
उत्तर प्रदेश के कई जिलों में साठा धान की बुवाई पर रोक लगाई गई है. प्रदेश के किसानों से अपील की गई है कि जायद सीजन में वह साठा धान की बुवाई न करें. बल्कि उन्हें मूंग, मक्का समेत अन्य फसलों की खेती की सलाह दी गई है. किसानों को साठा धान की बुवाई से रोकने के लिए अन्य जायद फसलों के बीजों की मिनी किट मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है. बता दें कि हरियाणा और पंजाब में पहले से ही साठा धान की खेती प्रतिबंधित है.
उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की ओर से किसानों को साठा धान की बुवाई करने से रोका है. किसानों से अपील करते हुए कहा गया है कि जायद सीजन में कम से कम पानी में ज्यादा उत्पादन लेने के लिए आपको साठा धान की बजाय मक्का, उड़द-मूंग की बुवाई करें. बताया गया है कि राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही के की अगुवाई में किसानों को उड़द और मूंग के बीजों की मिनी किट मुफ्त में उपलब्ध कराई जा रही है.
उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले के डीएम जोगिंदर सिंह ने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए किसानों को साठा धान की बुवाई नहीं करने की सलाह दी है. डीएम ने लिखा है कि किसान भाई कृपया ध्यान दें, साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. इसलिए इसकी बुवाई न करें. साठा धान के लगाने से भूगर्भ जल स्तर तेजी से नीचे जाने और पर्यावरण पर पड़ने वाले दुष्परिणामों के चलते साठा धान की खेती प्रतिबंधित है. डीएम ने किसानों से अपील करते हुए यह भी कहा है कि यदि आपके आसपास कोई किसान साठा धान की खेती करता है तो तत्काल संबंधित उपजिलाधिकारी को सूचित करें.
रामपुर जिले के डीएम ने कहा कि साठा धान की जगह किसान अन्य कम पानी लागत वाली फसलों की बुवाई करें. उन्होंने कहा किसान उड़द, मूंग, सूरजमुखी, मक्का, सब्जियों आदि की बुवाई कर सकते हैं. इसके लिए लिए कृषि विभाग और उद्यान विभाग अनुदान पर बीज उपलब्ध करा रहा है.
कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि जायद सीजन में ग्रीष्मकालीन धान यानी साठा धान लगभग 60 दिनों में पक जाती है, यह अन्य धान किस्मों की तुलना में अत्यधिक पानी का इस्तेमाल करती है. इससे भूजल दोहन बढ़ता है, जबकि जमीन के बंजर होने का खतरा भी रहता है. साठा धान को नदियों और जलाशयों का दुश्मन भी कहा जाता है. धान की अन्य किस्में औमतौर पर 3-4 महीनों में तैयार होती हैं, जबकि साठा धान अपने नाम की तरह 60 दिनों में पक जाती है. इससे किसान इस धान की बुवाई के लिए आकर्षित होते हैं. हालांकि, यह भूजल स्तर के लिए खतरनाक किस्मों में गिनी जाती है. इसीलिए इस पर रोक लगाई गई है.
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