दार्जीलिंग चाय को सबसे पहले मि‍ला था GI Tag, अब ये कृष‍ि उत्पाद भी सूची में हैं शाम‍िल

दार्जीलिंग चाय को सबसे पहले मि‍ला था GI Tag, अब ये कृष‍ि उत्पाद भी सूची में हैं शाम‍िल

किसी भी उत्पाद को GI Tag कई कारणों के वजह से दिया जाता है. कभी उसकी सुंदरता को देखते हुए तो कभी उसके आकार, रंग, स्वाद, उपज आदि के आधार पर तय किया जाता है. ऐसे में आज हम आपको उन सभी कृषि उत्पादों के बारे में बताएंगे जिन्हें GI Tag से नवाजा गया है.

Advertisement
दार्जीलिंग चाय को सबसे पहले मि‍ला था GI Tag, अब ये कृष‍ि उत्पाद भी सूची में हैं शाम‍िल दार्ज‍िल‍िंग चाय को सबसे पहले मि‍ला था GI Tag

भारत में जीआई टैग किसी खास फसल, प्राकृतिक और निर्मित वस्तुओं को दिया जाता है. कई बार ऐसा भी होता है कि एक से अधिक राज्यों में पाई जाने वाली फसल या प्राकृतिक वस्तु को उन सभी राज्यों का संयुक्त जीआई टैग दिया जाता है. भारत के अनेक कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग से नवाजा जा चुका है. अगर इत‍िहास की बात करें तो सबसे पहले दार्जीलिंग चाय को GI Tag मिला था. इसके बाद इस सूची में मैसूर की सुपारी से लेकर बिहार के मखाना और कश्मीर के केसर को उनकी अनोखी पहचान के कारण जोड़ा गया. आइये जानते है क‍ि जीआई टैग क्यों द‍िया जाता है, इसका प्रावधान क्या है. साथ ही अब तक ज‍िन भी कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग म‍िला है, उनकी संक्ष‍िप्त जानकारी भी. 

1999 से शुरुआत, ये है मुख्य वजह 

भारतीय संसद ने साल 1999 में रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन एक्ट के तहत 'जियोग्राफिकल इंडिकेशंस ऑफ गुड्स' लागू किया था, इस आधार पर क‍िसी क्षेत्र व‍िशेष की पहचान वाले उत्पाद को जीआई टैग द‍िया जाता है. कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग देने की मुख्य वजह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उस कृष‍ि उत्पादों को पहचान द‍िलाना है. कुल म‍िलाकर जीआई टैग एक तरह के पेटेंट का काम करता है. वहीं क‍िसी कृष‍ि उत्पाद को जीआई टैग म‍िलने से क‍िसानों को भी फायदा होता है और उन्हें अपनी फसल के अध‍िक दाम मि‍लने लगते हैं. आइये आगे जानते हैं कि‍ अब तक क‍ि‍न-क‍िन कृष‍ि उत्पादों को जीआई टैग म‍िल चुका है.    

बिहार

बिहार में कुल 5 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है. जिसमें मिथिला मखाना, भागलपुरी जर्दालू आम, कतरनी चावल, मघई पान और बिहार की शाही लीची शामिल है. इन फसलों के स्वाद, गुणवत्ता और उपज को देखते हुए इन्हें GI Tag मिला है.

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश कृष‍ि के मामले में अव्वल है. ज‍िसके तहत गेहूं के साथ ही दूध उत्पादन के मामले में ये यूपी अव्वल है. लेक‍िन जीआई टैग यूपी के अभी तक चुन‍िंदा कृष‍ि उत्पादों को ही म‍िला है. ज‍िसमें इलाहाबाद सुरखा अमरुद, काला नमक चावल, मलीहाबादी दशहरी आम शाम‍िल है. 

उड़ीसा और गोवा 

उड़ीसा के गंजम केवड़ा फूल और कंधमाल हल्दी भी जीआई टैग की कृषि कैटेगरी में शामिल किया गया है. वहीं गोवा की खोला मिर्च ने आज देश-दुनिया में अपनी पहचान बनाई है. इसकी बढ़ती लोकप्रियता के चलते इसे जीआई टैग दिया गया है.

गुजरात और हि‍माचल 

गुजरात में 2 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिला है. इसमें भालिया गेहूं और गिर केसर आम शामिल है. जबक‍ि हिमाचल से जीआई टैग सूची में 3 कृषि प्रॉडक्ट शामिल है. इसमें कांगड़ा की चाय, हिमाचली मिर्च का तेल और हिमाचली काला जीरा शामिल है.

कश्मीर और मण‍िपुर 

कश्मीर की सुंदर वादियों में भी कई तरह के अनोखे कृषि उत्पाद हैं जिन्हें GI Tag से नवाजा गया है. ऐसे में जम्मू कश्मीर के गुच्छी मशरूम और कश्मीरी केसर को जीआई टैग मिला है.वहीं मणिपुर के 2 कृषि उत्पादों को जीआई टैग दिया गया है. ज‍िसमें चक-हाओ चावल और कचई नींबू शाम‍िल है. 

