राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के नेता शरद पवार ने प्याज पर 40% एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की है. उन्होंने किसानों के लिए इसे वापस लेने की मांग की है. उन्होंने एक कार्यक्रम में कहा कि यहां उगाया हुआ माल परदेश में बिकता है. खास करके बांग्लादेश में यहां से प्याज बड़ी मात्रा में जाता है. नासिक, धुले, पुणे और सतारा जिले से अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्याज बिकता है. निर्यात में केंद्र सरकार ने कुछ बाधा डाली है. प्याज इस क्षेत्र के किसानों का मुख्य उत्पाद है. इस पर 40 फीसदी एक्सपोर्ट ड्यूटी लगाना गलत है. इसलिए हमारी सब की मांग है कि निर्यात शुल्क हटाया जाए. वरना किसानों का बहुत नुकसान होगा. शरद पवार आज बारामती में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे.
पवार ने कहा कि इस संबंध में पीयूष गोयल ने दिल्ली में एक बैठक बुलाई है. देखते हैं कि इसमें कोई रास्ता निकलता है या नहीं. रास्ता निकले तो अच्छी बात है. नहीं तो किसानों को रोकना मुश्किल है. शरद पवार ने तब भी इस एक्सपोर्ट ड्यूटी की आलोचना की थी जब 17 अगस्त को इसे लगाया गया था. इसके बाद मंडियों में हड़ताल हुई थी. मंडियों में पिछले नौ दिन से हड़ताल जारी है. जिससे प्याज की नीलामी नहीं हो पा रही है.
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पवार ने सूखे पर चिंता जताई है. कहा कि पानी को लेकर मराठवाड़ा के हालात बहुत गंभीर थे. बहुत सारे डैम भरे नहीं हैं. इसलिए चिंता की बात थी. पर पिछले दो दिन से बारिश हो रही है. यह राहत की बात है. बारिश ऐसी ही होती रही तो हम इस संकट से बाहर निकल जाएंगे. वरना यहां सूखे से अकाल जैसी स्थिति बनी रहेगी.
पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार ने गन्ने की फसल की कमी को लेकर भी बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि, पिछले साल की तुलना में इस साल गन्ने की फसल कम हुई है, इसका परिणाम चीनी कारखाने पर अगले साल होगा. चीनी का उत्पादन भी कम होगा. अगर केंद्र सरकार चाहे तो हम राजनीतिक विचार न करते हुए इस पर चर्चा कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगले साल चीनी कारखाने कितने दिन तक चलेंगे यह कहना मुश्किल है. चीनी की कीमत बढ़ रही है इसलिए उत्पादक किसानों को दो पैसे ज्यादा देने की स्थिति निर्माण हो सकती है. अगला सीजन संकट में जाने की स्थिति है. इस पर बैठकर कुछ मसला निकाला जा सकता है.
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