Wheat Crisis: रूस-यूक्रेन ने दुन‍िया में फिर बढ़ाया गेहूं संकट, समझ‍िए क्यों बढ़ रहे हैं दाम? 

Wheat Crisis: रूस-यूक्रेन ने दुन‍िया में फिर बढ़ाया गेहूं संकट, समझ‍िए क्यों बढ़ रहे हैं दाम? 

दरअसल, व‍िश्व में गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन और भारत में होता है. चीन दुन‍िया का पहला और भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. लेक‍िन इन दोनों में जनसंख्या अध‍िक होने के कारण ये देश गेहूं के बड़े एक्सपोर्टरों की सूची में शामिल नहीं हैं. गेहूं के प्रमुख निर्यातक देशों में रूस, यूक्रेन में उत्पादन घटने से फ‍िर संकट गहरा रहा है.

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Wheat Crisis: रूस-यूक्रेन ने दुन‍िया में फिर बढ़ाया गेहूं संकट, समझ‍िए क्यों बढ़ रहे हैं दाम? गेहूं की क‍ितनी हुई सरकारी खरीद.

रूस-यूक्रेन युद्ध साल 2022 में शुरू हुआ था, तब दुनिया में गेहूं संकट गहरा गया था. ये युद्ध अभी भी जारी है और एक बार फिर भारत समेत दुनिया के कई देशों में गेहूं संकट गहराता हुआ दिख रहा है. मसलन, भारत में गेहूं के दाम बढ़े हुए हैं. इसके लिए रूस-यूक्रेन को भी कम जिम्‍मेदार नहीं बताया जा रहा है. हालांक‍ि, इस बार गेहूं संकट के लिए दोनों देशों के बीच जारी युद्ध ही नहीं बल्क‍ि एक और कारण भी जिम्‍मेदार है. इस बार गेहूं संकट के लिए रूस-यूक्रेन में हुआ उत्‍पादन वजह बना है. असल में इस साल दोनों ही देशों में गेहूं का उत्‍पादन कम हुआ है. आइए इसी कड़ी में समझते हैं कि दुनिया के गेहूं उत्‍पादन में रूस-यूक्रेन की हिस्‍सेदारी कितनी है और कैसे इन दोनों देशों में कम गेहूं उत्‍पादन से भारत समेत दुनिया के कई देशों में गेहूं संकट गहरा गया है.

दरअसल, व‍िश्व में गेहूं का सबसे ज्यादा उत्पादन चीन और भारत में होता है. चीन दुन‍िया का पहला और भारत दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. लेक‍िन इन दोनों में जनसंख्या अध‍िक होने के कारण ये देश गेहूं के बड़े एक्सपोर्टरों की सूची में शामिल नहीं हैं. गेहूं के प्रमुख निर्यातक देशों में रूस, यूक्रेन, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा के नाम सबसे ऊपर आते हैं. इसील‍िए फरवरी 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध और भारत में आए हीटवेव की वजह से पैदावार में आई कमी के कारण पूरी दुन‍ियों में गेहूं को लेकर जो टेंशन शुरू हुई थी वो अब तक कम नहीं हुई है.

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गेहूं कारोबार में ह‍िस्सेदारी 

रूस और यूक्रेन दोनों वैश्विक स्तर पर गेहूं के व्यापार में लगभग 25 प्रत‍िशत की हिस्सेदारी रखते हैं. अब तक न स‍िर्फ इन दोनों के बीच युद्ध चल रहा है बल्क‍ि दोनों में इस साल गेहूं का उत्पादन भी ग‍िर गया है. व‍िशेषज्ञों के अनुसार ज‍िसकी वजह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दाम में तेजी देखी जा रही है और उसका असर भारत पर भी द‍िखाई दे रहा है. यहां दाम 2500 से 3500 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल तक पहुंच गया है, जबक‍ि एमएसपी 2275 रुपये है. आईए समझते हैं आख‍िर उत्पादन क‍ितना ग‍िरा है. 

उत्पादन में क‍ितनी कमी 

यूनाइटेड स्टेट्स डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर (USDA) के मुताब‍िक रूस में 2023-24 के दौरान  91.50 म‍िल‍ियन मीट्र‍िक टन यानी 915 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं का उत्पादन हुआ था, जो 2024-25 में घटकर 830 लाख टन रह गया. इसी तरह यूक्रेन में 2023-24 के दौरान 230 लाख टन उत्पादन था, जो 2024-25 में घटकर 195 लाख टन रह गया है. इसका असर अंतरराष्ट्रीय बाजार पर द‍िख रहा है, ज‍िसके असर से भारत भी अछूता नहीं है. 

भारत में कैसे बढ़ रहे हैं दाम

ग्‍लोबली गेहूं उत्‍पादन में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शुमार है. उसके बाद भी रूस-यूक्रेन में कम गेहूं उत्‍पादन से भारत में गेहूं के दामों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. सवाल यही है कि आखिर ये कैसे हो रहा है. इसके पीछे का मुख्‍य वजह गेहूं की कम सरकारी खरीद है. असल में गेहूं का सरकारी कोटा देश में कम है. इसे बढ़ाने के लिए एक मात्र विकल्‍प गेहूं इंपोर्ट है, लेकिन रूस-यूक्रेन में कम उत्‍पादन से गेहूं इंपोर्ट की डगर भी कठिन दिखाई दे रही है. इस वजह से भारत में गेहूं कारोबार पर दबाब बना हुआ है, नतीजतन गेहूं के दामों में बढ़ोत्तरी दर्ज की जा रही है. भारत ने 372.9 लाख मीट्र‍िक टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा था, जबक‍ि अब तक 265 लाख टन का ही टारगेट अचीव हुआ है. 

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