Ridge gourd Varieties: तोरई की इन टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर पैदावार, जानिए खेती के बारे में सब कुछ

Ridge gourd Varieties: तोरई की इन टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर पैदावार, जानिए खेती के बारे में सब कुछ

अक्टूबर और नवंबर का महीना तोरई की खेती करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. अगर आप भी इस महीने में तोरई की खेती करना चाहते हैं तो तोरई  की 5 उन्नत किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं.

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Ridge gourd Varieties: तोरई की इन टॉप 5 किस्मों से होगी बंपर पैदावार, जानिए खेती के बारे में सब कुछजानिए तोरई की अच्छी किस्मों के बारे में

देश में किसान अब धीरे-धीरे जागरूक हो रहे हैं. पारंपरिक फसलों के साथ-साथ वे कम समय में बढ़िया मुनाफा देने वाली फसलों की भी खेती करने लगे हैं. इस दौरान किसान अब सीजनल सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे है. तोरई भी कुछ इसी तरह की फसल है. यह एक बेल वाली कद्दूवर्गीय सब्जी हैं, जिसको बड़े खेतों के अलावा छोटी गृह वाटिका में भी उगाया जा सकता हैं. कद्दूवर्गीय फसलों में तोरई की खेती को लाभकारी खेती में माना जाता है और तोरई की खेती को व्यावसायिक फसल भी कहा जाता है किसान अगर इसकी खेती वैज्ञानिक तरीके से करें तो इसकी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है. 

किसान इसकी खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं. तोरई की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसको सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है, इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं, जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. इसकी खेती ग्रीष्म और वर्षा खरीफ दोनों ऋतुओं में की जाती हैं. इसकी खेती को नगदी के तौर पर व्यावसायिक फसल के रूप में किया जाता है. इसकी सब्जी की भारत में छोटे कस्बों से लेकर बड़े शहरों में बहुत मांग है क्योंकि यह अनेक प्रोटीनों के साथ खाने में भी स्वादिष्ट होती है. इस सब्जी की बाजारो में हमेशा मांग रहती है. ऐसे में किसानों के लिए तोरई की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है.

पूसा नस्दार 

इस किस्म के फल एक समान लंबे और हरे रंग के होते हैं. यह किस्म 60 दिनों के बाद फूलती है. प्रत्येक विलो में 15 से 20 फल लगते हैं.

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 यह एक हल्की किस्म है और फल 60 से 75 सेमी लंबे होते हैं. प्रत्येक व्हेल को 4 से 5 किलो फल की आवश्यकता होती है.

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पी के एम 1 

इस किस्म के फल देखने में गहरे हरे रंग का होते हैं. इससे 280-300 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपज मिल सकती है. इस किस्म का फल 160 दिन में पककर तैयार हो जाता है. इसके साथ ही फल देखने में पतला, लम्बा, धारीदार एवं हल्का से मुड़ा हुआ होता है.

कोयम्बूर 2 

तोरई की इस किस्म के फल आकार में पतले और कम बीज वाले होते हैं. इस किस्म से के से 250 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त हो सकती है. इस किस्म के फल 110 दिन में पककर तैयार हो जाते हैं. 

काशी दिव्या

 तोरई की इस किस्म के पौधों का तना 4.5 मीटर लंबा और फल बेलनाकार होते हैं. रंग हल्का हरा और लंबाई 20 से 25 सेंटीमीटर होती है. बुबाई के 48-50 दिन के बाद फसल तैयार हो जाती है. इसकी उपज क्षमता 130-160 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

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