Bok Choy: सिर्फ 30 से 45 दिन में तैयार हो जाती है यह फसल, उत्तर से लेकर दक्षिण तक किसानों की फेवरिट 

Bok Choy: सिर्फ 30 से 45 दिन में तैयार हो जाती है यह फसल, उत्तर से लेकर दक्षिण तक किसानों की फेवरिट 

बोक चॉय ठंडे मौसम की सब्जी है, इसलिए यह भारतीय सर्दियों के लिए एकदम सही है. उत्तर भारत के राज्‍यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश इसकी खेती का सही समय अक्टूबर से फरवरी तक माना जाता है. वहीं दक्षिण भारत के राज्‍यों जैसे तमिलनाडु और केरल में यह सब्‍जी तब उगती है जब यहां पर हल्‍की सर्दियां होती हैं.

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Bok Choy: सिर्फ 30 से 45 दिन में तैयार हो जाती है यह फसल, उत्तर से लेकर दक्षिण तक किसानों की फेवरिट 

कुछ साल पहले तक भारतीय रसोई में शायद ही सुनी जाने वाली चाइनीज सब्जी बोक चॉय आज देश के कई हिस्सों में किसानों की पसंद बनती जा रही है. उत्तर भारत के मैदानी इलाकों से लेकर दक्षिण भारत के पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों तक इसकी खेती तेज़ी से बढ़ रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह है कम समय में तैयार होने वाली फसल, बढ़ती मांग और अच्छा मुनाफा. बोक चॉय को चाइनीज पत्तागोभी भी कहा जाता है. यह सब्जी दिखने में पालक और पत्तागोभी का मिश्रण लगती है. इसके मोटे सफेद डंठल और हरी कोमल पत्तियां होती हैं. स्वाद में हल्की मीठी और क्रंची होने के कारण यह एशियन डिशेज के साथ-साथ अब भारतीय व्यंजनों में भी इस्तेमाल होने लगी है.

किन-किन राज्‍यों में होती खेती 

बोक चॉय ठंडे मौसम की सब्जी है, इसलिए यह भारतीय सर्दियों के लिए एकदम सही है. उत्तर भारत के राज्‍यों पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश इसकी खेती का सही समय अक्टूबर से फरवरी तक माना जाता है. वहीं दक्षिण भारत के राज्‍यों जैसे तमिलनाडु और केरल में यह सब्‍जी तब उगती है जब यहां पर हल्‍की सर्दियां होती हैं. इन राज्‍यों में इसकी खेती नवंबर से जनवरी तक की जाती है. वहीं सिक्किम और पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में यह अक्टूबर से मार्च तक अच्छी तरह उगती है. इसके अलावा गुजरात और राजस्थान जैसे पश्चिमी राज्यों में, इसे नवंबर से फरवरी की शुरुआत तक उगाना सबसे अच्छा होता है, इससे पहले कि गर्म मौसम शुरू हो जाए.

क्यों बढ़ रही है खेती

सबसे बड़ा कारण है बदलती फूड हैबिट्स. शहरी इलाकों में चाइनीज, थाई और कोरियन फूड की मांग तेजी से बढ़ी है. होटल, रेस्टोरेंट और फाइव-स्टार किचन में बोक चॉय की नियमित जरूरत रहती है. यही वजह है कि किसान इसे नकदी फसल के रूप में देख रहे हैं. दूसरी बड़ी वजह है इसका कम समय में तैयार होना. बोक चॉय की फसल महज 30 से 45 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इससे किसान एक ही मौसम में कई बार फसल ले सकते हैं. कम लागत और जल्दी रिटर्न इसे खास बनाता है.बोक चॉय सिर्फ मुनाफे के लिए ही नहीं, बल्कि सेहत के लिहाज से भी खास है. इसमें विटामिन A, C, K, कैल्शियम और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. यही वजह है कि हेल्थ-कॉन्शस लोग इसे तेजी से अपना रहे हैं. 

किसानों के लिए आसान 

बोक चॉय की खेती ज्यादा मुश्किल नहीं है. यह ठंडी और हल्की गर्म जलवायु दोनों में उगाई जा सकती है. उत्तर भारत में इसे अक्टूबर से फरवरी के बीच उगाया जाता है, जबकि दक्षिण भारत में यह लगभग सालभर उगाई जा सकती है. इस फसल के लिए अच्छी जल निकासी वाली दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है. बीज बोने के 10–12 दिन में पौधे निकल आते हैं. ज्यादा खाद या रसायन की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे यह लो-इनपुट फसल बन जाती है.

कम लागत, ज्यादा मुनाफा

बोक चॉय की सबसे बड़ी ताकत इसका बाजार भाव है. स्थानीय मंडियों के अलावा होटल और रेस्टोरेंट से सीधी डील होने पर किसानों को 60 से 150 रुपये प्रति किलो तक दाम मिल जाता है. ऑर्गेनिक बोक चॉय की कीमत इससे भी ज्यादा होती है. कई किसान इसे किचन गार्डन, पॉलीहाउस और हाइड्रोपोनिक सिस्टम में उगाकर बेहतर मुनाफा कमा रहे हैं. छोटे किसान भी सीमित जमीन में इसकी खेती करके अच्छी आय हासिल कर रहे हैं.

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