बायोफ्यूल बनाने पर चीनी मिलों का जोर, इथेनॉल के लिए बढ़ी गन्ने की खपत

बायोफ्यूल बनाने पर चीनी मिलों का जोर, इथेनॉल के लिए बढ़ी गन्ने की खपत

एक आंकड़ा बताता है कि मौजूदा सीजन में इथेनॉल के लिए एक अक्टूबर से 15 फरवरी तक चीनी का इस्तेमाल 25.8 लाख टन किया गया है. लेकिन ठीक एक साल पहले इसी अवधि में इथेनॉल के लिए चीनी की खपत 18.7 लाख टन रही थी. इस तरह इथेनॉल के लिए चीनी की खपत में 38 परसेंट की तेजी देखी जा रही है.

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बायोफ्यूल बनाने पर चीनी मिलों का जोर, इथेनॉल के लिए बढ़ी गन्ने की खपतइथेनॉल बनाने के लिए गन्ने का इस्तेमाल पहले से बढ़ गया है

आजकल इथेनॉल का दौर है. सरकार ने पेट्रोल में 20 परसेंट इथेनॉल मिलाने की अनुमति दे दी है. इससे देश में इथेनॉल बनाने का काम तेज हो गया है. आने वाला समय पूरी तरह से बायोफ्यूल का होना वाला है और पेट्रोल-डीजल को दरकिनार किया जाएगा. इसी बायोफ्यूल में इथेनॉल भी है. इथेनॉल बनाने के लिए अनाज में चावल का इस्तेमाल होता है. इसी तरह चीनी से भी इथेनॉल बनाया जाता है. ऐसे में चीनी बनाने वाली कंपनियां आजकल अधिक से अधिक बायोफ्यूल का सप्लाई करने में लगी हैं क्योंकि सरकार इसके लिए प्रोत्साहन दे रही है. इसका नतीजा हुआ है कि इथेनॉल बनाने के लिए चीनी का इस्तेमाल पहले से 38 फीसद तक बढ़ गया है.

इंडिय शुगर मिल्स एसोसिएशन यानी कि ISMA के प्रेसिडेंट आदित्य झुनझुनवाला ने 'बिजनेसलाइन' से कहा, लगभग 60 लाख टन चीनी का निर्यात किया जाना है जिनमें से 24 लाख टन चीनी मिलों ने 31 जनवरी तक डिस्पैच कर दिया है. झुनझुनवाला कहते हैं कि उन्हें पूरा भरोसा है कि सरकार ने जो डेडलाइन तय की है, उस तारीख तक पूरी खेप की सप्लाई कर दी जाएगी. 60 लाख टन चीनी का निर्यात 31 मई तक किया जाना है जिसमें देश की चीनी मिलें लगी हैं.

एक आंकड़ा बताता है कि मौजूदा सीजन में इथेनॉल के लिए एक अक्टूबर से 15 फरवरी तक चीनी का इस्तेमाल 25.8 लाख टन किया गया है. लेकिन ठीक एक साल पहले इसी अवधि में इथेनॉल के लिए चीनी की खपत 18.7 लाख टन रही थी. इस तरह इथेनॉल के लिए चीनी की खपत में 38 परसेंट की तेजी देखी जा रही है. पिछले सीजन में इथेनॉल के लिए चीनी मिलों को 35 लाख टन चीनी देना था जिसे इस सीजन में बढ़ाकर 45 लाख टन कर दिया गया है. हालांकि चीनी मिलों को भरोसा है कि वे अपना टारगेट आसानी से पूरा कर लेंगी.

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आदित्य झुनझुनवाला ने कहा, सरकार ने 31 मई तक 60 लाख टन चीनी के निर्यात का लक्ष्य तय किया है. देश में अभी जितनी भी ऑपरेशनल शुगर फैक्ट्रियां हैं, उनमें से 39 परसेंट यानी कि 198 फैक्ट्रियां महाराष्ट्र में हैं. इन फैक्ट्रियों ने मिलकर 85.9 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में 86.2 लाख टन चीनी का उत्पादन किया गया था. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि चीनी मिलें गन्ने से अधिक इथेनॉल बना रही हैं जबकि पहले उनका ध्यान चीनी बनाने पर होता था.

चीनी के लिहाज से देखें तो इथेनॉल बनाने के लिए एक अनुमान के मुताबिक 8.2 लाख टन चीनी का खर्च हो रहा है. एक साल पहले इसी अवधि में यह खर्च 6.1 लाख टन हुआ करता था. इस तरह इथेनॉल बनाने में चीनी का डायवर्जन 34 परसेंट तक बढ़ गया है. देश में सबसे अधिक गन्ना उगाने वाले राज्य उत्तर प्रदेश में 116 ऑपरेशनल चीनी मिलें हैं. इन मिलों में 61.2 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है जबकि पिछले साल यह उत्पादन 59.9 लाख टन हुआ था. 

यूपी की बात करें तो पिछले डेढ़ साल में केवल एक चीनी मिल का काम बंद हुआ है. यूपी में एक साल में इथेनॉल बनाने के लिए चीनी का इस्तेमाल 32 परसेंट तक बढ़ा है. इस साल इथेनॉल के लिए 8.6 लाख टन चीनी सप्लाई की गई, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह सप्लाई 6.5 लाख टन थी. आने वाले समय में इसमें और तेजी आएगी क्योंकि सरकार अधिक से अधिक इथेनॉल बनाने पर जोर दे रही है.

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