करनाल स्थित राष्ट्रीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ. ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने कहा है कि संस्थान की नई किस्मों ने गेहूं उत्पादन में पिछले रिकार्ड को तोड़ दिया है. इस बार देश में गेहूं उत्पादन के मामले में हरियाणा, पंजाब व मध्य प्रदेश ने रिकार्ड बनाया है. उत्तर प्रदेश में भी गेहूं का उत्पादन बेहतर हुआ है. उन्होंने यह बात उदयपुर में आयोजित 62वें अखिल भारतीय गेहूं एवं जौ संगोष्टी में कही. इसमें 300 से अधिक अनुसंधानकर्ताओं ने भाग लिया. संगोष्टी में 2022-23 में गेहूं की प्रगति का अवलोकन किया गया. साथ ही वर्ष 2023-24 के लिए रोडमैप तैयार किया गया. आगे उत्पादन बढ़ाने और प्रकृति की मार से फसलों को बचाने पर चर्चा की गई.
बता दें कि फसल वर्ष 2022-23 गेहूं का उत्पादन 1127.43 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले साल के मुकाबले 50.01 लाख टन अधिक है. यह दावा केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने किया है. पिछले साल हीट वेव की वजह से उत्पादन कम हो गया था. इसके बाद किसानों को हीट टॉलरेंट किस्मों की बुवाई पर जोर देने की अपील की गई. इसलिए 2023 में बहुत अच्छा गेहूं उत्पादन हुआ.
देश में गेहूं का रिकार्ड उत्पादन हुआ हैं. इसके लिए गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल को साउथ एशिया की यूनिवर्सिटी ने स्मृति चिन्ह देकर सराहना की है. उनके कार्यों की तारीफ की है. इसके अलावा 8 नई प्रजातियों का चयन भी किया गया है. जिसमें दो प्रजातियां उत्तरी पश्चित मैदानी क्षेत्र के लिए, दो प्रजातियां उतरी पूर्वी मैदानी क्षेत्र के लिए, एक प्रजाति मध्य क्षेत्र के लिए और एक प्रजाति प्रायद्वीप क्षेत्र के लिए तैयार की गई है.
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जौ की एक प्रजाति ईडब्ल्यूआरबी 219 और एक अन्य किस्म बीपीडब्ल्यू 327 का चयन नार्थ वेस्ट प्लेन जोन के लिए किया गया है. जिसकी संतुति सरकार ने की है. इसे 15 मिलियन हेक्टयर में उगाया गया, ये मान सकते हैं कि ये चौथी वैरायटी है जो देश के अधिक अधिक क्षेत्रफल में उगाई जा सकेगी. नवंबर माह में 112 मिलियन टन गेहूं उत्पादन का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन उत्पादन उससे अधिक रहा है. जो देश में अब तक का रिकार्ड है. लक्ष्य से अधिक गेहूं उत्पादन हुआ है.
उत्तरी पश्चिमी मैदानी क्षेत्र की बात करें तो तीन नई किस्में डीबीडब्ल्यू-370, 371, 372 के साथ साथ पूर्व प्रजातियां 327 और 332 नाम की कुल पांच प्रजातियां हैं. जो अच्छा उत्पादन देने की क्षमता रखती हैं. इस साल के लिए गेहूं की बिजाई के लिए किसानों के लिए बीज उपलब्ध है. पोर्टल 15 सितंबर से खुलेगा. किसानों को संस्थान द्वारा विकसित की गई गेहूं की वैरायटियां मिल सकेंगी.
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