सरसों में तना सड़न रोग का होगा खात्मा! HAU स्कॉलर ने खोजा समाधान, अब अमेर‍िका में होगा इस पर काम

सरसों में तना सड़न रोग का होगा खात्मा! HAU स्कॉलर ने खोजा समाधान, अब अमेर‍िका में होगा इस पर काम

चौधरी चरण स‍िंह हर‍ियाणा कृष‍ि व‍िश्व‍व‍िद्यालय ह‍िसार के र‍िसर्च स्कॉलर डॉ मंजीत ने सरसों में लगने वाल तना सड़न रोग का उपचार खोजा है, ज‍िस पर वह आगे का शोध कार्य अमेर‍िका में करेंगे.

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सरसों में तना सड़न रोग का होगा खात्मा! HAU स्कॉलर ने खोजा समाधान, अब अमेर‍िका में होगा इस पर कामसरसों में लगने वाले तना सड़न रोग का समाधान खोजने वाले स्कॉलर डॉ मंजीत के साथ HAU के कुलपत‍ि व अन्य- फोटो साभार HAU

खाद्य तेलों के क्षेत्र में आत्मन‍िर्भर बनने के ल‍िए भारत के प्रयास जारी हैं, ज‍िसके तहत देश के अंदर त‍िलहनी फसलों व‍िशेषकर सरसों की खेती को बढ़ावा द‍िया जा रहा है. इसी कड़ी में क‍िसान भी भरपूर मेहनत कर रहे हैं, लेक‍िन इन सब कोश‍िशों के बीच सरसों के पौधे में लगने वाला तना सड़न रोग क‍िसानों के साथ ही कृष‍ि वैज्ञान‍िकों के ल‍िए च‍िंता का व‍िषय बना हुआ है. मसलन, सरसों के पौधों में लगने वाला तना सड़न रोग पूरी फसल को खराब कर देता है. इससे क‍िसानों को बड़ा नुकसान होता है, लेक‍िन अब क‍िसानों के ल‍िए ब्रैस‍िका सरसों में लगने वाली तना सड़न रोग की चुनौती जल्द ही खत्म होने जा रही है. इस रोग का समाधान हर‍ियाणा कृष‍ि वि‍श्वव‍िद्यालय के स्कॉलर डॉ मंजीत ने खोजा है, जो अब इस पर अमेर‍िका के साथ म‍िलकर शोध काम करने जा रहे है. आइए जानते हैं क‍ि तना सड़न रोग क्या है. कैसे इसके खात्मे के ल‍िए शोध कार्य शुरू हो रहा है.

तना सड़न रोग से 90 फीसदी तक नुकसान 

ब्रैस‍िका सरसों में लगने वाली तना सड़न रोग को स्क्लेरोटिनिया तना सडन रोग भी कहा जाता है. ये एक फंगस है. ये फंगस सरसों के तने में लगता है. ज‍िसके लगने से सरसों का पूरा पौधा गि‍र जाता है. मसलन, इस रोग के लगने के बाद 90 फीसदी तक उपज का नुकसान तय माना जाता है. असल में ये बीमारी ब्रैसिका सरसों (एक क‍िस्म की सरसों) के लिए बड़ा खतरा बन गई है, जि‍ससे दुनिया भर में काफी आर्थिक नुकसान हो रहा है. दुन‍िया में अभी तक इस क‍िस्म से लड़ने वाली प्रत‍िरोधी क‍िस्मों की कमी है. ऐसे में इस बीमारी को भव‍िष्य के ल‍िए खतरनाक माना जा रहा है. 

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HAU के स्काॅलर से ऐसे खोजी बीमारी की काट    

हर‍ियाणा कृष‍ि व‍िश्व‍िव‍िद्यालय HAU ह‍िसार के र‍िसर्च स्काॅलर डां मंजीत ने सरसों में लगने वाले तना सड़न रोग के खात्मे की काट खोजी है. उन्होंने इस बीमारी के निवारण के लिए अत्याधिक प्रतिरोधी जीनोटाइप चिन्हित किया है. डॉ. मंजीत ने ये प्रत‍िरोधी जीनोटाइप ब्रैसिका तिलहन की फसल से संबंधित जंगली किस्मों से निकाली है, जिससे स्क्लेरोटिनिया तना सडऩ बीमारी से लडऩे के लिए अन्य प्रतिरोधी किस्मों को विकसित क‍िया जा सकेगा. जीनोटाइप पौधों के डीएनए में पाए जाने वाला एक संरचना होती है. उनका मानना है क‍ि  प्रतिरोधी किस्म जीनोटाइप व स्टेम-फिजिकल-स्ट्रेंथ-मीडियेटेड-रेजिस्टेंस की मदद से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है.             

अमेर‍िका के सा‍थ शोध, 70 लाख सालाना की फैलोश‍िप 

चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (HAU) के रिसर्च स्कॉलर डॉ. मंजीत की इस खोज का धमाका दुन‍ियाभर में हुआ है. नतीजतन उनकी इस खोज पर अमेर‍िका कृष‍ि व‍िभाग के कृष‍ि र‍िसर्च सेवाओं ने उन्हें अपने संस्थान में पोस्ट-डॉक्टर वैज्ञान‍िक के रूप में चयन‍ित क‍िया है. मसलन, वह अब अमेर‍िका के साथ म‍िलकर इस पर काम करेंगे. इसके ल‍िए उन्हें 70 लाख रुपये सालाना की फैलोशिप प्रदान की जाएगी. इस उपलब्धि पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. बीआर काम्बोज ने डॉ. मंजीत सहित विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की टीम को बधाई देकर भविष्य में भी इसी प्रकार नए र्कीतिमान स्थापित करने की कामना की. 

कुलपति प्रो बीआर काम्बोज ने कहा कि अमेरिका के कृषि विभाग में कृषि अनुसंधान सेवाओं के साथ पोस्ट-डॉक्टरल वैज्ञानिक के रूप में रिसर्च स्कॉलर डॉ. मंजीत का चयन HAU में अपनाए जा रहे उच्च शैक्षणिक व अनुसंधान मानकों का प्रतीक है. विश्वविद्यालय अपने विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास व अंतरराष्ट्रीय प्रदर्शन पर पूरा ध्यान दे रहा है. 

वहीं डाॅ मंजीत ने इस उपलब्धि का श्रेय विश्वविद्यालय के सरसों प्रजनन के विशेषज्ञ वैज्ञानिक डॉ. राम अवतार को दिया है. उन्होंने कहा क‍ि कि भ्रूण बचाव जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग करते हुए सफलतापूर्वक कई इंटरजेनेरिक क्रॉस विकसित किए गए, जिसके परिणामस्वरूप संतानों ने स्क्लेरोटिनिया स्टेम रोट के खिलाफ प्रतिरोध प्रदर्शित किया, जिसके बाद ब्रैसिकेसी में अत्याधिक प्रतिरोधी जीनोटाइप की पहचान हो पाई. 
 

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