मेघालय, म‍िजोरम और त्र‍िपुरा

मेघालय में खासी मंदारिन और मैमोंग नारंग को जीआई टैग दिया गया है. वहीं मिजोरम की मिजो मिर्च को भी जीआई टैग दिया गया है. जबक‍ि त्रिपुरा की रानी अनानास को जीआई टैग की लिस्ट में जोड़ा गया है.

नागालैंड और स‍िक्क‍िम

नागालैंड की मशहूर नागा मिर्च और नामा पेड़ टमाटर को जीआई टैग दिया गया है. वहीं सिक्किम की बड़ी इलायची को जीआई टैग का खिताब मिला हुआ है.

तमिलनाडु और उत्तराखंड  

तमिलनाडु में जीआई टैग का खिताब एथामोझी लंबा नारियल, मदुरै मल्ली, नीलगिरी चाय, सिरुमलाई पहाड़ी केला और विरुपक्षी पहाड़ी केला को दिया गया है. जबक‍ि उत्तराखंड में उगाये जाने वाले उत्तराखंडी तेजपत्ता को जीआई टैग मिला है.

पश्चिम बंगाल और केरल

पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग की चाय, फाजली आम,  गोविंद भोग चावल, खिरसापति (हिमसागर) आम और लक्ष्मण भोग आम, तुलाईपंजी चावल को भी भारत सरकार ने जीआई टैग दिया है. केरल में कुल 12 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है. इस सूची में एलेप्पी हरी इलायची, सेंट्रल त्रावणकोर गुड़, चेंगलिकोदन नेन्द्रन केला, कैपाल चावल, मालाबारी काली मिर्च, नवारा चावल, नीलांबुर सागौन, पलक्कड़ मट्टा चावल, पोक्कली चावल, तिरूर सुपारी, वजहकुलम अनानास, वायनाड जीरकशाला चावल, वायनाड गंधकशाला चावल शामिल हैं.

आंध्र प्रदेश और कर्नाटक

आंध्र प्रदेश के बनगनपल्ले आम और गुंटूर सन्नम मिर्च को जीआई टैग मिला है. वहीं कर्नाटक की बात की जाए तो अब तक यहां के करीब 17 कृषि उत्पादों को जीआई टैग से नवाजा जा चुका है. इस सूची में अप्पेमिडी आम, बाबाबुदनगिरी अरेबिका कॉफी, बंगलौर नीले अंगूर, बैंगलोर गुलाब प्याज, ब्यादगी मिर्च, चिकमगलूअरेबिका कॉफी, कुर्ग अरेबिका कॉफी, कुर्ग हरी इलायची, कुर्ग संतरा, देवनहल्ली पोमेलो, हदगली मल्लिगे (चमेली),कमलापुर लाल केला, मालाबार काली मिर्च, मैसूर सुपारा, मैसूर चमेली, नंजनगुड केला, सिरसी सुपारी, उडुपी चमेली, उडुपी मट्टू गुल्ला बैंगन शामिल हैं. यह ना सिर्फ यहां के किसानों के लिए गर्व की बात है बल्कि GI Tag मिलने के बाद से यहां के किसानों के आय में भी बढ़त हुई है. फसलों को मिली पहचान का मुनाफा किसानों को खूब मिला है.

अरुणाचल प्रदेश और असम 

अरुणाचल प्रदेश के अरुणाचल संतरा को कृषि कैटेगरी का जी आईटैग खिताब दिया गया है. इसी तरह असम क्षेत्र के कुल 6 उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है. इसमें असम कार्बी आंगलोंगलों अदरक, असम की चाय, बोका चौल, असम के जोहा चावल, काजी नेमो (नींबू) और तेजपुर लीची शामिल है.

महाराष्ट्र

अब तक के आकड़ों के मुताबिक अब तक महाराष्ट्र के कुल 22 कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिला हुआ है. कृषि क्षेत्र में यह सबसे अधिक जीआई टैग पाने वाला राज्य है. इसमें अजारा घनसाल चावल, अलफांसो, अंबेमोहर चावल, बीड कस्टर्ड सेब, भिवापुर मिर्च, जलगांव केला, जलगांव भरित बैंगन, जालना मीठा संतरा, कोल्हापुर गुड़, महाबलेश्वर स्ट्रॉबेरी, मराठवाड़ा केसर आम, मंगलवेधा ज्वार, नागपुर संतरा, नासिक अंगूर, नवापुर तुअर दाल, पुरंदर अंजीर, सांगली किशमिश, सांगली हल्दी, सोलापुर अनार, वेंगुर्ला काजू, वाघ्या घेवड़ा, वैगांव हल्दी का नाम शामिल है.

POST A COMMENT