वियतनाम, बांग्लादेश और नेपाल जैसे देशों की मजबूत मांग के कारण तेल वर्ष 2022-23 की अक्टूबर-फरवरी अवधि के दौरान भारत का सोयाबीन निर्यात 87 प्रतिशत की बढ़त के साथ 7.99 लाख टन (लीटर) हो गया. पिछले साल इसी अवधि में निर्यात 4.26 फीसदी पर था. सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (SOPA) के कार्यकारी निदेशक डीएन पाठक ने कहा, "कीमतें अनुकूल हैं और हमें 1.4-1.5 मिलियन टन के अनुमानित सोयाबीन के निर्यात को हासिल करने में सक्षम होना चाहिए." अर्जेंटीना जैसे देशों से मौसम संबंधी चिंताओं के कारण आपूर्ति में कमी भारत के लिए अपने शिपमेंट को बढ़ावा देने के लिए उपयोगी साबित हुई है.
वियतनाम भारतीय सोयाबीन का अब तक का सबसे बड़ा खरीदार रहा है, जिसका हिसाब 3.36 लाख टन है, इसके बाद नेपाल 64,759 टन और अमेरिका 42,796 टन की खरीदी पर है.
घरेलू पोल्ट्री क्षेत्र से खरीद में तेजी के साथ सोयाबीन पेराई में भी तेजी आई है. अक्टूबर-फरवरी के दौरान पोल्ट्री क्षेत्र में आई बढ़त पिछले साल की समान अवधि के 25.50 लाख टन की तुलना में लगभग 12 प्रतिशत बढ़कर 28.50 लाख टन हो गया है. सोयामील की घरेलू खाद्य मांग 37 प्रतिशत बढ़कर 4.75 आईटी हो गई है.
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अक्टूबर-फरवरी के दौरान सोयाबीन की पेराई 52.50 आईटी रही - जो पिछले साल की इसी अवधि के 35.50 आईटी की तुलना में लगभग 48 प्रतिशत अधिक है. वहीं बाज़ारों की बात करें तो बाजार की आवक सुधर कर 71 आईटी (55 आईटी) हो गई है.
SOPA का अनुमान है कि व्यापार, पेराई इकाइयों और किसानों के स्टॉक फरवरी के अंत में 77.98 पर थे, जो पिछले साल की समान अवधि में 71.77 से अधिक था. वैश्विक खाद्य तेल परिसर में विकास को ट्रैक करते हुए पिछले एक महीने में सोयाबीन की कीमतों में गिरावट शुरू हो गई है. पाठक ने कहा, 'पिछले एक महीने में कीमतों में करीब 8,000 रुपये प्रति टन की भारी कमी आई है.
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