हरियाणा कपास के प्रमुख उत्पादक राज्यों में से एक है. राज्य में मुख्य रूप से कपास की खेती सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, जींद, सोनीपत, पलवल गुरुग्राम, फरीदाबाद, रेवाड़ी, चरखी दादरी, नारनौल, झज्जर, पानीपत, कैथल, रोहतक और मेवात जिले में होती है. वहीं इस वर्ष हरियाणा राज्य में कपास का उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 35 प्रतिशत अधिक होने की संभावना है.
दरअसल पिछले वर्ष हरियाणा में लगभग 13.16 लाख कपास गांठ का उत्पादन हुआ था जोकि इस वर्ष 17.79 लाख गांठ होने की संभावना है.
राज्य में पिछले साल की तुलना में लिंट की पैदावार में भी सुधार हुआ है. खबरों के मुताबिक, पिछले साल के 352 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के मुकाबले इस साल लगभग 451 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर लिंट का उत्पादन हुआ है. ध्यान देने वाली बात यह है कि हरियाणा में इस साल कपास की पैदावार में सुधार तब आया है, जब पड़ोसी राज्य पंजाब में इस साल अब तक का सबसे कम उत्पादन हुआ है.
उत्पादन में बढ़ोतरी का श्रेय सिरसा जिले में तुड़ाई के मौसम के दौरान सामान्य वर्षा को दिया जा रहा है, जहां पर कपास का सबसे अधिक क्षेत्र है, और गुलाबी बॉलवर्म का प्रभाव भी कम है. बता दें कि हरियाणा के सिरसा जिले में राज्य के लगभग 50 फीसदी से ज्यादा कपास की खेती होती है.
केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान और हरियाणा कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, राज्य में कपास उत्पादकों को 2015-16 के बाद से 2021 में सबसे ज्यादा झटका लगा है. पिछले साल, राज्य ने 6.35 लाख हेक्टेयर में महज 13.16 लाख गांठ का उत्पादन किया था.
कम उत्पादन के कारण पिछले साल कपास की कीमतों में उछाल आया था, जिसने इस साल अधिक किसानों को इसकी खेती की ओर आकर्षित किया और इस तरह कपास का रकबा 6.35 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.49 लाख हेक्टेयर हो गया है.
खबरों के मुताबिक, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ कॉटन रिसर्च (सीआईसीआर), सिरसा के निदेशक डॉ. सुरेंद्र के वर्मा ने कहा कि पंजाब की तुलना में हरियाणा में व्हाइटफ्लाई और पिंक बॉलवॉर्म का प्रभाव कम था. हरियाणा में केवल कुछ हिस्से प्रभावित हुए, जबकि पंजाब के बठिंडा और अन्य हिस्सों में बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ.
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