
प्याज के बढ़ते दाम से परेशान उपभोक्ताओं को राहत दिलाने के लिए 35 रुपये किलो के रियायती रेट पर सरकार जो प्याज बिकवा रही है उसकी गुणवत्ता कैसी है? इस सवाल का जवाब जानने के लिए हमने उस वैन तक जाने का फैसला किया जिस पर सरकारी रेट वाला प्याज बेचा जा रहा है. इसके लिए हमने वीवीआईपी क्षेत्र में आने वाले केंद्रीय सचिवालय को चुना, जहां यह उम्मीद थी कि सबसे अच्छी गुणवत्ता का प्याज बिक रहा होगा, क्योंकि यहां पर खेती और उपभोक्ताओं से जुड़े मंत्रालय हैं. नई दिल्ली के कृषि भवन के सामने नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर्स फेडरेशन (NCCF) की एक वैन खड़ी थी. इसमें हमें जो प्याज बिकता मिला उसकी गुणवत्ता बेहद खराब थी. जबकि एनसीसीएफ बफर स्टॉक के लिए जो प्याज खरीदता है वो सुपर क्वालिटी का होता है.
बाजार में जो सबसे अच्छी गुणवत्ता का प्याज होता है, यह सहकारी संगठन बफर स्टॉक के लिए उसे ही खरीदता है. बफर स्टॉक में रखे गए इस प्याज को उस वक्त उपभोक्ताओं को सस्ते दाम पर बेचना होता है जब ओपन मार्केट में उसका दाम बहुत बढ़ गया हो. इस वक्त ऐसे ही हालात हैं. प्याज के दाम 70 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. ऐसे में सरकार के कहने पर उपभोक्ताओं को सस्ता प्याज उपलब्ध करवाने के लिए एनसीसीएफ जगह-जगह पर अपनी वैन खड़ी किए हुए हैं. बाकी जगहों का तो पता नहीं, लेकिन कृषि मंत्रालय के सामने खड़ी वैन में जो प्याज बिक रहा था उसे आप सी ग्रेड में भी नहीं रख सकते, जबकि खरीद अव्वल दर्जे वाले प्याज की हुई थी.
तो यहां बड़ा सवाल यही है कि जब एनसीसीएफ ने किसानों से बफर स्टॉक के लिए सुपर क्वालिटी के प्याज खरीदे थे तो फिर उपभोक्ताओं के लिए इतनी खराब गुणवत्ता वाला प्याज क्यों बिक रहा है? वो भी कृषि भवन के बिल्कुल सामने, जिसमें न सिर्फ कृषि बल्कि उपभोक्ता मामले का मंत्रालय भी है. कृषि और उपभोक्ता मामले मंत्रालय के सामने अगर इतनी खराब गुणवत्ता वाला प्याज बेचा जा सकता है तो दूसरे स्थानों पर एनसीसीएफ द्वारा बेचे जाने वाले प्याज की गुणचत्ता कैसी होगी? इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं.
महाराष्ट्र देश का सबसे बड़ा प्याज उत्पादक राज्य है. इसलिए एनसीसीएफ बफर स्टॉक के लिए सबसे ज्यादा प्याज महाराष्ट्र से खरीदता है. उपभोक्ताओं के हितों के लिए बने इस सहकारी संगठन ने इस साल करीब 2.5 लाख मीट्रिक टन प्याज खरीदा था. बहरहाल, नासिक स्थित चांदवड तहसील के किसान निवृत्ती विश्वनाथ न्याहारक लगातार एनसीसीएफ के प्याज खरीद में भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं. इसीलिए वो बफर स्टॉक के लिए होने वाली प्याज खरीद की सीबीआई जांच करवाने की मांग भी कर चुके हैं.
ऐसे में अब इस नए मामले ने एनसीसीएफ को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है. सवाल यह है कि अगर किसानों से सुपर क्वालिटी वाला प्याज खरीदा गया था तो क्या जो कृषि भवन के सामने खड़ी वैन में प्याज दिख रहा है वो सुपर क्वालिटी यही है? क्या जो प्याज खरीदा गया था वो उपभोक्ताओं तक नहीं पहुंचा? आखिर क्यों एनसीसीएफ सड़ा और अंकुरित प्याज बेच रहा है? अगर ये वही अच्छा वाला प्याज है जो किसानों से खरीदने के बाद सड़ गया है तो भी यह सवाल खड़ा होता है कि आखिर सड़ा और अंकुरित प्याज क्यों बेचने के लिए लाया गया. अगर प्याज सड़ गया तो इसके लिए कौन जिम्मेदार है?
जब हमने इस बारे में एनसीसीएफ के चेयरमैन से बात की तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि वो इस मामले को दिखवा रहे हैं. हमने उनसे व्हाट्सअप पर सवाल पूछा कि जब एनसीसीएफ ए ग्रेड का प्याज खरीदता है तो फिर उपभोक्ताओं के लिए इतनी निम्न गुणवत्ता वाला प्याज क्यों बिक रहा है, लेकिन उन्होंने इसका कोई जवाब नहीं दिया. यही सवाल हमने एनसीसीएफ की एमडी एनी जोसेफ चंद्रा से भी पूछा लेकिन उनका जवाब भी नहीं आया.
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