लेटस, जिसे 'सलाद पत्ता' भी कहते हैं, दुनिया भर में मशहूर एक बेहतरीन सलाद फसल है. इसका इस्तेमाल पिज्जा, बर्गर, सैंडविच और अन्य फास्ट फूड में खूब होता है. भारत के बड़े शहरों, होटलों और रेस्टोरेंट में इसकी मांग लगातार बढ़ रही है, जिससे यह किसानों के लिए एक व्यावसायिक और मुनाफे वाली फसल बन गई है. इसकी कच्ची, पौष्टिक और स्वादिष्ट पत्तियों के कारण इसे बहुत पसंद किया जाता है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, लेटस की फसल सिर्फ 90 से 100 दिनों में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. सबसे खास बात इसकी पैदावार है. वैज्ञानिक तरीके से खेती करने पर एक एकड़ से लगभग 20 टन तक की उपज मिल सकती है. बाजार में इसकी अच्छी क्वालिटी 50 से 70 रुपये प्रति किलो तक बिक जाती है. इस तरह किसान सारे खर्चे निकालकर एक एकड़ से आसानी से 5 से 6 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा कमा सकते हैं.
भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) के अनुसार, लेटस की कुछ प्रमुख और अच्छी पैदावार देने वाली किस्में ग्रेट ल्यूकस चाइनीज और स्लोवाल्ट (Slobolt) हैं. इसकी खेती के लिए सही समय का चुनाव बहुत जरूरी है. मैदानी इलाके में सितंबर से अक्टूबर का महीना बुवाई के लिए सबसे अच्छा होता है और पहाड़ी इलाके में अगस्त से सितंबर के बीच बुवाई की जाती है. नियंत्रित वातावरण जैसे पॉलीहाउस या हाइड्रोपोनिक तकनीक से इसकी खेती पूरे साल की जा सकती है.
अच्छी उपज के लिए खेत को ठीक से तैयार करना पहला कदम है. खेत की 2-3 गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करें और फिर कल्टीवेटर से 3-4 जुताई करके मिट्टी को भुरभुरा बना लें. इसके बाद प्रति एकड़ 15-20 ट्रॉली अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर मिट्टी में मिला दें. रासायनिक उर्वरक (प्रति एकड़) नाइट्रोजन 50 किलोग्राम, फॉस्फेट: 25 किलोग्राम, पोटाश 32 किलोग्राम. फॉस्फेट और पोटाश की पूरी मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा 25 किलो खेत की अंतिम तैयारी के समय डालें. बची हुई आधी नाइट्रोजन को दो बराबर हिस्सों में बांटकर रोपाई के कुछ हफ्तों बाद छिड़काव करें.
लेटस के बीज सीधे खेत में बोने के बजाय नर्सरी में पौध तैयार करना सबसे अच्छा तरीका है. एक एकड़ खेत के लिए 200 से 250 ग्राम बीज पर्याप्त होता है. इन बीजों को नर्सरी की उठी हुई क्यारियों में बोकर पौध तैयार करें. जब पौधे 5 से 6 सप्ताह के हो जाएं, तब उन्हें मुख्य खेत में कतारों में लगा दें. लगाते समय लाइन से लाइन की दूरी 30 सेमी और पौधे से पौधे की दूरी 25 सेमी रखें.
जब फसल बड़ी हो जाए और पत्तियां उपयोग के लायक दिखने लगें, तो जरूरत के अनुसार उनकी तुड़ाई शुरू कर दें. हमेशा मुलायम और ताज़ी पत्तियों को ही तोड़ें, क्योंकि पुरानी पत्तियां सख्त हो जाती हैं और उनका स्वाद भी कम हो जाता है. 2-3 दिन के अंतराल पर लगातार तुड़ाई करते रहना चाहिए. पत्तियों को हाथ से या किसी तेज चाकू की मदद से सावधानी से काटें.
लेटस की खेती पारंपरिक फसलों से कहीं ज़्यादा मुनाफा दे सकती है, लेकिन यह एक विशेष बाजार की फसल है. इसकी मांग मुख्य रूप से शहरों में होती है. इसलिए, इसकी खेती शुरू करने से पहले अपने आस-पास के बाजार, होटल, रेस्टोरेंट और सुपरमार्केट से संपर्क करके बिक्री की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें. सही बाजार लिंक होने पर यह फसल किसानों की आय का एक शानदार जरिया बन सकती है.
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