Frost Attack: गेहूं की फसल के लिए रामबाण है सरसों की खली, पाले से सुरक्षा और बढ़ेगी पैदावार

Frost Attack: गेहूं की फसल के लिए रामबाण है सरसों की खली, पाले से सुरक्षा और बढ़ेगी पैदावार

सरसों की खली न सिर्फ गेहूं को जरूरी पोषक तत्व देती है, बल्कि पाले से बचाव, कीट नियंत्रण और दानों की क्वालिटी सुधारने में भी कारगर साबित होती है.

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Frost Attack: गेहूं की फसल के लिए रामबाण है सरसों की खली, पाले से सुरक्षा और बढ़ेगी पैदावारगेहूं पर पाले के अटैक से सावधान

गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए सरसों की खली एक सस्ता, टिकाऊ और बेहद असरदार विकल्प बनकर सामने आई है. यह एक जैविक खाद है, जो फसल को पोषण देने के साथ-साथ मिट्टी की उर्वरता को भी बढ़ाती है. विशेषज्ञों के मुताबिक सरसों की खली का सही समय और सही मात्रा में उपयोग करने से गेहूं की पैदावार और क्वालिटी दोनों में बड़ा सुधार देखा गया है.

सरसों की खली में नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश और सल्फर जैसे जरूरी पोषक तत्व पाए जाते हैं. इसमें मौजूद सल्फर गेहूं के दानों में चमक लाने और प्रोटीन की मात्रा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाता है. यह खाद धीरे-धीरे मिट्टी में घुलती है, जिससे फसल को लंबे समय तक पोषण मिलता रहता है.

सरसों की खली के फायदे

खेती विशेषज्ञों के अनुसार, सरसों की खली मिट्टी को भुरभुरा बनाती है, जिससे गेहूं की जड़ें गहराई तक जाती हैं और पौधा गिरने से बचा रहता है. इसकी तीखी गंध के कारण मिट्टी में दीमक, निमाटोड और फंगल रोगों का प्रकोप भी कम होता है.

सर्दियों के मौसम में इसका एक और बड़ा फायदा यह है कि इसकी तासीर गर्म होती है, जिससे दिसंबर-जनवरी में पड़ने वाले पाले से गेहूं की फसल को सुरक्षा मिलती है. इससे बालियां भरपूर विकसित होती हैं और दानों का वजन बढ़ता है.

सरसों की खली का उपयोग किसान बुवाई के समय खेत की तैयारी के दौरान 20 से 30 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में मिला सकते हैं. यदि बुवाई के समय इसका प्रयोग नहीं किया गया हो, तो पहली या दूसरी सिंचाई से पहले इसे बारीक पाउडर बनाकर यूरिया या मिट्टी के साथ छिड़काव कर सकते हैं.

कम लागत और ज्यादा फायदे के कारण सरसों की खली गेहूं उत्पादक किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प के रूप में तेजी से लोकप्रिय हो रही है.

गेहूं के कल्ले बढ़ाने के उपाय

किसान गेहूं में ह्यूमिक एसिड डालकर भी पैदावार बढ़ा सकते हैं. यह एसिड मिट्टी की बनावट में सुधार करता है, जड़ का विकास बढ़ाता है, पौधों में पोषक तत्वों का अवशोषण बढ़ाता है. इसे 1-2 किलो प्रति एकड़ की दर से डालते हैं. इसी तरह, माइकोराइजा भी पौधों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध बनाकर पोषक तत्वों और पानी के अवशोषण में सुधार करता है. इसे 4-6 किलो प्रति एकड़ की दर से इस्तेमाल किया जाता है.

किसान गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए एनपीके 19-19-19 भी डाल सकते हैं. यह खाद गेहूं के सभी विकास चरणों में पौधों को जरूरी नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम देती है. इसे प्रति लीटर पानी में 4-5 ग्राम मिलाकर फसल को दिया जाता है. गेहूं में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को पूरा करने, पौधों की हर तरह से वृद्धि और उपज में सुधार के लिए मिक्स माइक्रो न्यूट्रिएंट 100 ग्राम प्रति एकड़ की दर से डाल सकते हैं.

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