुड़ाई करें.
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