केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद गेहूं का दाम रिकॉर्ड बना रहा है. देश के पांचवें सबसे बड़े गेहूं उत्पादक सूबे राजस्थान में गेहूं का अधिकतम रेट 5,325 रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है. ई-नाम प्लेटफार्म के मुताबिक चित्तौड़गढ़ जिले के बड़ी सादड़ी में भाव का यह रिकॉर्ड बना है. उधर, राजस्थान के प्रतापगढ़ जिले की छोटी सादड़ी में अधिकतम दाम 5200 रुपये प्रति क्विंटल रहा. यह 2023-24 के लिए तय गेहूं की एमएसपी (MSP) 2125 रुपये के डबल से भी ज्यादा है. राज्य की अधिकांश मंडियों में गेहूं का न्यूनतम दाम भी एमएसपी से ज्यादा ही चल रहा है. राजस्थान में देश का 9.9 फीसदी गेहूं पैदा होता है. यहां पर अगर दाम इतना रिकॉर्ड बना रहा है तो यह उपभोक्ताओं के लिए चिंता की बात है.
दाम का यह हाल तब है जब केंद्र सरकार रिकॉर्ड उत्पादन का दावा कर रही है. यही नहीं गेहूं बफर स्टॉक से अधिक है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने कहा है कि फसल वर्ष 2022-23 के लिए आए तीसरे अग्रिम अनुमानों के मुताबिक गेहूं का उत्पादन 1127.43 लाख टन अनुमानित है, जो पिछले साल के मुकाबले 50.01 लाख टन अधिक है. सवाल यह है कि जब रिकॉर्ड उत्पादन हुआ है तो फिर दाम इतना क्यों बढ़ रहा है. उधर, एक जुलाई को 275.80 लाख टन के बफर स्टॉक नॉर्म्स के मुकाबले गेहूं का 301.45 लाख टन स्टॉक था. इसके बावजूद दाम बढ़ना अपने आप में कई सवाल पैदा करता है.
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सरकार 2022 से ही गेहूं के बढ़ते दाम की वजह से परेशान है. इसलिए इस पर काबू करने की कोशिश कर रही है. यह अलग बात है कि दाम कम नहीं हुआ. दाम न बढ़े इसके लिए 13 मई 2022 से गेहूं एक्सपोर्ट पर बैन है. यही नहीं इस साल यानी 2023 में ओपन मार्केट सेल स्कीम के तहत तीन बार रियायती दर पर गेहूं बेच चुकी है. इसके साथ ही सभी राज्यों में 31 मार्च, 2024 तक गेहूं पर स्टॉक लिमिट लगा दी गई है. थोक कारोबारियों के लिए 3,000 टन गेहूं की स्टॉक सीमा तय की गई है. जबकि, रिटेल आउटलेट के लिए 10 टन और बड़ी रिटेल चेन के लिए प्रति आउटलेट 10 टन की सीमा तय है.
(Source: e-NAM)
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