बांग्लादेश ने कुछ दिनों पहले किन्नू का आयात शुल्क 30 रुपये से बढ़ाकर 62 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया था, जिसके बाद बांग्लोदश के किन्नू व्यापारियों ने ऑर्डर देना बंद कर दिया था. इससे पंजाब के कीन्नू उत्पादक किसानों की परेशानियां बढ़ गई थी. वहीं अब बांग्लादेश ने संतरे के आयात शुल्क को तिगुना कर दिया है. जिससे आजकल महाराष्ट्र में संतरे के किसान और निर्यातक दोनों संकट में हैं. कुल मिलाकर बांग्लादेश भारत से विटामीन सी की खुराक लेने से परहेज करता हुआ नजर आ रहा है.
बता दें कि बांग्लादेश महाराष्ट्र राज्य से संतरे के सबसे बड़ा आयातक है. वहीं, बांग्लादेश ने अब तीन साल पहले लगाए गए 20 रुपये प्रति किलोग्राम आयात शुल्क को इस साल बढ़ाकर 63 रुपये प्रति किलोग्राम कर दिया है. जिसके बाद विदर्भ में संतरा की खेती करने वाले किसानों ने केंद्र सरकार से बांग्लादेश से आयातित वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने का अनुरोध किया है, ताकि पड़ोसी देश बांग्लादेश संतरे के आयात शुल्क में की गई बढ़ोतरी को वापस ले.
महाराष्ट्र में लगभग 1.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में संतरा की खेती होती है, जिसमें से सबसे ज्यादा विदर्भ के नागपुर और अमरावती क्षेत्रों में होती है. महाराष्ट्र में अनुमानित संतरे का उत्पादन लगभग 5 लाख टन है, जिसमें से लगभग 1 लाख टन हर साल बांग्लादेश को निर्यात किया जाता है. खबरों के मुताबिक, पीक सीजन के दौरान लगभग 200 ट्रक संतरे प्रतिदिन बांग्लादेश में भेजे जाते हैं जिसमें प्रत्येक ट्रक में 25 टन संतरे होते हैं.
बांग्लादेश में निर्यात होने की वजह प्रति टन संतरे की औसत कीमत 32 हजार रूपये से 35 हजार रूपये होती है. वहीं, निर्यात नहीं होने के कारण कीमत गिरकर 18 हजार से 23 हजार रुपये हो गई है. भाव अभी और भी नीचे आ सकती है.
खबरों के मुताबिक राज्य के अधिकारियों में से एक जो कि नागपुर के रहने वाले हैं उन्होंने राज्य विधानसभा के शीतकालीन सत्र में कहा कि सरकार को इसमें दखल देना चाहिए. संतरे से जुड़ीं सभी प्रसंस्करण परियोजनाएं कागजों पर बनी हुई हैं और किसान खुले में संतरे डंप कर रहे हैं, क्योंकि वे कम कीमत के कारण संतरे को नजदीकी बाजार तक नहीं ले जा सकते हैं. वहीं, किसानों ने कहा कि उनमें से कई किसान ज्यादा घाटे का सामना कर रहे हैं, क्योंकि वे इस साल उत्पादन लागत को कवर करने में भी सक्षम नहीं हैं.
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