पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं में धीरे-धीरे गिरावट दर्ज की जा रही है. बीते 7 दिनों के आंकड़े देखें तो पता चलता है कि खेतों में आग लगाने की घटनाओं में कमी देखी जा रही है. क्योंकि, इस महीने की पहली तारीख को सर्वाधिक 587 केस दर्ज किए गए थे. जबकि, उसके बाद 4 नवंबर को सबसे कम 13 मामले सामने आए हैं. वहीं, बीते साल के कुल आंकड़ों की तुलना करें तो पराली जलाने की घटनाएं 26 फीसदी कम हो गई हैं.
पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर के आंकड़ों के अनुसार सोमवार 4 नवंबर को पंजाब में खेतों में आग लगने की केवल 13 घटनाएं दर्ज की गईं. सोमवार को फिरोजपुर (5), संगरूर (3), बठिंडा (2), पटियाला (2) और फरीदकोट (1) में सक्रिय आग की घटनाएं देखी गईं हैं. जिससे इससे साल अब तक पराली जलाने की कुल मामलों की संख्या बढ़कर 4,145 हो गई.
पंजाब में धान की सरकारी खरीद प्रक्रिया भी तेजी से चल रही है. राज्य में 2 नवंबर तक 85 लाख टन धान की खरीद की जा चुकी है और 19800 करोड़ रुपये का सीधा भुगतान किसानों को भेजा जा चुका है. उधर, पंजाब में अभी भी धान की कटाई चल रही है. ऐसे में पराली जलाने के मामले अभी और दर्ज किए जाने की आशंका जताई जा रही है. धान कटाई के बाद रबी में गेहूं की बुवाई के लिए समय कम होता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से जल्दी साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं.
पंजाब में 2023 में कुल 36,663 खेतों में आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं, जिससे ऐसी घटनाओं में इस साल 26 फीसदी कम मामले सामने आए हैं. राज्य में 2022 में 49922 केस दर्ज किए गए हैं. 2021 में 71304 केस, 2020 में 76590 घटनाएं, 2019 में 55210 मामले और 2018 में 50590 आग लगने की घटनाएं दर्ज की गईं.
अक्टूबर और नवंबर में धान की फसल की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है. लेकिन, सेंटर फॉर साइंटिफिक इनवॉयरमेंट (CSE) की स्टडी में साफ किया गया है कि किसानों के पराली जलाने की तुलना में दिल्ली में वायु प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार ट्रांसपोर्ट, निर्माण समेत अन्य स्थानीय कारणों का खुलासा हुआ है.
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