Soybean Farming: सोयाबीन की खेती में टॉप 5 देश है भारत, आखिर क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज

Soybean Farming: सोयाबीन की खेती में टॉप 5 देश है भारत, आखिर क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज

विशेषज्ञों के अनुसार तेजी से बढ़ती घरेलू मांग, बेहतर बाजार व्यवस्था, कम लागत और मिट्टी सुधार जैसे फायदे सोयाबीन को किसानों की पसंदीदा फसल बना रहे हैं. यही कारण है कि आज भारत सोयाबीन उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है और आने वाले समय में इसका दायरा और बढ़ने की पूरी संभावना है.

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Soybean Farming: सोयाबीन की खेती में टॉप 5 देश है भारत, आखिर क्यों बढ़ रहा इसका क्रेज

भारत आज सोयाबीन उत्पादन के मामले में दुनिया के प्रमुख देशों में शामिल हो चुका है. ब्राजील, अर्जेंटीना, अमेरिका और चीन के बाद भारत पांचवां सबसे बड़ा सोयाबीन उत्पादक देश बन गया है. बीते कुछ वर्षों में देश के कई राज्यों में सोयाबीन की खेती तेजी से बढ़ी है और किसान इसे एक भरोसेमंद नकदी फसल के रूप में अपना रहे हैं. सोयाबीन को तिलहनी फसलों की रीढ़ कहा जाता है. इसमें प्रोटीन और तेल दोनों की भरपूर मात्रा होती है. यही वजह है कि इसकी मांग खाद्य उद्योग से लेकर पशु आहार और निर्यात बाजार तक लगातार बनी रहती है.

क्यों बढ़ा सोयाबीन का चलन

सोयाबीन की लोकप्रियता बढ़ने की सबसे बड़ी वजह है इसकी स्थिर मांग और बेहतर दाम. खाद्य तेल उद्योग में सोयाबीन तेल की खपत तेजी से बढ़ी है. इसके अलावा सोया चंक्स, सोया दूध और पशु आहार बनाने में भी इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा है. किसानों के लिए यह फसल इसलिए भी खास है क्योंकि इसकी खेती में लागत अपेक्षाकृत कम आती है और बाजार आसानी से उपलब्ध रहता है. कई राज्यों में प्रोसेसिंग यूनिट और खरीद केंद्र मौजूद हैं, जिससे किसानों को अपनी उपज बेचने में दिक्कत नहीं होती.

मध्य भारत सोयाबीन का हब

भारत में सोयाबीन की खेती का सबसे बड़ा केंद्र मध्य प्रदेश है. इसके अलावा महाराष्ट्र, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में भी इसका रकबा लगातार बढ़ रहा है. मध्य प्रदेश को देश का ‘सोयाबीन स्टेट’ भी कहा जाता है. यह फसल खरीफ मौसम में बोई जाती है और मानसून पर आधारित होती है. 90 से 110 दिन में तैयार होने वाली यह फसल किसानों को समय पर नकदी उपलब्ध करा देती है.

मिट्टी सुधारने में भी मददगार

सोयाबीन सिर्फ मुनाफे की फसल नहीं है, बल्कि यह मिट्टी की सेहत सुधारने में भी मदद करती है. यह एक दलहनी तिलहनी फसल है, जो मिट्टी में नाइट्रोजन स्थिरीकरण करती है. इससे अगली फसल की पैदावार पर भी सकारात्मक असर पड़ता है. इसी वजह से फसल चक्र में सोयाबीन को शामिल करना किसानों के लिए फायदेमंद माना जाता है. सरकार की न्यूनतम समर्थन मूल्य नीति, बेहतर बीज और अनुसंधान संस्थानों द्वारा विकसित उन्नत किस्में भी सोयाबीन की खेती को बढ़ावा दे रही हैं. कीट और रोग प्रतिरोधी किस्मों से किसानों का जोखिम कम हुआ है.

आगे और बढ़ेगा रकबा 

इसके साथ ही आधुनिक कृषि तकनीक, संतुलित पोषण और मशीनों के इस्तेमाल से उत्पादन में सुधार हुआ है. विशेषज्ञों के अनुसार तेजी से बढ़ती घरेलू मांग, बेहतर बाजार व्यवस्था, कम लागत और मिट्टी सुधार जैसे फायदे सोयाबीन को किसानों की पसंदीदा फसल बना रहे हैं. यही कारण है कि आज भारत सोयाबीन उत्पादन में दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल हो चुका है और आने वाले समय में इसका दायरा और बढ़ने की पूरी संभावना है.

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