गेहूं के बढ़े हुए दामों ने उन राज्यों के किसानों का भी माइंडसेट बदल दिया है, जहां पर इसकी बहुत कम खेती होती थी. प्याज, सोयाबीन और कपास की खेती के लिए मशहूर महाराष्ट्र में भी कुछ ऐसा ही हुआ है. किसानों ने गेहूं की खेती बढ़ा दी है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार फसल वर्ष 2022-23 में जिन दो राज्यों में गेहूं की बुवाई सबसे ज्यादा हुई है, उनमें महाराष्ट्र भी शामिल है. यह हैरान करने वाली बात है. क्योंकि यहां के किसान कभी गेहूं पर जोर देते ही नहीं थे, क्योंकि इसकी बजाय उन्हें दूसरी फसलों में ज्यादा फायदा दिखाई देता था, लेकिन 2022 में गेहूं के रिकॉर्डतोड़ दाम ने उनका मन बदल दिया. महाराष्ट्र में एक ही साल में गेहूं का रकबा 1.03 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है.
यह हाल तब है जब महाराष्ट्र के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गेहूं नहीं बेचते. ज्यादातर किसान अपने खाने-पीने के लिए गेहूं की खेती करते हैं. नासिक के किसान नेता भारत दिघोले कहते हैं कि महाराष्ट्र में गेहूं एक माइनर क्रॉप है. यहां इसकी खेती बिजनेस के लिए नहीं की जाती. यहां बागवानी, कपास और सोयाबीन की खेती मुख्यतौर पर होती है. इस साल कुछ किसानों ने खेती बढ़ाई है. लेकिन, वो भी एमएसपी पर बेचने के लिए नहीं.
महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चर प्राइस कमीशन के पूर्व चेयरमैन पाशा पटेल का कहना है कि महाराष्ट्र के किसानों को गेहूं की खेती का विस्तार नहीं करना चाहिए. क्योंकि हमारे लिए घाटे का सौदा है. पूरे देश को गेहूं पंजाब और हरियाणा खिलाते हैं, क्योंकि यहां इसकी खेती काफी सस्ती पड़ती है. वे बताती हैं कि पंजाब की जमीन, पंजाब का पानी और वातावरण..ये कुछ भी महाराष्ट्र में नहीं है. फिर उत्पादन लागत एक कैसे आएगी. पंजाब के मुकाबले महाराष्ट्र में गेहूं की उत्पादन लागत दोगुनी से अधिक आती है. इसलिए महाराष्ट्र में किसानों को गेहूं उगाना ही नहीं चाहिए. खाने के लिए तो ठीक है. पर एमएसपी पर बेचने के लिए उगाना ठीक नहीं है. यहां तिलहन, दलहन और बागवानी फसलों पर जोर देना चाहिए.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की एक रिपोर्ट के अनुसार पंजाब में किसानों को गेहूं उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 786 रुपये आती है, जबकि महाराष्ट्र में 2115 रुपये लागत है. यानी लगभग तीन गुना. इसलिए यहां के किसान सिर्फ अपने खाने के लिए गेहूं की खेती करते हैं. कुल गेहूं के रकबे में महाराष्ट्र का हिस्सा 2 प्रतिशत के आसपास रहता है. लेकिन इस बार एरिया कुछ बढ़ गया है. महाराष्ट्र में गेहूं का सामान्य क्षेत्र 10.63 लाख हेक्टेयर है. लेकिन, फसल वर्ष 2022-23 में 11.31 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है. यह पिछले साल से काफी ज्यादा है. इससे पहले 2020-21 के दौरान राज्य में लगभग इतने ही एरिया में गेहूं की बुवाई हुई थी.
फसल वर्ष 2017-18 में महाराष्ट्र में 8.96 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था.
फसल वर्ष 2018-19 में महाराष्ट्र में सिर्फ 5.66 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया.
फसल वर्ष 2019-20 में महाराष्ट्र में गेहूं का एरिया बढ़कर 10.71 लाख हेक्टेयर हो गया.
फसल वर्ष 2020-21 में महाराष्ट्र में गेहूं का एरिया और बढ़कर 11.88 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गया.
फसल वर्ष 2021-22 में महाराष्ट्र में 10.27 लाख हेक्टेयर में गेहूं बोया गया था.
फसल वर्ष 2022-23 में राज्य में 11.31 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई हुई है.
महाराष्ट्र की ज्यादातर मंडियों में गेहूं का दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य से ज्यादा ही चल रहा है. रबी मार्केटिंग सीजन 2023-24 के लिए गेहूं की एमएसपी 2,125 रुपये प्रति क्विंटल तय की गई है. महाराष्ट्र स्टेट एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार अहमदनगर जिले की राहुरी मंडी में 12 मार्च को सिर्फ 10 क्विंटल गेहूं की आवक हुई थी. यहां औसत भाव 2250 और अधिकतम 2400 रुपये प्रति क्विंटल रहा. लासलगांव विंचूर मंडी में 11 मार्च को 340 क्विंटल गेहूं की आवक हुई थी. यहां पर औसत दाम 2355 जबकि अधिकतम 2525 रुपये प्रति क्विंटल रहा. उस्मानाबाद ज़िले की तुलजापुर मंडी में गेहूं का औसत दाम 2500 और अधिकतम भाव 2800 रुपये प्रति क्विंटल रहा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today