Basmati Rice: पंजाब की राह पर हरियाणा, बासमती चावल को लेकर किया यह बड़ा फैसला 

Basmati Rice: पंजाब की राह पर हरियाणा, बासमती चावल को लेकर किया यह बड़ा फैसला 

Haryana News: हरियाणा जल्‍द ही बासमती चावल में खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया है. इस फैसले का मकसद हाई फूड स्‍टैंडर्ड सिक्‍योरिटी स्‍टैंडर्ड वाले विकसित बाजारो के साथ ही दूसरे बाजारों तक उपज का निर्यात आसान बनाना है. पंजाब की  ही तरह हरियाणा भी भारत में बासमती चावल का एक प्रमुख उत्पादक है.

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Basmati Rice: पंजाब की राह पर हरियाणा, बासमती चावल को लेकर किया यह बड़ा फैसला Basmati Haryana Export: हरियाणा भी सुगंधित बासमती के लिए मशहूर है

पड़ोसी राज्‍य पंजाब की राह पर चलते हुए हरियाणा भी बासमती चावल को लेकर एक बड़ा फैसला कर चुका है. हरियाणा जल्‍द ही बासमती चावल में खतरनाक कीटनाशकों पर प्रतिबंध लगाने का फैसला कर लिया है. इस फैसले का मकसद हाई फूड स्‍टैंडर्ड सिक्‍योरिटी स्‍टैंडर्ड वाले विकसित बाजारो के साथ ही दूसरे बाजारों तक उपज का निर्यात आसान बनाना है. पंजाब की  ही तरह हरियाणा भी भारत में बासमती चावल का एक प्रमुख उत्पादक है. यह राज्‍य घरेलू उत्पादन और निर्यात दोनों में महत्वपूर्ण योगदान देता है. हरियाणा में तरौरी क्षेत्र में उगाई जाने वाली बासमती की किस्‍म अपनी खास सुगंध और लंबे दानों के लिए मशहूर है. 

क्‍या है हरियाणा का फैसला 

अखबार द मिंट की रिपोर्ट के अनुसार पड़ोसी पंजाब ने इंटरनेशनल मैक्सिमम रिज्‍ड्यू लिमिट्स (एमआरएल) यानी अधिकतम अवशेष सीमा के तौर पर जानी जाने वाले स्‍टैंडर्ड को पूरा करने के लिए पहले ही इस तरह का प्रतिबंध लागू किया हुआ है. इन दोनों राज्यों ने वित्‍तीय वर्ष 2025 में भारत के 6 मिलियन टन बासमती निर्यात में करीब 70 प्रतिशत से 75 फीसदी तक की हिस्‍सेदारी तय की है. एमआरएल खाद्य या पशु आहार में कानूनी रूप से अनुमत कीटनाशक या पशु चिकित्सा दवा अवशेष का हाइएस्‍ट कंस्‍ट्रेशन है. इसे अच्छे कृषि अभ्यास (जीएपी) के आधार पर खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्थापित किया गया है. 

पाकिस्‍तान को हुआ इसका फायदा 

हरियाणा चावल निर्यातक संघ के अनुसार, भारत से बासमती चावल के निर्यात को यूरोपियन यूनियन, अमेरिका, जापान, ओमान, कुवैत, लेबनान और यूएई की तरफसे बार-बार खारिज किया जा रहा है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्‍योंकि कीटनाशक अवशेष, आयात करने वाले देश के निर्धारित एमआरएल से अधिक हैं. इससे निर्यात कारोबार में भारी नुकसान हुआ है, प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है और भारत की बाजार हिस्सेदारी में गिरावट आई है. इस वजह से निर्यात का अधिकांश हिस्सा पाकिस्तान जैसे प्रतिस्पर्धियों के पास चला गया है. 

पंजाब ने 1 अगस्‍त से लागू किया फैसला 

हरियाणा का यह कदम पंजाब में की गई पहल को दोहराने का प्रयास है. पंजाब कृषि विभाग के एक वरिष्‍ठ अधिकारी ने कहा, 'हमने 1 अगस्त से 30 सितंबर तक बासमती चावल की फसलों पर 11 कीटनाशकों की बिक्री, वितरण और उपयोग पर 60 दिनों की अवधि के लिए प्रतिबंध लगा दिया है, ताकि कीटनाशक अवशेषों के अनुमेय सीमा से अधिक होने की चिंताओं को दूर किया जा सके.'

प्रतिबंधित कीटनाशकों में एसीफेट, बुप्रोफेजिन, क्लोरपाइरीफोस, प्रोपिकोनाजोल, थायमेथोक्सम, प्रोफेनोफोस, कार्बेन्डाजिम, ट्राइसाइक्लाजोल, टेबुकोनाजोल, कार्बोफ्यूरान और इमिडाक्लोप्रिड शामिल हैं. पंजाब राइस मिलर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन ने बताया कि उनके द्वारा पहले किए गए परीक्षणों में इन कीटनाशकों के स्तर बासमती के लिए एमआरएल मूल्यों से बहुत अधिक पाए गए थे. 

पंजाब से प्रेरणा लेते हुए, हरियाणा के बासमती निर्यातकों ने भी प्रतिबंध लगाने की मांग करते हुए राज्य सरकार से संपर्क किया. हरियाणा चावल निर्यातक संघ के अध्यक्ष सुशील जैन ने कहा, 'हमने राज्य में उगाए जाने वाले बासमती चावल की अखंडता और वैश्विक प्रतिष्ठा की रक्षा के लिए हरियाणा में बासमती फसल पर कुछ कीटनाशकों की बिक्री, भंडारण, वितरण और उपयोग पर प्रतिबंध लगाने के लिए राज्य सरकार से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है.' 

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